Reliance Industries: साल 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) कर्जमुक्त होकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कंपनी का कर्ज फिर से बढ़ गया है. मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली इस कंपनी पर लगभग 82 अरब डॉलर का कर्ज बढ़ गया है.
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Share Market: शेयर बाजार में नरमी की वजह से सेंसेक्स की टॉप 10 में से पांच कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है. बीते सप्ताह सामूहिक रूप से इन कंपनियों के मार्केट कैप में 1,85,952.31 करोड़ रुपये की कमी आई है. सबसे ज्यादा नुकसान HDFC बैंक को हुआ है.
बीते सप्ताह सेंसेक्स 1,844.2 अंक या 2.32 प्रतिशत नीचे आया. वहीं, निफ्टी 573.25 अंक या 2.38 प्रतिशत के नुकसान में रहा. समीक्षाधीन सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और आईटीसी के बाजार मूल्यांकन में गिरावट आई. वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), भारती एयरटेल, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और शीर्ष 10 की सूची में हाल में शामिल हुई एचसीएल टेक्नोलॉजीज की बाजार हैसियत बढ़ी है.
सप्ताह के दौरान एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 70,479.23 करोड़ रुपये घटकर 12,67,440.61 करोड़ रुपये रह गया. आईटीसी का बाजार मूल्यांकन 46,481 करोड़ रुपये घटकर 5,56,583.44 करोड़ रुपये पर आ गया. एसबीआई की बाजार हैसियत 44,935.46 करोड़ रुपये घटकर 6,63,233.14 करोड़ रुपये रह गई.
रिलायंस इंडस्ट्रीज को 12 हजार करोड़ का नुकसान
वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 12,179.13 करोड़ रुपये घटकर 16,81,194.35 करोड़ रुपये पर आ गया. आईसीआईसीआई बैंक के मूल्यांकन में 11,877.49 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 8,81,501.01 करोड़ रुपये पर आ गया.
साल 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) कर्जमुक्त होकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कंपनी का कर्ज फिर से बढ़ गया है. मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली इस कंपनी पर लगभग 82 अरब डॉलर का कर्ज बढ़ गया है.
इस बीच रिलायंस के शेयर में भी लगातार गिरावट जारी है. जुलाई 2024 में जहां कंपनी का एक शेयर 1610 रुपये का था, वहीं अब 1218 रुपये तक गिर गया है. इसी अवधि में निफ्टी 50 ने नेगेटिव 1.9% का रिटर्न दिया है. पिछले एक साल में स्टॉक में 5% की गिरावट आई है, जबकि निफ्टी 50 ने 10% की बढ़त दर्ज की है.
कंपनी के शेयर में गिरावट की क्या है वजह?
कंपनी के प्रदर्शन में गिरावट की मुख्य वजह गिरते तेल के दाम हैं, जो इसके रिफाइनिंग बिजनेस पर सीधा असर डालते हैं. इस गिरावट ने कंपनी की आय को प्रभावित किया है, जिससे Q2 FY25 में इसका एबिटडा मार्जिन 8% पर आ गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 11% था. इसके अलावा, प्रमुख टेलीकॉम बिजनेस जियो को भी झटका लगा है, जिसमें टैरिफ बढ़ने के कारण 11 मिलियन ग्राहक कम हुए हैं.
रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भी कंपनी के सामने कई चुनौतियां सामने आई हैं. कंपनी के सबसे बड़े सोलर गीगा फैक्ट्री प्रोजेक्ट में देरी हुई है, जिससे भविष्य की योजनाओं पर असर पड़ सकता है. इन सभी कारणों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की वित्तीय स्थिति और शेयर बाजार के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाला है.