BAPS temple in UAE: भारत में इस वक़्त जहाँ मस्जिदों और मजारों के नीचे हिन्दू धर्म के अवशेष तलाशे जा रहे हैं, वहीँ कट्टर माने जाने वाले मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात में BAPS हिन्दू मंदिर से दुनिया भर में प्रेम, भाईचारे, सहिष्णुता, अनेकता में एकता और 'वसुधैव कुटुंबकम' का सन्देश दिया जा रहा है.
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अबू धाबी: भारत का सेकुलरिज्म, लोकतंत्र, समाजवाद, अनेकता में एकता, और 'वसुधैव कुटुंबकम' का नजरिया पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल रहा है जबकि इस्लामी शासन वाले देशों का कट्टरवाद और राजशाही व्यवस्था हमेशा आलोचनाओं से घिरा रहा है. लेकिन वक़्त के साथ सब कुछ बदल रहा है. भारत में इस वक़्त जहाँ हिन्दू राष्ट्र और कट्टर हिंदुत्व को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है, मस्जिदों के अन्दर मंदिरों के अवशेष ढूंढें जा रहे हैं, वहीँ इस्लामिक देश कट्टरता का त्याग कर उदारवाद की राह पर चलते हुए दिख रहे हैं.
इसका ताज़ा उदाहरण अबू धाबी का बीएपीएस हिंदू मंदिर है. एक इस्लामी देश में इस मंदिर के निर्माण का दुनियाभर के कट्टरपंथी मुस्लिम जमातों ने विरोध किया था, लेकिन संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने उन तमाम विरोधों को नज़र अंदाज़ का मंदिर निर्माण का काम पूरा किया.. आज ये मंदिर दुनियाभर के लोगों के लिए मानवता, एकता, विश्व शान्ति, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक बन रहा है. ये प्रेम और भाईचारे में भरोसा रखने वाले दुनिया भर के पर्यटकों को लुभा रहा है. वहीँ सरकार और मंदिर ट्रस्ट इससे मोटा पैसा कमा रहा है.
हिन्दू- मुस्लिम कल्चर को करीब ला रहा मंदिर
अबु धाबी का बीएपीएस हिंदू मंदिर किसी ऐतिहासिक पहल से कम नहीं है, जो पारंपरिक भारतीय वास्तुकला को मुस्लिम देशों और वहां के आधुनिक स्थायित्व प्रथाओं को एक साथ जोड़ती है. यह पूजा- अर्चना , शिक्षा और कमुनिटी सर्विस के लिए एक मुक़द्दस मुकाम के तौर पर काम कर रहा है. यह मंदिर समाज के सभी वर्गों के लोगों का स्वागत करता है ताकि वे शांति और एकता के यूनिवर्सल पैगाम का अनुभव कर सकें. अबू धाबी सरकार और बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के साझा प्रयासों से बनाया गया ये मंदिर पिछले एक साल से भी कम वक़्त में दुनियाभर से 2 मिलियन से ज्यादा पर्यटकों को अपनी तरफ खींच चुका है.
मंदिर से बुलंद हो रहा 'वसुधैव कुटुंबकम; का नारा
नए साल की शुरुआत के मौके पर बीएपीएस हिंदू मंदिर एकता, विविधता और सौहार्द का अनोखा उत्सव मना रहा है. इस मौके पर मंदिर समिति ने 20 से ज़यादा देशों के रक्षा प्रतिनिधि और उनके परिवार को बुलाया था. इस प्रोग्राम में भारत के अलावा बेल्जियम, कनाडा, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान, नीदरलैंड्स, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड सहित कई दीगर मुल्कों के रक्षा प्रतिनिधि शामिल हुए थे. इस आयोजन का मकसद सांस्कृतिक मेलजोल और आपसी समझ को बढ़ावा देना था, जहाँ मंदिर के प्रांगण से “वसुधैव कुटुंबकम” का नारा बुलंद किया गया.
मंदिर से दिया जा रहा ये पैगाम
इस मौके पर मंदिर के प्रमुख ब्रह्मविहारिदास स्वामी ने कहा, " अबू धाबी में यह बीएपीएस हिंदू मंदिर भगवान और मानवता के प्रति हमारे प्रेम और वैश्विक शांति की हमारी आकांक्षा का प्रतीक है. हमें लोगों को जीतना है और युद्ध से दूर रहना है. जो भी बोलना है दिल से बोलन है और अपने वादे निभाना है." उन्होंने सकारात्मक सोच को अपनाने और शांति व स्थिरता लाने की अपील की. ब्रह्मविहारिदास स्वामी ने तीन मुख्य बातों पर जोर देते हुए कहा कि दोस्त बनें, सभी से सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रखें और सकारात्मक रहें, यही मानवता का मूल संदेश है."
"हमारा तजुर्बा वाकई अद्भुत था"
जापान के ताकायुकी कुबो ने कहा, "हमारा तजुर्बा वाकई अद्भुत था. आयोजकों की गर्मजोशी ने हमारा दिल छू लिया. हमने यहां एकता और सद्भाव की गहरी भावना महसूस की." डेनमार्क के निकोलाई एबिल्डगार्ड ने कहा, "यहां से मेरी सबसे बड़ी सीख यह है कि सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिए. मैं पहले कभी किसी ऐसी जगह नहीं गया, जहां इतनी सकारात्मक ऊर्जा और सहिष्णुता का माहौल हो."
इटली के एंड्रिया रूसो ने कहा, "'हॉर्मनी वॉल' सभी को जोड़ने का प्रतीक है. इस मंदिर के अंदरूनी हिस्से में इटैलियन संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है, जो मेरे लिए गर्व की बात है. ये सिर्फ पत्थर थे, लेकिन सुंदर नक्काशी ने इन्हें जीवन दिया है."