पूरी दुनिया में मशहूर दिल्ली की हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह में बसंत पंचमी का त्योहार ख़ूब धूमधाम के साथ मनाया गया. इस मौक़े पर दरगाह पर पीले रंग के कपड़े पहनकर सूफ़ी क़व्वाल सूफी संत अमीर ख़ुसरो के गीत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के आस्ताने पर पेश करते हैं.
पूरे देश में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया गया. इस ख़ास मौक़े पर हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह में बसंत पंचमी का त्योहार अक़ीदत के साथ मनाया गया.
बसंत पंचमी के दिन दरगाह को पीले गेंदे के फूलों से सजाया गया और दरगाह पर आने वाले सभी अक़ीदतमंद पीले रंग के कपड़ों में नज़र आए.
दरगाह में पीले गेंदे के फूलों का नज़ारा बेहद ख़ूबसूरत लग रहा था. हर तरफ एक अलग ही मंज़र था.
दरगाह पर बसंत पंचमी का त्योहार तक़रीबन 800 सालों से मनाया जा रहा है. इस मौक़े पर बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की
बसंत पंचमी वाले दिन दरगाह पर सभी लोग पीली चादर या पीले फूल भी चढ़ाते हैं और अपनी अक़ीदत का इज़हार करते हैं.
बुज़ुर्गों के आस्ताने हमेशा से ही देश में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते रहे हैं. गंगा-यमुना तहज़ीब को बढ़ावा देने के लिए बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की.
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