Holashtak 2023: इस साल 27 फरवरी से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक, अगले 9 दिन भूलकर भी न करें शुभ कार्य वरना झेलना पड़ेगा खामियाजा
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Holashtak 2023: इस साल 27 फरवरी से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक, अगले 9 दिन भूलकर भी न करें शुभ कार्य वरना झेलना पड़ेगा खामियाजा

What not to do in Holashtak 2023: इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू होने वाले हैं. इसके अगले 9 दिन हमें कुछ कार्य भूलकर नहीं करने हैं. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो परिवार पर भारी संकट आ सकता है. 

Holashtak 2023: इस साल 27 फरवरी से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक, अगले 9 दिन भूलकर भी न करें शुभ कार्य वरना झेलना पड़ेगा खामियाजा

Holashtak 2023 Starting Date: सनातन धर्म के मुताबिक हर साल होली से पहले के 8 दिन होलाष्ट कहलाते हैं. इस साल होलाष्टक की शुरुआत 27 फरवरी से हो रही है. वैसे तो होलाष्टक 8 दिनों के होते हैं लेकिन इस साल ये 9 दिनों के हैं. ये 27 फरवरी से शुरू होकर 7 मार्च तक चलेंगे. मान्यता है कि इन 9 दिनों में भूलकर भी कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए वरना पूरे परिवार पर संकट छा जाता है. आइए जानते हैं कि होलाष्टक के दौरान हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं. 

होलाष्टक में न करें ये कार्य (What not to do in Holashtak 2023)

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक होलाष्टक (Holashtak 2023) के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. इस अवधि में आप बेटे-बेटी या भाई-बहन का रिश्ता पक्का नहीं कर सकते. 

जब होलाष्टक चल रहा होता है तो विवाह कार्य पूरी तरह वर्जित होता है. इस दौरान शादी के कार्यक्रम को टालना चाहिए और शुभ घड़ी में इसे अंजाम देना चाहिए. 

होलाष्टक के दौरान कोई भी नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है और व्यक्ति को इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं. 

धार्मिक विद्वानों के अनुसार होलाष्टक की अवधि में मुंडन, गृह प्रवेश या अन्य कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. 

जब होलाष्टक (Holashtak 2023) चल रहे हों तो बेटी या बहू की विदाई नहीं करते. ऐसा करना अशुभ परिणाम देता है, जिसका जीवन पर गंभीर असर पड़ता है. 

क्यों अशुभ होता है होलाष्टक? 

ज्योतिष के विद्वानों के मुताबिक होली (Holashtak 2023) से पहले की 8 तिथियां होती हैं, जिन्हें फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा कहा जाता है. इन सब तिथियों को अशुभ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक इन्हीं तिथियों में हिरणाकश्यप ने अपने बेटे भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए घोर यातनाएं दी थी, जिससे वह भगवान विष्णु का नाम लेना भूल जाए. यही वजह है कि इन तिथियों में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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