खुद को मुसलमान मानते हैं लेकिन रमजान में रोज़े नहीं रखते हैं इस्माइली मुसलमान
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खुद को मुसलमान मानते हैं लेकिन रमजान में रोज़े नहीं रखते हैं इस्माइली मुसलमान

Aga Khan: भारत में कई मजहब के लोग रहते हैं. साथ ही सभी मजहब में कई मस्लक भी होते हैं. मुस्लिम समुदाय में भी कई छोटे-छोटे मस्लक हैं. इन मस्लक को इनकी मजहबी मान्यताएं अलग पहचान देती हैं. इस खबर में हम शिया मुस्लिम के तहत आनी वाले मस्लक इस्माइली समुदाय के बारे में जानेंगे.

खुद को मुसलमान मानते हैं लेकिन रमजान में रोज़े नहीं रखते हैं इस्माइली मुसलमान

Aga Khan: 88 साल की उम्र में आगा खान का इंतेकाल हो गया है. वह इस्माईली बिरादरी से आते थे. वह धार्मिक नेता और कारोबारी थे. आज हम आपको इस बिरादरी के बारे में बता रहे हैं. इस्माइली समुदाय शिया मुस्लिम समुदाय में एक अलग ग्रुप है. इस समुदाय में शिया मुस्लिम की तरह अभी-भी इमाम का कॉन्सेप्ट है. इस समुदाय के इमाम वंशानुगत होते हैं, जिनका रिश्ता इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद से जुड़ा होता है. इस्माइली समुदाय के लोग दुनिया के लगभग 25 देशों मे रहते हैं. इस वक्त पूरी दुनिया में इस समुदाय की आबदी तकरीबन 1.5 करोड़ है. यह समुदाय मुस्लिम समुदाय के दूसरे फिरकों से बिल्कुल अलग है.

तालीम को देते हैं अहमियत
इस समुदाय को आगाखानी मुस्लिम भी बोला जाता है. ध्यान देने लायक बात यह है कि मुस्लिमों की तालीम के क्षेत्र में बहुत खराब हालात हैं. इसके उलट इस्माइली मस्लक के लोग शिक्षा के क्षेत्र में आगे हैं. इस्माईली समुदाय के लोग शिक्षा को बहुत अहमियत देते हैं. इनके इमामों का कहना है कि हम दुनिया के दूसरे समुदायों के कदम से कदम मिला कर चलेंगे. इस्माइली मस्लक वक्त के हिसाब से तालीम हासिल करना ज़रूरी समझते हैं. इस समुदाय में अंग्रेजी तालीम पर खास ध्यान दिया जाता है. 

एक दूसरे की करते हैं मदद
इस्माइली समुदाय अपना सिस्टम चलाने के लिए एक अंदरुनी सरकार रखने का कॉन्सेप्ट है. साथ ही किसी सरकार की तरह अपना मंत्रालय भी है. जैसे- हेल्थ, हाउसिंग सोसाइटी, यूथ एंड स्पोर्ट.  इस्माइली समुदाय के मंत्री अपने मंत्रालय के मुताबिक जिम्मेदारियों भी निभाते हैं. इस समुदाय का सामाजिक सिस्टम बहुत मजबूत है और समय-समय पर अपने समाज के अंदर बदलाव भी करते हैं. इस्माइली समुदाय अपने कम्युनिटी के लोगों की बहुत मदद करते हैं.

इमाम को मानते हैं
इस्माइली समुदाय में मौजूदा इमाम की बातों को गंभीरता से फॉलो किया जाता है. इनके इमाम का कहना है कि हम दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी हासिल करेंगे इस्माइली समुदाय के इमाम 'शाह करीम आगा खान' का कहना था कि मजहबी नियमों के साथ मॉर्डन वैल्यू को भी अपनाना जरूरी है. यह समुदाय विवादों से बिल्कुल दूर रहता है. आपने इस समुदाय के लोगों को बहुत कम झगड़ते देखा होगा. ये अपने मसले को इस्माइली मस्लक के कानून के जरिए सुलझाते हैं.

कभी भी रख सकते हैं रोजा
इस्माइली मसलक कुरान को अपने मौजूदा इमाम की व्याख्या के आधार पर मानते हैं. इस मस्लक के लोग रमजान को नहीं मानते हैं. इनका मानना है कि हर दिन खुदा की बनाए हुए हैं. इसलिए किसी भी दिन रोजा रखा जा सकता है. रोजा रखने के लिए किसी खास महीने की जरूरत नहीं है.

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