US Report: रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वंय सेवक (RSS) चीफ मोहन भागवत को लेकर भी बड़ी बात कही गई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोहन भागवत के उस बयान का जिक्र किया है जिसमें वो भारत के हिंदू और मुसलमानों का डीएनए एक जैसा होने की बात कह रहे थे.
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वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश विभाग ने संसद में एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता की वार्षिक रिपोर्ट पार्लियामेंट में सौंपते हुए हिंदुस्तान पर बड़ा आरोप लगाया है. नाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मज़हबी आज़ादी के नाम पर हालात में काफी गिरावट दर्ज की गई है. अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में हिंदुस्तान पर आरोप लगाया है कि साल 2021 में भारत में अल्पसंख्यक समुदायों पर सालभर हमले हुए, धमकाया गया और कत्ल भी हुए.
अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से पेश की गई यह रिपोर्ट हर साल तैयार होती है. इससे पहले आई रिपोर्ट में भी भारत पर कई तरह आरोप लगाए गए. ताज़ा रिपोर्ट में अमेरिका ने गोहत्या, आरएसएस चीफ मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत तमाम मौज़ू पर अपनी बात रखी है. रिपोर्ट के मुताबिक,"गायों की हिफाज़त के लिए और बीफ के कारोबार के आरोप में गैर हिंदुओं के खिलाफ तमाम जुर्म हुए."
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RSS चीफ मोहन भागवत का भी जिक्र:
रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वंय सेवक (RSS) चीफ मोहन भागवत को लेकर भी बड़ी बात कही गई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोहन भागवत के उस बयान का जिक्र किया है जिसमें वो भारत के हिंदू और मुसलमानों का डीएनए एक जैसा होने की बात कह रहे थे. इस बयान में मोहन भागवत ने कहा था,"हिंदू मुसलमान एकता की बातें भ्रामक हैं. क्योंकि यह दोनों अलग नहीं बल्कि एक हैं. भागवत ने कहा था कि पूरे हिंदुस्तान का डीएनए समान है. "
योगी आदित्यनाथ और पुलिस भी निशाना:
अमेरिका की इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान का भी जिक्र किया गया है. दरअसल सीएम योगी ने राज्य की पुरानी सरकारों पर हमला करते हुए कहा था,"उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों ने फायदा में मुसलमानों की ज्यादा हिमायत की थी." इसके अलावा पुलिस प्रशासन की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने उन लोगों को गिरफ्तार किया है, जो गैर हिंदू हैं और और उन्होंने हिंदू या हिंदुत्व के खिलाफ टिप्पणियां की हैं.
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क्या कहता है भारत:
बता दें कि यह पहली रिपोर्ट नहीं जिसमें भारत इस तरह की बात हुई हो लेकिन हिंदुस्तान ने हमेशा उन्हें खारिज कर दिया था. इस मामले में भारत का कहना है कि एक गैर मुल्की सरकार के पास हमारे शहरियों के कानूनी हकूक के हालात पर इस तरह की टिप्पणी करना का कोई हक नहीं है.
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