Tanzanian President Samia Suluhu Hassan India Visits: तंजानिया की राष्ट्रपति हसन रविवार से चार दिनों के भारत दौरे पर हैं. मंगलवार को जेएनयू से डॉक्टरेट की मानद उपाधि पाने वाली पहली महिला बन गई हैं. वह देश और दुनियां के करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती हैं.
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नई दिल्लीः तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन (Tanzanian President Samia Suluhu Hassan) पिछले इतवार से चार दिनों के भारत दौरे पर आई हुई हैं. इस बीच उन्होंने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेताओं से मुलाकात और दोनों मुल्कों के बीच कई करार पर दस्तखत कर चुकी हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत और तंजानिया के बीच आर्थिक संबंध हमेशा एक मजबूत स्तंभ रहे हैं. तंजानिया के साथ हमारे व्यापारिक संबंध सदियों पुराने हैं, जब भारत के पश्चिमी तट के व्यापारी पहली बार व्यापार और वाणिज्य के लिए समुद्री मार्ग से पूर्वी अफ्रीका गए थे. ‘तंजानिया भारत का एक प्रमुख अफ्रीकी भागीदार है, और हम आपके सहयोग पर भरोसा करते हैं.’’
पूरे दौरे में हिजाब में आईं नजर
खास बात यह है कि पिछले चार दिनों से सरकारी मेहमान बनी तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन (Tanzanian President Samia Suluhu Hassan) हिजाब में नजर आ रही हैं. वह हर मौके पर हिजाब में देखी गईं.. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के साथ वह उनकी बड़ी बीन जैसी दिख रही हैं.. फोटो देखकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि सामिया सुलुहू हसन और भारत की राष्ट्रपति दोनों आपस में बहन जैसी लग रही हैं.. सामिया सुलुहू हसन से जुड़ी एक और दिलचस्प बात ये है कि वह तंजानिया की राष्ट्रपति बनने के पहले भारत के हैदराबाद में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ चुकी हैं.
भारत में कर चुकी हैं पढ़ाई
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने मंगलवार को तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा. इसी के साथ, वह जेएनयू द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित की जाने वाली पहली महिला बन गईं हैं. हसन तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति हैं. डॉक्टरेट की मानद उपाधि कबूल करने के बाद अपने खिताब में हसन ने कहा, ‘‘दुनिया कहती है कि भारत के प्यार में पड़ने से कोई बच नहीं सकता है, चाहे वह भारतीय गीत हों, भारतीय फिल्में हों या भारतीय खान-पान हों. भारतीय आकर्षण से दूर रह पाना बेहद मुश्किल है. मुझे इसका तजुर्बा तब हुआ, जब मैं पढ़ाई के सिलसिले में 1998 में पहली बार हैदराबाद आई थी.’’ हसन ने कहा कि भारत उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष में हमेशा तंजानिया का एक कंधा रहा है. साथ मिलकर, हम प्रभावी सकारात्मक बदलावों की वकालत करने वाली एक सशक्त आवाज बन सकते हैं.’’
तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति
हसन तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति हैं. उन्होंने अफ्रीका के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले एक साधारण परिवार में पैदा होने से लेकर देश की राष्ट्रपति बनने तक का सफर किया है. सामिया सुलुहु हसन का जन्म 27 जनवरी 1960 को एक शिक्षक के घर में हुआ था. उन्होंने 1977 में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद एक क्लर्क के रूप में काम करने लगीं. उन्होंने कृषि विशेषज्ञ हाफिज अमीर से शादी कर ली. सुलुहु ने अंशकालिक आधार पर कई लघु पाठ्यक्रम किए. 1986 में, उन्होंने लोक प्रशासन में एडवांस डिप्लोमा के साथ विकास प्रबंधन संस्थान में स्नातक की उपाधि हासिल की. 1992 और 1994 के बीच, उन्होंने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. उन्होंने तंजानिया के ओपन यूनिवर्सिटी और दक्षिणी न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय के एक संयुक्त कार्यक्रम के तहत 2015 में सामुदायिक आर्थिक विकास में एमएससी की शिक्षा पूरी की.
तंजानिया की उपराष्ट्रपति रह चुकी हैं सुलुह
सुलुहू 1988 में क्षेत्रीय ज़ांज़ीबार सरकार में एक विकास अधिकारी के तौश्र पर काम करने लगी. उसके बाद वह विश्व खाद्य कार्यक्रम में एक परियोजना प्रबंधक बन गईं. 1990 के दशक में, उन्हें गैर-सरकारी संगठनों को विनियमित करने वाली एक संस्था का प्रभारी बनाया गया.
वह 19 मार्च 2021 से तंजानिया की राष्ट्रपति हैं. वह इस पद पर सेवा करने वाली पहली महिला हैं. उन्होंने पहले 2015 से 2021 तक तंजानिया की उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था, जहां से वह अपने पूर्ववर्ती जॉन मैगुफुली की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति पद पर पहुंचीं हैं. ज़ांज़ीबार की निवासी, सुलुहू ने 2000 से 2010 तक अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र में मंत्री के रूप में काम किया था. इसके बाद उन्होंने 2010 से 2015 तक मकुंदुची निर्वाचन क्षेत्र के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया और उपराष्ट्रपति कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं. 2014 में, उन्हें देश के नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 2015 के आम चुनाव के बाद सुलुहू तंजानिया की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनीं थी. राष्ट्रपति के रूप में, सुलुहू ने अपने पूर्ववर्ती की नीतियों को उलटते हुए लोकतांत्रिक सुधारों को लागू किया है, जो राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए लागू की गई थीं.
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