Ratan Tata: टाटा ग्रुप का नाम को एक बच्चे से लेकर बूढ़े तक की जुबान पर है. लेकिन इसकी सफलता में जिस महिला का हाथ है उसे शायद ही कोई जानता हो.
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Who is Lady Meharbai Tata: कहावत भी है हर सफल व्यक्ति के पीछे महिला का हाथ होता है. जी हां, यह कहावत देश के बड़े कारोबारी घरानों में से एक टाटा की सफलता पर फिट बैठती है. टाटा की सफलता की कहानी एक महिला के इर्द-गिर्द से होकर गुजरती है. टाटा ग्रुप का नाम को एक बच्चे से लेकर बूढ़े तक की जुबान पर है. लेकिन इसकी सफलता में जिस महिला का हाथ है उसे शायद ही कोई जानता हो. जी हां, इस महिला का नाम है लेडी मेहरबाई टाटा (Lady Meherbai Tata). लेडी मेहरबाई टाटा ने टाटा ग्रुप का बुरा समय आने पर अपने गहने तक गिरवी रख दिये थे.
आर्थिक तंगहाली से गुजरी कंपनी
एक समय टाटा ग्रुप की एक कंपनी आर्थिक तंगहाली से गुजर रही थी. तब लेडी मेहरबाई टाटा ने ही कंपनी को इस बुरे वक्त से निकाला. मेहरबाई ने गहनों को बैंक में रखकर धन इकट्ठा किया और टाटा स्टील को शिखर पर पहुंचाया. मशहूर लेखक हरीश भट्ट ने अपनी किताब Tata Stories: 40 Timeless Tales To Inspire You में लिखा कि किस तरह लेडी मेहरबाई ने टाटा स्टील को संकट से निकाला था. लेडी मेहरबाई जमशेदजी टाटा के बड़े पुत्र सर दोराबजी टाटा की धर्म पत्नी थीं. सर दोराबजी टाटा ने अपनी पत्नी के लिए लंदन के व्यापारियों से 245.35 कैरेट जुबली हीरा खरीदा था.
कर्मचारियों के वेतन तक के पैसे नहीं थे
यह हीरा कितना कीमती थी इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 1900 के दशक में इसकी कीमत करीब 1,00,000 पाउंड थी. लेकिन कहते हैं बुरा वक्त आते देर नहीं लगती. 1924 में ऐसा समय आया कि लेडी मेहरबाई को अपने बेशकीमती हीरे को बेचने का फैसला लेना पड़ा. यह समय ऐसा था जब टाटा स्टील के सामने कैश की किल्लत थी और कर्मचारियों को देने के लिए वेतन तक के पैसे नहीं थे. उस समय लेडी मेहरबाई आगे आईं और उन्होंने जुबली डायमंड समेत अपनी संपत्ति को इम्पीरियल बैंक में गिरवी रख दिया.
लेडी मेहरबाई के इस फैसले के बाद टाटा स्टील ने नया मुकाम बनाया. आज ग्रुप की इस कंपनी का नाम देश के साथ दुनियाभर में है. बाद में इस हीरे बेचकर सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का निर्माण कराया गया. इतने बड़े संकट के बावजूद कंपनी से कर्मचारियों की छंटनी नहीं की गई थी.
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