Tahir Husain Case: केजरीवाल को बेल ताहिर को जेल, SC में नहीं काम आई वकील की दलील!
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Tahir Husain Case: केजरीवाल को बेल ताहिर को जेल, SC में नहीं काम आई वकील की दलील!

Tahir Husain Case:दिल्ली दंगों के मुल्जिम ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली, अंतरिम जमानत पर पीठ ने खंडित फैसला देकर मामले को अब तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया है. इस तरह ताहिर का जीएल से जमानत पर रिहा होने पर अब संकट के बदल घिर गए हैं. 

Tahir Husain Case: केजरीवाल को बेल ताहिर को जेल, SC में नहीं काम आई वकील की दलील!

नई दिल्ली:  2020 के दिल्ली दंगों के मुल्जिम ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ताहिर हुसैन के वकील ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि मेरे क्लाइंट मार्च 2020 से जेल में बंद है. दिल्ली दंगो से पहले उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. आपने अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए ज़मानत दी थी, तो ताहिर हुसैन को जमानत देने में क्या हर्ज़ है ? वहीँ, वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने ताहिर की जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आरोपी चुनाव प्रचार के दौरान वह बाहर रहने पर अपने केस में गवाहों को प्रभावित कर सकता है.  इस मामले में कोर्ट ने आप पार्टी के साबिक पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर ऐसा खंडित फैसला सुनाया है, जिससे ताहिर हुसैन का जेल से बाहर आना संदिग्ध हो गया है. 

इस बिना पर बेंच के जज ने स्वीकारी ताहिर की अपील 
ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ एकमत नहीं हुई. दो जजों की बेंच में से एक जस्टिस पंकज मित्तल ने साबिक आप नेता की याचिका खारिज कर दी तो वहीं, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने याचिका को तस्लीम कर लिया. वहीं, दूसरी जानिब जस्टिस अमानुल्लाह ने अपने फैसले में कहा कि पूर्व आप पार्षद पिछले 5 साल से जेल में बंद है. वह समाज और अपने वोटर्स से कटा हुआ है. ऐसे में दिल्ली में अब चुनाव में जितने भी दिन बचे हैं, ताहिर को प्रचार की मंजूरी दी जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी.

इस वजह से एक जज ने रद्द की ताहिर हुसैन की अर्जी 
जस्टिस पंकज मित्तल ने अपने फैसले में कहा, "ताहिर हुसैन की दिल्ली दंगे में अहम भूमिका थी. उनके घर से हथियार भी बरामद किए गए थे." जस्टिस पंकज मित्तल ने यह भी कहा कि  हमारे देश मे चुनाव होते रहते है. अगर चुनाव प्रचार के लिए ऐसे अंतरिम ज़मानत मिलने लगी तो फिर सभी इसी आधार पर हर आरोपी ज़मानत मांगने लगेगा. जस्टिस पंकज मित्तल ने यह भी कहा कि ताहिर हुसैन पर एक सरकारी अफसर की हत्या का भी इलज़ाम है. सिर्फ दंगो का ही यह केस नहीं है. 

अब आगे क्या होगा ? 
इस मामले में अब ताहिर हुसैन केस की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी. दोनों जजों ने मामले को नई बेंच के गठन के लिए सीजेआई को भेज दिया है. 
दरअसल, ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत का मुतालबा करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. दिल्ली चुनाव में ताहिर हुसैन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम(AIMIM) के की तरफ से मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार हैं.

 गौरतलब है कि 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे जिसमें 53 लोग मारे गए और कई ज़ख़्मी हो गए थे. इस दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत हो गयी थी. कथित तौर पर उनके पार्थिव शरीर को दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था और उनके शरीर पर 51 चोटों के निशान थे. हुसैन अंकित शर्मा की मौत से जुड़े फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में आरोपी हैं. 

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