Ramsha Ansari Becoms DSP: मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग में टॉप 10 में जगह बनाने वाली मुस्लिम महिला उमीदवार रमशा अंसारी (Ramsha Ansari ) ने मुस्लिम समाज और लड़कियों को शिक्षा में निवेश करने के साथ ही सिविल सेवा में आने के लिए प्रेरित किया है. आइये देखते हैं, रमशा को इस इम्तेहान में कैसे मिली कामयाबी?
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Ramsha Ansari MPPSC Topper : आम तौर पर माना जाता है कि मुस्लिम समाज की लड़कियां हायर एजुकेशन से दूर रहती हैं. खुद उनके अंदर मोटिवेशन की कमी और पारिवारिक माहौल की वजह से वह उच्चा शिक्षा से महरूम रह जाती हैं. लेकिन मुस्लिम लड़कियां अब इन बंदिशों को तोड़ रही है. अपने सपनों को पंख दे रही हैं. हाल ही में मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग में टॉप 10 में जगह बनाने वाली और इस इम्तेहान में कामयाबी की इबारत लिखने वाली मुस्लिम लड़कियां बखूबी पुरानी मान्यताओं को ध्वस्त करती नज़र आ रही है.
राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली इस मुश्किल इम्तेहान में भोपाल की रमशा अंसारी ने टॉप 10 में जगह बनाकर अपने जैसी लाखों मुस्लिम लड़कियों के लिए सपने देखने और उसे पाने की आरज़ू के दरवाज़े खोल दिए हैं.. भोपाल की रमशा ने इस इम्तेहान में 1575 में से 878 मार्क्स लाकर पूरे प्रदेश में छठा मुकाम हासिल किया है. रमशा अब डीएसपी बनकर मध्य प्रदेश के कानून और व्यवस्था को संभालने में अपना योगदान देंगी.
भोपाल में अपने आवास पर परिवार के साथ रमशा अंसारी
परिवार और शुरुआती तालीम
रमशा एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके वालिद अशरफ अंसारी भोलाल में कृषि विभाग से एक रिटायर्ड क्लर्क हैं, जबकि मां संजीदा अंसारी एक कुशल गृहणी हैं. रमशा तीन बहने हैं, और उनका एक भाई है. परिवार में शुरू से ही पढ़ाई- लिखाई का माहौल था. रमशा की बड़ी बहन भी सीए है. रमशा ने बताया की उनकी शुरुआती पढ़ाई भोपाल के सेंट मैरी स्कूल से हुई थी. 12वीं में उन्होंने कॉमर्स की पढाई की थी. उन्होंने भोपाल के ही एक्सीलेंस कॉलेज से बीए इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद IGNOU से डिस्टेंस मोड में इतिहास में MA किया है. MA करने के बाद रमशा UGC- NET- JRF एग्जाम भी पास कर चुकी थी, लेकिन उन्होंने टीचिंग और रिसर्च में जाने के बजाए सिविल सेवा में आने का इरादा किया.
कितना वक़्त चाहिए इसकी तैयारी के लिए
रमशा ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले 2018 में ग्रेजुएशन के बाद से ही संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा की तैयारी शुरू की थी, लेकिन उसमे कामयाबी न मिलने पर उन्होंने अपना पूरा फोकस MPPSC पर कर दिया था. इस दौरान उन्होंने दो बार प्री और मेंस क्वालीफाई किया, मगर इंटरव्यू में कम मार्क्स मिलने की वजह से उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मुसलसल कोशिश करती रहीं. रमशा को ये कामयाबी लगभग 7 सालों की कड़ी मेहनत और चौथे प्रयास में मिली है. इस इम्तिहान की तैयारी के लिए कितना वक़्त और रोजाना कितने घंटे की पढाई की जरूरत है, इस सवाल पर रमशा कहती हैं, "रोजाना 8 से १० घंटे की पढाई तो करनी ही चाहिए, लेकिन ऐसा कितने साल करना होगा, ये उमीदवार की निजी क्षमता और उसको मिले मार्गदर्शन पर निर्भर करता है.. लेकिन अगर 2 से 3 साल बिलकुल फोकस्ड होकर तैयारी की जाए तो इतना वक़्त काफी है.. लेकिन इतने में भी अगर आपको कामयाबी न मिले तो पीछे हटने के बजाये ऑफ़ दोगुने मेहनत से तैयारी करनी चाहिए..
मुस्लिम नौजवानों और लड़कियों को दिया पैगाम
रमशा ने बताया कि राज्य लोक सेवा की इम्तेहान की तैयारी में उनके टीचर्स, परिवार और यहाँ तक कि उनके स्टूडेंट्स का भी योगदान है. रमशा अपनी तैयारी के साथ- साथ भोपाल में एक कोचिंग संस्थान में बच्चों को इस एग्जाम की खुद तैयारी भी करवाती थीं. उन्होंने कहा कि सभी लोगों ने मिलकर उनके आसपास जो एक बढ़िया माहौल बनाया और उनका आत्मविश्वास बनाए रखा, इस वजह से वो मुश्किल हालात में भी सब्र से काम लिया और इसकी तैयारी करती रहीं. रमशा ने मुस्लिम समाज और खासकर इस समाज की लड़कियों को सदेश देते हुए कहा कि हमें सबसे ज़यादा अभी शिक्षा में निवेश की ज़रूरत है. तालीम ही वो हथियार है, जिसके दम पर हम अपने परिवार, समाज, देश और कौम का भला कर सकते हैं. खुद के साथ दूसरों का जीवन भी अच्छा कर सकते हैं. मुल्क की तरक्की में अपना योगदान दे सकते हैं. इसलिए सिविल सेवा में मुस्लिम नौजवानों और लड़कियों को ज़रूर आना चाहिए.
इनपुट: डॉक्टर अनवर खान