सिर्फ आस्था की डुबकी नहीं, इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज, समझिए दुनिया के सबसे बड़े मेले महाकुंभ का अर्थशास्त्र
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सिर्फ आस्था की डुबकी नहीं, इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज, समझिए दुनिया के सबसे बड़े मेले महाकुंभ का अर्थशास्त्र

 Maha Kumbh 2025 Economy Impact: आस्था, धर्म और परंपरा का एक अद्भुत संगम महाकुंभ 13 जनवरी से संगमनगरी प्रयागराज में शुरू हो रहा है. दुनिया के सबसे बड़े मेले में इस साल 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम नगरी पहुंचने की संभावना है.

सिर्फ आस्था की डुबकी नहीं,  इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज, समझिए दुनिया के सबसे बड़े मेले महाकुंभ का अर्थशास्त्र

Maha Kumbh 2025:  आस्था, धर्म और परंपरा का एक अद्भुत संगम महाकुंभ 13 जनवरी से संगमनगरी प्रयागराज में शुरू हो रहा है. दुनिया के सबसे बड़े मेले में इस साल 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम नगरी पहुंचने की संभावना है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करेंगे. यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मेला है, जो देश की इकोनॉमी को बूस्टर डोज देगा.  

45 दिन के मेले से क्या सब मिलेगा ?  

दुनिया का सबसे बड़ा मेला जो 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो रहा है, जो 26 फरवरी तक चलेगा.45 दिनों में इस संगम में आस्था नगरी प्रयागराज में दुनियाभर से लोग पहुंचेंगे.  महाकुंभ में तमाम साधु-संत श्रद्धालु और महात्मा हजारों किलोमीटर का सफर तय कर धर्म की नगरी में आस्था डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. ये कुंभ सिर्फ धर्म और आस्था का नहीं बल्कि देश की आर्थिक प्रगति में बड़ा रोल निभाने वाला है.  

कितना है महाकुंभ का बजट

7000 करोड़ रुपये के बजट से महाकुंभ नगरी का पूरा मेकओवर किया गया है. दुनियाभर की बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां पहुंच रही है. महाकुंभ के आयोजन में 421 परियोजनाओं पर काम चला.  प्रयागराज की बुनियादी ढ़ांचे को विकसित करने से लेकर यातायात व्यवस्था, सुरक्षा, स्वच्छता से लेकर भक्तों की सुविधाओं के प्रबंधन में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है.  

4 लाख करोड़ रुपये के रेवेन्यू की उम्मीद

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक जनसमागम महाकुंभ से अर्थव्यवस्था में लगभग चार लाख करोड़ रुपये का योग बन रहा है. यह महाकुंभ आस्था के साथ अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ कर रहा है.  उम्मीद की जा रही है कि इस महाकुंभ से भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा, 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होगा. इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, इस महाकुंभ में 4 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का व्यापार हो सकता है.  इससे देश की नॉमिनल और रियल जीडीपी एक प्रतिशत से भी अधिक बढ़ सकती है.  

40 से 45 करोड़ पर्यटक 

उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इस आयोजन में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों को मिलाकर करीब 40 करोड़ पर्यटक आएंगे. सरकार के अनुमान के मुताबिक, अगर 40 करोड़ पर्यटकों में से हर एक औसतन 5,000 रुपये खर्च करता है, तो महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हो सकता है. इंडस्ट्री का अनुमान है कि इस मेगा इवेंट में प्रति व्यक्ति औसत खर्च 10,000 रुपये तक हो सकता है और इस दौरान कुल 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हो सकता है.  

विदेशी कंपनियों का जमावड़ा  

भारत के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी 45-दिवसीय कार्यक्रम के दौरान अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए महाकुंभ में जगह बनाने की होड़ में हैं. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) से लेकर फार्मा सेक्टर तक और मोबिलिटी प्रोवाइडर्स से लेकर डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म तक, कंपनियां महाकुंभ में ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सकती हैं.  सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने महाकुंभ मेला 2025 में विभिन्न संरचनाओं के निर्माण के लिए लगभग 45,000 टन स्टील की आपूर्ति की है. महारत्न कंपनी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए स्टील में चेकर्ड प्लेट, हॉट स्ट्रिप मिल प्लेट, माइल्ड स्टील प्लेट, एंगल और जोइस्ट शामिल हैं. सनातन धर्म के अनुयायियों के सबसे बड़े समागम से पहले प्रयागराज में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं.  भव्य आध्यात्मिक समागम में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए 200 से अधिक सड़कों का निर्माण और अपग्रेड किया गया है.   3 लाख से अधिक पौधों से शहर की सड़कों का सौंदर्यीकरण किया गया है.  

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