हिंदी बाएं से, उर्दू दाएं से; क्यों अलग-अलग दिशा में लिखी जाती हैं दोनों भाषाएं? जानिए किस लिपि में लिखी जाती है उर्दू
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हिंदी बाएं से, उर्दू दाएं से; क्यों अलग-अलग दिशा में लिखी जाती हैं दोनों भाषाएं? जानिए किस लिपि में लिखी जाती है उर्दू

Hindi Vs Urdu Writing: हिंदी और उर्दू के लिखने की दिशा में अंतर इतिहास, संस्कृति और धर्म के मिश्रण का नतीजा है. इन दोनों लिपियों की विशेषताएं हमें सिखाती हैं कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का भी अहम हिस्सा है.

हिंदी बाएं से, उर्दू दाएं से; क्यों अलग-अलग दिशा में लिखी जाती हैं दोनों भाषाएं? जानिए किस लिपि में लिखी जाती है उर्दू

Hindi And Urdu Written In Different Directions: भारत में हिंदी और उर्दू दो ऐसी भाषाएं हैं, जिनका मूल एक ही है लेकिन लिखने की दिशा में बड़ा अंतर पाया जाता है. जहां हिंदी देवनागरी लिपि में बाएं से दाएं लिखी जाती है. वहीं, उर्दू नस्तालिक लिपि में दाएं से बाएं लिखी जाती है. यह अंतर इतिहास, संस्कृति और धार्मिक प्रभावों का परिणाम है, जिसे समझने के लिए हमें इनके विकास के पन्नों को पलटना होगा.

हिंदी की लिपि
हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है. देवनागरी लिपि का विकास प्राचीन ब्राह्मी लिपि से हुआ, जो बाएं से दाएं लिखी जाती थी. इस लिपि में अक्षरों की संरचना और क्रमबद्धता ने हिंदी को सरल और समझने में आसान बना दिया है. यही कारण है कि आज हिंदी को भारत में बड़े पैमाने पर अपनाया गया है.

उर्दू की लिपि
वहीं, उर्दू भाषा नस्तालिक लिपि में लिखी जाती है, जो अरबी और फारसी लिपि से विकसित हुई है. नस्तालिक में अक्षर दाएं से बाएं लिखे जाते हैं. यह शैली उर्दू के सौंदर्य और शायरी में चार चांद लगाती है, परंतु इसके पीछे की परंपरा और इतिहास भी उतने ही रोचक हैं.

लिखने की दिशा में अंतर
हिंदी और उर्दू के लिखने की दिशा का अंतर उनके विकास के अलग-अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों से जुड़ा है. जहां हिंदी का विकास प्राचीन भारतीय सभ्यता के प्रभाव में हुआ, वहीं उर्दू का विकास मध्य और पश्चिमी एशियाई सभ्यताओं के संपर्क में आने से हुआ. इस सांस्कृतिक मिलन ने दोनों भाषाओं में लिखने की अलग-अलग परंपराओं को जन्म दिया.

धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव
धार्मिक मान्यताओं का भी दोनों भाषाओं के लिखने के तरीके पर गहरा प्रभाव पड़ा है. हिंदू धर्म में जहां देवनागरी लिपि का उपयोग किया जाता है. वहीं, इस्लाम धर्म के प्रभाव में उर्दू नस्तालिक लिपि विकसित हुई. यह धार्मिक अंतर दोनों भाषाओं की लिखावट में स्पष्ट तौर पर नजर आता है.

भाषाई समानताएं
हालांकि, हिंदी और उर्दू लिखने की दिशा में अलग हैं, लेकिन दोनों भाषाओं का मूल हिंदुस्तानी है. दोनों में व्याकरण, शब्दावली और साहित्य की कई समानताएं पाई जाती हैं. यही समानताएं इन्हें एक दूसरे से जोड़ती हैं और दोनों भाषाओं के प्रेमियों के बीच संवाद को सरल बनाती हैं.

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