हैदराबाद के 7 लोग सऊदी अरब के जेल में है बंद, परिवारवालों ने लगाई मोदी सराकर से गुहार
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हैदराबाद के 7 लोग सऊदी अरब के जेल में है बंद, परिवारवालों ने लगाई मोदी सराकर से गुहार

Hyderabad News: देश में कहीं न कहीं से खबर आती रहती है कि किसी ट्रैवल एजेंट की वजह से कोई विदेशी जेल में कैद हो गया है. ऐसा ही एक मामला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से आया है. जहां सऊदी अरब के जेद्दा की सफ़र जेल में सात मज़दूर बंद हैं.

हैदराबाद के 7 लोग सऊदी अरब के जेल में है बंद, परिवारवालों ने लगाई मोदी सराकर से गुहार

Hyderabad News: भारत से हर साल लाखों लोग रोजी-रोटी के लिए खाड़ी देशों में जाते हैं. खाड़ी देशों में जाने के लिए लोग ट्रैवल एजेंटों की मदद लेते हैं. वहीं कई बार ऐसे मौके भी आए हैं जहां ट्रैवल एजेंट लोगों को गुमराह कर विदेश भेज देते हैं, जिससे लोग मुसीबत में फंस जाते हैं. आए दिन देश में कहीं न कहीं से खबर आती रहती है कि किसी ट्रैवल एजेंट की वजह से कोई विदेशी जेल में कैद हो गया है.

ऐसा ही एक मामला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से आया है. जहां सऊदी अरब के जेद्दा की सफ़र जेल में सात मज़दूर बंद हैं. अब इन मज़दूरों के परिवार भारत सरकार से उनकी रिहाई की गुहार लगा रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि उनके लोगों को ट्रैवल एजेंट ने धोखा दिया है, जिसकी वजह से वे सऊदी जेल में कैद हैं.

सरकार के पीड़ित परिवार ने लगाई गुहार
पीड़ित परिवार ने भारत सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के नेता अमजद उल्लाह खान से मदद मांगी है और उनके से गुजारिश की है कि वह रियाद में भारतीय दूतावास और जेद्दाह में भारत के महावाणिज्य दूतावास (सीजीआई) से उनके प्रियजनों की तत्काल रिहाई के लिए अपील करें. इन कामगारों को 14 जनवरी, 2025 को मक्का में हिरासत में लिया गया था.

इस पूरे मामले को लेकर अमजद उल्लाह खान ने केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से हस्तक्षेप करने और हिरासत में लिए गए हैदराबादी कामगारों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की तत्काल अपील की. उन्होंने कहा कि मोहम्मद अकबर नाम के एक एजेंट ने 19 मजदूरों जेद्दा में खोलौद अहमद अलकौज़ी नामक एक नियोक्ता के तहत खाद्य वितरण नौकरियों का वादा करके बहकाया था और मोटी रकम लेने के बाद सऊदी भेज दिया.

सौंपे गए डिलीवरी के काम
खान ने कहा, "हैदराबाद के निवासियों को 1,500 सऊदी अरब रियाल (लगभग 35,065 रुपये) का वेतन, मुफ्त आवास, ईंधन के साथ एक दोपहिया वाहन और उनके इकामा (निवास परमिट) जारी होने तक अस्थायी खाद्य सहायता का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उन्हें इन सभी सुविधाओं से वंचित रखा गया. 26 जुलाई, 2024 को जेद्दा पहुंचने पर, मजदूरों को एक महीने से अधिक समय तक बेकार छोड़ दिया गया, जिसके बाद उन्हें कठोर परिस्थितियों में कठिन डिलीवरी कार्य सौंपे गए. 

एजेंट ने एडवांस लेने का लगाया इल्जाम
परिवार के सदस्यों ने बताया कि डिलीवरी का काम सौंपे जाने के बाद उन्हें हर ऑर्डर के लिए 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था और 12 घंटे की शिफ्ट में काम करना पड़ता था. 1,500 रियाल के बजाय उन्हें 400 एसएआर (करीब 9350 रुपये) दिए जाते थे और उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए फर्जी अनुबंध बनाए जाते थे. जब मजदूरों ने विरोध किया तो जेद्दा में खोलौद अहमद अलकौजी नाम के एक नियोक्ता ने 10 साल के प्रतिबंध की धमकी दी. उसने मजदूरों से 10,000 एसएआर (करीब 2,31,075 रुपये) की फिरौती भी मांगी. जब मजदूरों ने कानूनी मदद मांगी तो नियोक्ता ने उन पर 10,000 एसएआर एडवांस लेने का झूठा आरोप लगाया, जिससे सऊदी लेबर कोर्ट में उनका मामला उलझ गया.

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