पटना मैं डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि हैल्थी लाइफस्टाइल , बैलेंस्ड डाइट ओर आयुर्वेदिक दवा 'बगर-34 से डॉयबिटीज़ बीमारी से पीड़ित रोगियों के ब्लड शुगर लेवल में 14 दिन के भीतर सुधार आया है
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पटना के सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल के कुछ शोधकर्ताओं द्वारा एक रिसर्च की गई जिसे बीते दिनों 'International Ayurvedic Medical Journal' में प्रकाशित किया गया है...इस जर्नल में आयुर्वेदिक दवा बगर-34 को डॉयबटीज के इलाज में फायदेमंद पाया गया है. भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसे 'डॉयबटीज राजधानी' के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां 77 मिलियन से अधिक वयस्क हाई ब्लड शुगर लेवल का सामना कर रहें हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2045 तक यह आंकड़ा बढ़कर 134 मिलियन हो सकता है. हम सभी जानते हैं कि आयुर्वेद विश्व भर में सबसे पुरानी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसमें कैंसर से लेकर सर्दी जुखाम तक हर बीमारी का इलाज मौजूद है. ऐसे में इस रिसर्च से डॉयबटीज रोगीयों के लिए ये एक उम्मीद भरी खबर है. दरअसल इस रिसर्च में आयुर्वेदिक दवा BGR 34, को 14 दिनों के भीतर ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने वाला बताया गया है. इसके साथ ही BGR 34 डॉयबटीज संबंधी जटिलताओं को रोकने में भी प्रभावी एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव डाल सकती है.
प्रोफेसर प्रभास चंद्र पाठक के नेतृत्व मैं की गयी इस स्टडी मैं ये पाया की अगर डॉयबटीज रोगी को आयुर्वेदिक दवाओं का एक निर्धारित डोज़ दिया जाए जिसमें बीजीआर -34, आरोग्यवर्धनी वटी, चंद्रप्रभाती जैसी हर्बल दवाएं, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में चेंज किया जाए तो दो सप्ताह यानि 14 दिनों के अंदर रोगी के ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है. डॉक्टर्स के मुताबिक ड्रग BGR -34 में जो दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मेथी और मजिष्ठा मौजूद हैं उनमे एंटी-डॉयबटीक गुण हैं , जो ब्लड-शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है। यह दवा देश के सबसे बड़े शोध संस्थान, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने गहन शोध के बाद बनाया है.
परीक्षण में पता चला कि ये दवा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के साथ साथ वज़न कम करने में भी मदद करती है क्योंकि यह दवा लेप्टिन मार्क को कम करते हुए हार्मोनल प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल और ट्राइग्लिसराइड लेवल को कंट्रोल करती है, जो फैट कम करने में मदद करता है. AIMIL फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि बढ़ती नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से बचाव के लिए हर्बल आधारित आयुर्वेद दवाओं को बड़ी स्वीकार्यता मिल रही है, क्यूंकि डॉयबटीज के साथ जी रहें लोग जीवन भर दवाओं पर निर्भर रहते हैं, इसलिए यह जरुरी हो गया है कि वे जागरूक हों ओर उनके पास और क्या क्या विकल्प मौजूद हैं इस बात का उन्हें पता हो.