Rajasthan News: राजस्थान के जयपुर में मकर संक्रांति पर पतंगे बनाई जाती हैं. यह पतंगे ज्यादातर मुसलमान बनाते हैं. मकर संक्रांति पर यहां हिंदू-मुस्लिम एकता देखने को मिलती है.
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Rajasthan News: राजस्थान के जयपुर में सदियों से मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी होती है. यहां पतंगबाजी की परंपरा को महाराजा सवाई राम सिंह ने शुरू किया था. जल्द ही यह परंपरा आम लोगों में मशहूर हो गई. आज भी लोग इस परंपरा को कायम किए हुए हैं. शहर में हिंदू-मुस्लिम मिलकर पतंबाजी में हिस्सा लेते हैं. जयपुर में पतंगबाजी सौहार्द का प्रतीक है. इस दिन आसमान पतंगों से भर जाता है और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है.
पतंग बना रहे मुसलमान
जयपुर के पुराने शहर में मौजूद हांडीपुरा बाजार में 150 साल पुराना पतंग बाजार है. संक्रांति के दिन इस बाजार की दुकानें रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाती हैं. लोग पतंगे खरीदते हैं और जश्न मनानते हैं. हांडीपुरा बाजार में पतंग बनाने और बेचने का काम ज्यादातर मुसलमान करते हैं. ये मुसलमान अलग-अलग तरह की पतंगे बनाकर अपनी कला को दिखाते हैं. पतंग कागज, बांस की डंडियों और धागे से बनाई जाती है. एक दिन में कई पतंगे बनती हैं. ज्यादा अच्छी और महंगी पतंग बनाने में पूरा एक दिन भी लग जाता है.
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सालों से चली आ रही पतंग बनाने की परंपरा
जयपुर में पतंग बनाने की परंपरा सदियों से चली आई है. यह काम पीढ़ी दर पीढ़ी मुंतकिल होता रहा है. कई कारीगरों ने अपनी पूरी जिंदगी इसी के नाम कर दी है. आवाज-दि वाइस ने अब्दुल गफूर के हवाले से लिखा है कि उन्होंने शाही पारिवारों के साथ मशहूर हस्तियों की चेहरे वाली पतंगें बनाई हैं. अब लोग दुकानों के साथ ऑनलाइन भी पतंगे खरीदते हैं.
अलग-अलग पतंगे
खबर में अब्दुल हमीद के हवाले से लिखा गया है कि उनके पास विदेशी पतंगों की सीरीज है. वह ड्रैगन, परियों और कार्टून कैरेक्टर वाली पतंगें बनाते हैं. उनकी पतंगों की कीमत 200 रुपये से लेकर 5000 रुपये है.
हर साल होता है प्रोग्राम
पर्यटन विभाग जयपुर में जल महल पैलेस के किनारे पतंगबाजी के लिए प्रोग्राम करता है. इसमें बड़ी तादाद में लोग हिस्सा लेते हैं. इसका मकसद रोजगार और प्रयटन को बढ़ावा देना है. यहां पतंगबाजी के प्रोग्राम से सांप्रदायिक एकता और सद्भाव पैदा होता है.