Karnataka News: कर्नाटक में भी मुस्लिम कर्मचारियों को छूट देने की मांग की जा रही है. अब सरकार ने साफ कर दिया है कि रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को सरकारी दफ्तरों से जल्दी छुट्टी देने के बारे में सरकार के सामने न तो कोई प्रस्ताव है और न ही इस पर कोई चर्चा हुई है.
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Karnataka News: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के महीने में बड़ी राहत दी गई है. सरकारी आदेश के मुताबिक, रमजान के महीने में सभी मुस्लिम कर्मचारी शाम 4 बजे ऑफिस से घर जा सकते हैं. इसी तर्ज पर कर्नाटक में भी मुस्लिम कर्मचारियों को छूट देने की मांग की जा रही है. अब कर्नाटक सरकार ने साफ कर दिया है कि रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को सरकारी दफ्तरों से जल्दी छुट्टी देने के बारे में सरकार के सामने न तो कोई प्रस्ताव है और न ही इस पर कोई चर्चा हुई है.
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने आज यानी 21 फरवरी को कहा कि रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को सरकारी कार्यालयों से जल्दी जाने देने के संबंध में सरकार के समक्ष न तो कोई प्रस्ताव है और न ही इस पर कोई चर्चा हुई है. वह प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष वाई सैयद अहमद और ए आर एम हुसैन द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को लिखे गए पत्र के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.
गृहमंत्री ने क्या कहा?
अहमद और हुसैन ने मुख्यमंत्री से सभी मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों को रमजान के दौरान काम से जल्दी छुट्टी देने का अनुरोध किया है. इसपर परमेश्वर ने कहा, ‘‘उन्होंने पत्र लिखा होगा, लेकिन सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. कैबिनेट या अन्य किसी स्तर पर ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है.’’ तेलंगाना में इस तरह की अनुमति को भाजपा द्वारा तुष्टीकरण की राजनीति बताए जाने से संबंधित सवाल पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘हमें तेलंगाना से मतलब नहीं है.’’
क्या की गई थी मांग
चिट्ठी में मुख्यमंत्री से यह फैसले लेने का आग्रह किया गया है कि मुस्लिम कर्मचारियों को रोजा तोड़ने के लिए शाम 4 बजे तक कार्यालय से जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसमें पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों का हवाला दिया गया है, जिन्होंने रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को ड्यूटी खत्म होने से एक घंटे पहले जाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. विधानसभा में नेता विपक्ष आर अशोक ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसके नेताओं द्वारा सरकार को दिए गए प्रस्ताव को तुष्टीकरण की राजनीति बताया.