Uddhav Thackeray Government in trouble: एकनाथ शिंदे और सीएम उद्धव ठाकरे के बीच विधान परिषद् चुनाव को लेकर कथित तौर पर अनबन हो गई. हालांकि, शिवसेना के स्थापना दिवस पर दोनों के बीच अच्छा तालमेल दिखा था.
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मुंबई: महाराष्ट्र की विकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इसकी वजह शिवसेना के सीनियर नेता एकनाथ शिंदे का पार्टी से खफा होना और महाराष्ट्र के बाहर गुजारत में कैंप करना बताया जा रहा है. महाराष्ट्र में बीते करीब ढाई साल से शिवसेना के नेतृत्व में विकास अघाड़ी की सरकार चल रही थी, लेकिन अब उद्धव ठाकरे के करीबी नेता ने ही पार्टी को बीच मझधार में छोड़ दिया है.
फिलहाल जहां एक एक थान शिंदे (Eknath Shinde) गुजरात के सूरत में कैंप लगाए हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ सीएम उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने आनन-फानन में विधायकों की आपात बैठक बुलाई तो सहयोगी दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad pawar) ने भी सभी विधायकों को बुलाया है. हुकूमत की तीसरी सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को मीटिंग के लिए दिल्ली बुलाया है. वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र बीजेपी के सीनियर नेताओं की भी बैठक चल रही है. आइए जानते हैं कौन हैं एकनाथ शिंदे (Who is Eknath Shinde) जिनके कारण महाराष्ट्र की हुकूमत बड़ी मुसीबत में गिरफ्तार हो गई है.
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कौन हैं एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे ठाकरे परिवार के बाहर सबसे मजबूत ताकतवर शिवसैनिक हैं. उनकी ताकत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के लिए राज़ी नहीं होते तो आज एकनाथ शिंदे ही सीएम की कुर्सी पर होते. एकनाथ शिंदे की उम्र फिलहाल 59 साल है और महाराष्ट्र सरकार ने नगर विकास मंत्री हैं. वर्ष 1980 में वे शिवसेना से बतौर शाखा प्रमुख जुड़े थे. शिंदे ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं. वह पार्टी की खातिर जेल भी जा चुके हैं. उनकी इमेज हमेशा से ही एक वफादार और कट्टर शिवसैनिक की रही है.
ठाणे में एकनाथ शिंदे का बड़ा प्रभाव है. ठाणे में उनकी शोहरत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव हो या निकाय चुनाव हमेशा इनका उम्मीदवार ही चुनाव जीतता आया है. एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे भी शिवसेना के ही टिकट पर कल्याण सीट से सांसद हैं.
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एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से क्यों की बगावत
शिंदे और सीएम उद्धव ठाकरे के बीच विधान परिषद् चुनाव को लेकर कथित तौर पर अनबन हो गई. हालांकि, शिवसेना के स्थापना दिवस पर दोनों के बीच अच्छा तालमेल दिखा था. जानकारी के मुताबिक, परिषद् चुनाव के दौरान जब अनबन हुई, तब से एकनाथ शिंद का नंबर ऑफ जा रहा है और उनके राब्ता नहीं हो पा रहा है. जानकारों का मानना है एकथान शिंदे को इस बात का भी अच्छे तरीके से काम करने के बावजूद क्रेडिट नहीं दिया जा रहा है.
जानकारों के मुताबिक, पिछले कुछ समय से एकनाथ शिंदे को पार्टी में शक की नजर देखा जा रहा है. इसकी वजह भी है क्योंकि शिंदे के बीजेपी के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं. कई बीजेपी के नेताओं के अफवाह भी उड़ाई कि शिंदे जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे. वहीं शिंदे एक बड़ा दुथ मुख्यमंत्री नहीं बनने का भी है. जानकार मानते हैं कि एकनाथ शिंदे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए था, लेकिन जब उद्धव ठाकरे को सीएम बनाया गया, तो उनका नाम पीछे छूट गया. ये उनके लिए निराशा की बात थी.
इसके अलावा, ये कि फिलहाल जो विधायक एकनाथ शिंदे की हिमायत कर रहे हैं, उनकी शिकायत ये है कि उन्हें काम करने के लिए फंड नहीं दिया जा रहा है और वो अपने काम नहीं करवा पाते. यही वजह है ये नाराज़ विधायक शिंदे का साथ दे रहे हैं.
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