Trimbakeshwar Temple: नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर विवाद को नया मोड़ देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के नेता महंत अनिकेत शास्त्री ने दावा किया है कि हजरत पीर सैयद गुलाब शाहवाली बाबा की दरगाह हिंदू मंदिर के ऊपर बनी हुई है. उन्होंने इस दरगाह का सर्वे कराने की बात कही है.
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Trimbakeshwar Temple: नासिक के त्र्यंबकेश्वर में जारी विवाद को नया मोड़ देते हुए एक महंत ने शुक्रवार को दावा किया कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास एक अहम दरगाह (मकबरे) के नीचे एक हिंदू मंदिर मौजूद है. अखिल भारतीय संत समिति (महाराष्ट्र) के नेता महंत अनिकेत शास्त्री ने तर्क दिया है कि हजरत पीर सैयद गुलाब शाहवाली बाबा की दरगाह बाबा गोरखनाथ के नाथ संप्रदाय की एक गुफा पर बनी है.
महंत शास्त्री ने मीडियाकर्मियों से कहा, वहां भगवान गणेश, अन्य देवताओं और प्रतीकों समेत कई हिंदू मूर्तियां हैं. हम मांग करते हैं कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यहां एक सर्वे करे और सच्चाई सामने लाए. इतिहासकारों से यह जानकारी मिलने का दावा करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि सभी समुदायों के लोगों के ज़रिए पूजनीय दरगाह कथित तौर पर नाथ संप्रदाय के एक पुराने मंदिर को गिराकर बनाई गई थी.
दरगाह में वार्षिक 'उर्स' के दौरान त्र्यंबकेश्वर मंदिर में 'धूप' दिखाने की सदियों पुरानी प्रथा के बदले में महंत शास्त्री ने गुरुवार को मस्जिदों में हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्वान किया था. सरकार की तरफ से नियुक्त एसआईटी मामले की जांच के लिए शुक्रवार को त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुंची जो इस तीर्थस्थल में कथित झड़पों के बाद 13 मई को सुर्खियों में आया. एसआईटी दरगाह के अधिकारियों से भी मुलाकात करेगी.
इस बीच, मुंबई में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय सक्सेना से मुलाकात की और त्र्यंबकेश्वर मंदिर व राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़पों पर चर्चा की. पटोले ने उनसे जानना चाहा कि पुलिस नफरत फैलाने वाले बयान देने वाले सियासी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कर रही है या कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, जैसा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है - विशेष रूप से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ.
पिछले एक हफ्ते में अकोला, अहमदनगर और फिर नासिक में अलग-अलग वजहों से सांप्रदायिक दंगे हुए हैं. हालांकि त्र्यंबकेश्वर में स्थानीय लोगों और पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि 13-14 मई को कथित तौर पर वहां कोई हिंसा या झड़प हुई थी. तब से शहर में हालात बने हुए हैं.
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