Controversy on Imran Pratapgarhi song: कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के काफिले में बैक ग्राउंड में बज रहे उनके एक गाने को 'भड़काऊ गीत' बताते हुए कोर्ट में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को राहत देते हुए उनके खिलाफ कोई भी विधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
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Controversy on Imran Pratapgarhi song: कांग्रेस सांसद और शायर इमरान प्रतापगढ़ी अपनी शायरी और गीतों के जरिये हुकूमत पर तीखे सवाल दागने और सवाल पूछने के लिए जाने जाते हैं. कांग्रेस सांसद बनने से पहले यही उनकी पहचान रही है. उनकी शायरी के लाखों चाहने वाले हैं. हालांकि, वो अपनी एक कथित भड़काऊ गीत के लिए कोर्ट के लफड़े में फंस गए हैं, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए मंगलवार को एक भड़काऊ गीत का संपादित वीडियो पोस्ट करने के मामले में उनके खिलाफ कोई कार्यवाही होने पर रोक लगा दी है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा, " शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया जाए. इस मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी."
प्रतापगढ़ी की जानिब से वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि गुजरात उच्च हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किये बिना ही याचिका खारिज कर दी. कांग्रेस नेता ने गुजरात हाई कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी शुरूआती चरण में है.
प्रतापगढ़ी के गाने पर क्या है इलज़ाम ?
गौरतलब है कि गुजश्ता 3 जनवरी को प्रतापगढ़ी पर गुजरात के जामनगर में एक सामूहिक शादी तकरीब के दौरान कथित भड़काऊ गीत गाने के लिए मामला दर्ज किया गया था. दीगर दफात के अलावा, कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सदर प्रतापगढ़ी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति की बुनियाद पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले इलजाम, दावे) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
प्रतापगढ़ी द्वारा एक्स पर अपलोड की गई 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में, जब वह हाथ हिलाते हुए चल रहे थे, तो उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं. इस दौरान बैक ग्राउंड में एक गाना भी बज रहा था. एफआईआर में इलज़ाम लगाया गया था कि इस गाने के बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं.
प्रतापगढ़ी ने इस आधार पर की याचिका ख़ारिज करने की अपील
एफआईआर को रद्द करने की अपनी याचिका में कांग्रेस नेता ने दावा किया था कि बैक ग्राउंड में पढ़ी जा रही कविता "प्रेम और अहिंसा का संदेश" देती है, न कि कोई भड़काऊ गाना है ये. प्रतापगढ़ी ने दावा किया कि एफआईआर का इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए किया गया था और इसे "दुर्भावनापूर्ण इरादे और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों" से दर्ज किया गया था. प्रतापगढ़ी ने दावा किया कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट से किसी भी तरह से समूहों के बीच दुश्मनी नहीं भड़की, इसलिए उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. कांग्रेस से जुड़े होने की वजह से उन्हें फंसाया जा रहा है.
सरकारी वकील ने क्यों किया इमरान की अपील का विरोध
वहीँ, सरकारी वकील हार्दिक दवे ने प्रतापगढ़ी की याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में दलील दी कि कविता के लफ्ज़ साफ़ तौर पर राज्य की गद्दी के खिलाफ उठ रहे गुस्से को दर्शाते हैं. दवे ने कहा कि हालांकि, 4 जनवरी को नोटिस जारी कर प्रतापगढ़ी को 11 जनवरी को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा गया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए और 15 जनवरी को एक और नोटिस जारी किया गया. गुजरात हाई कोर्ट ने 17 जनवरी को कहा, "दवे ने कहा कि इस पहलू पर विचार करने के बाद भी इस स्तर पर कोई राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि जांच बहुत शुरूआती अवस्था में है और प्राथमिकी को पढ़ने से भी धारा 197, 302 का मामला बनता है." शिकायतकर्ता के जरिये रिकॉर्ड में रखी गई सोशल मीडिया पर पोस्ट के बाद लोगों से मिले प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि इस गाने के नतीजे बहुत गंभीर हो सकते थे, जो यकीने तौर पर समाज के सामाजिक के भाईचारे को बिगाड़ने वाला हो सकता था.