हाईकोर्ट के फैसले पर रोक; ईदगाह मैदान में नहीं होगा गणेश चतुर्थी का आयोजन
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हाईकोर्ट के फैसले पर रोक; ईदगाह मैदान में नहीं होगा गणेश चतुर्थी का आयोजन

Ganesh Chaturthi will not be held in Eidgah Maidan: यह मामला कर्नाटक के बेंगलुरु के ईदगाह मैदान का है, जहां हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के इस मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह के आयोजन के लिए मंजूरी दी थी. 

 ईदगाह मैदान

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु के ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी के समारोह को आयोजित करने की अनुमति देने से मंगलवार को इनकार कर दिया है, और उस जगह पर दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाकर रखने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 200 साल में ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी का ऐसा कोई समारोह आयोजित नहीं हुआ है. उसने मामले के फरीकों से विवाद के निवारण के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में जाने को कहा है.

दोनों पक्ष आज जैसी यथास्थिति बनाकर रखेंगे 
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शाम 4ः45 बजे विशेष सुनवाई में कहा कि पूजा कहीं और की जाए. पीठ ने कहा, ‘‘रिट याचिका हाईकोर्ट की एकल पीठ के सामने पेंडिंग है और सुनवाई के लिए 23 सितंबर, 2022 की तारीख तय हुई है. सभी सवाल/विषय हाईकोर्ट में उठाये जा सकते हैं.’’ उसने कहा, ‘‘इस बीच इस जमीन के संबंध में दोनों पक्ष आज जैसी यथास्थिति बनाकर रखेंगे.’’ 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी थी इजाजत 
शीर्ष अदालत कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सेंट्रल मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ कर्नाटक और कर्नाटक वक्फ बोर्ड की अपील पर सुनवाई कर रही थी. कर्नाटक हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 26 अगस्त को राज्य सरकार को चामराजपेट में ईदगाह मैदान का इस्तेमाल करने के लिए बेंगलुरु (शहरी) के उपायुक्त को मिले आवेदनों पर विचार करके उचित आदेश जारी करने की इजाजत दी थी. 

हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती 
इससे पहले मंगलवार को दिन में प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित ने गणेश चतुर्थी समारोहों के लिए बेंगलुरु के ईदगाह मैदान के इस्तेमाल के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सेंट्रल मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ कर्नाटक तथा कर्नाटक वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया था. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की दो न्यायाधीशों की पीठ ने मत भिन्नता का हवाला देते हुए मामले को प्रधान न्यायाधीश को भेजा था जिसके बाद आदेश आया है.

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