आधा नवंबर बीत गया है लेकिन उत्तर भारत में अब तक सर्दियां पूरी तरह से नहीं आई हैं,और इसके पीछे हर साल धरती का बढ़ता औसत तापमान एक अहम कारण है. ब्रिटिश जर्नल लैंसेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2023 दुनिया का अब तक का सबसे गर्म साल रहा है, गौर करने वाली बात है कि गर्मी के जानलेवा दिनों की संख्या हर साल बढ़ रही है.
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ब्रिटिश जर्नल लैंसेट ने बढ़ती गर्मी को लेकर अपनी ताजा रिपोर्ट जारी कर दी है जिसमें लगातार बढ़ रही गर्मी और कम हो रही सर्दी के पीछे कई कारणों को लेकर अहम खुलासे किए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से 2022 के बीच दुनिया भर में 86 ऐसे गर्म दिन थे जोकि जानलेवा थे. इसमें इंसानों से वातावरण को पड़ने वाला फर्क एक अहम कारण दिखता है. इसके अलावा गर्मी के कारण 65 साल से ज्यादा आयु के लोगों की मौतों में 85% की वृद्धि हुई है.
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार इस बढ़ती गर्मी का कारण क्या है ?
बढ़ती गर्मी के साथ, 2021 में एयर कंडीशनर्स का उपयोग इतना बढ़ गया कि इससे होने वाले बिजली की खपत को देखे तो भारत और ब्राजील की कुल बिजली खपत बराबर ही थी. लैंसेट की रिपोर्ट में इस बढ़ती गर्मी की वजह से सालभर में 1.14 डिग्री सेल्सियस की औसत से तापमान बढ़ रहा है, और नतीज़तन हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. अगर यही औसत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है तो 2050 तक हमारे काम करने की क्षमता घट कर आधी ही रह जाएगी और गर्मी से होने वाली मौतें 370 गुना बढ़ जाएंगी. इससे 50% लेबर लॉस हो जाएगा और डेंगू जैसी बीमारियों में 37% की बढ़ोत्तरी हो जाएगी. इतना ही नहीं इससे प्रदूषण से होने वाली मौतों में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी.
इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का 95% रोड ट्रांसपोर्ट फॉसिल फ्यूल से चल रहा है, जिससे होने वाले प्रदूषण के कारण 4 लाख 60 हजार मौतें हो रही हैं. इस बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए हमें स्वच्छ एवं नए ऊर्जा स्रोतों का सही तरीके से उपयोग करने की भी आवश्यकता है.
बढ़ते प्रदूषण से कैसे निपटा जा सकता है ?
प्रदूषण को लेकर भी इस रिपोर्ट ने सावधान करते हुए गाड़ियों के फ्यूल को बदलने की सलाह दी है.
गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल के कारण 1337 टन कार्बन डाई ऑक्साइड प्रति मिनट हवा में घुल रहे जोकि चिंताजनक है.
रिपोर्ट के मुताबिक खराब ईंधन का उपयोग कम कर के PM 2.5 के कारण होने वाली मौत के आंकड़े को भी कम किया जा सकता है.
अभी विकासशील देशों में मात्र 2% बिजली सोलर या विंड एनर्जी से बन रही है, जबकि विकसित देशों में यह आकंड़ा 11% का है...हमें प्रदूषण की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए नए ऊर्जा स्रोतों का प्रचार-प्रसार करना और उन्हें सही तरीके से उपयोग करना बहुत जरुरी है.
लैंसेट की रिपोर्ट ने बताया है कि मौसम में हो रहे एक्स्ट्रीम बदलाव, भूकंप, बाढ़, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण दुनिया को बहुत नुकसान और ये नुकसान आर्थिक स्तर पर 2022 में 264 बिलियन डॉलर का रहा है.
लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, हमें इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, और प्रदूषण कम करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हम आने वाले समय में एक स्वस्थ जीवन जी सकें.