दुनिया के टॉप-20 फूड्स लिस्ट में शामिल है अपना इडली, चना मसाला, राजमा और चिकन चाट
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दुनिया के टॉप-20 फूड्स लिस्ट में शामिल है अपना इडली, चना मसाला, राजमा और चिकन चाट

Delhi News: भारत की मशहूर साउथ इंडियन डिश इडली समेत चना मसाला और राजमा को बेस्ट जैव विविधता फूटप्रिंट वाले टॉप-20 फूड्स में शामिल किया गया है. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के दुनिया भर के 151 पोपुलर खानों का विश्लेषण किया गया है.

दुनिया के टॉप-20 फूड्स लिस्ट में शामिल है अपना इडली, चना मसाला, राजमा और चिकन चाट

Delhi News: भारत की मशहूर साउथ इंडियन डिश इडली समेत चना मसाला और राजमा को बेस्ट जैव विविधता फूटप्रिंट वाले टॉप-20 फूड्स में शामिल किया गया है. साथ ही चिकन जलफ्रेजी और चिकन चाट को भी इस लिस्ट मे जगह मिली है. एक नए स्टडी में दुनिया भर के 151 पोपुलर खानों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें रिसर्चर ने पाया कि मेन इंग्रेडिएंट्स के रूप में बीफ वाले खाने जैसे कि फ्रालडिन्हा, ब्राज़ील से आने वाला बीफ टॉप 20 में शामिल है. जबकि चिली कॉन कार्ने ( बीफ और बीन्स के साथ बना हुआ मसालेदार स्टू) और गोमांस टार्टारे समेत कई डिशेज भी शामिल हैं.

दरअसल, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के रिसर्चर ने ग्लोबली और लोकल लेवल पर उत्पादित होने पर उनकी जैव विविधता ( Biodiversity ) के फूटप्रिंट्स का अनुमान लगाने के लिए CNN.Com और TasteAtlas.Com से ली गई पोपुलर डिशेज की लिस्ट का विश्लेषण किया. इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि बीफ (गोमांस), फलियां ( Legumes ) और चावल ( Rice ) जैसी इंग्रेडिएंट्स से बने खाने भारत में अतिक्रमण कर रहे हैं.

रिसर्चर ने लिखा, "भारत को ज्यादातर उच्च जैव विविधता फूटप्रिंट्स वाले डिशेज के उत्पादन में शामिल पाया गया है, जो उन सामग्रियों (जैसे चावल, फलियां, चिकन) द्वारा संचालित जैव विविधता प्रभाव के साथ हैं, जिन्हें आमतौर पर उच्च पर्यावरणीय पदचिह्न के रूप में चिह्नित नहीं किया जाता है." उन्होंने आगे कहा कि अमेज़ॅन वर्षावन और दूसरे डाइवर्स इकोसिस्टम को चरागाह में बदलने की वजह से ब्राजील के बीफ डिशेज का बायोडाइवर्सिटी पर काफी इम्पैक्ट पड़ रहा है.

रिसर्चर ने कहा कि अलग-अलग देशों में डिशेज की जैव विविधता फूटप्रिंट्स का आकलन कंज्यूमर्स को मजबूत बना सकता है. उन्होंने कहा कि हम खाने के लिए जो डिशेज चुनते हैं और जहां से हमें सामग्री मिलती है, उसमें छोटे-छोटे बदलाव प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकने में काफी मदद कर सकते हैं.

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