Pakistan News: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जातीय हिंसा अपने चरम पर पहुँच गयी है. एक तरफ जहाँ बलूचिस्ता प्रान्त के लोग सरकार पर जातीय सफाए का इल्ज़ाम लगा रही है, वहीँ बलूच लिबरेशन आर्मी भी हिंसक आन्दोलन के लिए अब और उग्र हो रही है. पंजाब के दक्षिणी शहर डेरा गजा खान को बरखान से जोड़ने वाले राजमार्ग आर्मी के दस्तों ने बस में मुसाफिरों से नाम पूछकर 7 लोगों की हत्याएं कर दी है.
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क्वेटा: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में नामालूम हमलावरों ने लाहौर जा रही एक बस में सात मुसाफिरों की हत्या कर दी है. ये हत्याएं पंजाब के दक्षिणी शहर डेरा गजा खान को बरखान से जोड़ने वाले राजमार्ग पर हुईं है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डिप्टी कमिश्नर वकार खुर्शीद आलम ने बताया कि करीब 40 हथियारबंद लोगों के एक ग्रुप ने कई बसों और वाहनों को रोका, मुसाफिरों के पास से राष्ट्रीय पहचान पत्र की जांच की और फिर सात यात्रियों को बस से उतारकर गोली मार दी. मारे गए सभी सात मुसाफिर मध्य पंजाब प्रांत के थे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हमले के बाद से किसी भी समूह ने इस की जिम्मेदारी नहीं ली है. हत्याओं के पीछे का मकसद भी अभी साफ़ नहीं हो पाया है. इस हत्याकांड के बाद इलाके की घेराबंदी कर हमलावरों की तलाश की जा रही है.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से सटे बलूचिस्तान प्रांत अलगाववादी विद्रोहियों और पाकिस्तान की दशकों पुरानी लड़ाई चल रही है. अगलगाववादी इस प्रान्त के लिए और ज्यादा स्वायत्तता और क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों में अपना ज्यादा हिस्सा चाहते हैं. पाकिस्तान सरकार भी बलूचिस्तान प्रांत के नागरिकों पर लम्बे अरसे से अत्याचार कर रही है, जिसके खिलाफ दुनियाभर में आवाजें उठनी शुरू हो गयी है.
अलगाववाद की आग में झुलस रहा बलूचिस्तान
इससे पहले शुक्रवार को कोयला खनिकों को ले जा रहे एक वाहन को निशाना बनाकर किए गए बम के हमले में कम से कम 11 अफराद मारे गए और छह दीगर लोग ज़ख़्मी हो गए थे.
गुजिश्ता अगस्त माह में इन्तेहाँपसंद आतंकवादियों ने पाकिस्तान में कई हमले किए थे, जिसमें दर्जन भर से ज्यादा लोग मारे गए थे. इन हमलों में पुलिस स्टेशन, बुनियादी ढांचे और नागरिकों को निशाना बनाया गया था. इसमें बलूचिस्तान के हाइवे पर हुआ वह हमला भी शामिल है, जिसमें हमलावरों ने कम से कम 23 लोगों को उनके वाहनों से जबरन उतारकर उनकी पहचान की जांच करने के बाद मार डाला था. उस वक़्त बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. बीएलए केंद्र सरकार से लड़ने वाले कई जातीय सशस्त्र समूहों में सबसे बड़ा समूह है.
विद्रोही समूह बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों और हितों को भी निशाना बनाते रहे हैं. गौरतलब है कि चीन बलूचिस्तान में स्थित गहरे पानी वाले ग्वादर समुद्री बंदरगाह का विकास कर रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत 65 बिलियन डॉलर के करार के तहत बीजिंग ने क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं में भारी निवेश किया है, जिसे बलूचिस्तान के लोग अपने लिए खतरा मान रहे हैं.