Postal Ballot: झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों समेत उपचुनावों में सबसे पहले पोस्टल बैलेट के वोटों की काउंटिंग हुई. क्या आप जानते हैं कि पोस्टल बैलेट क्या है और इनके जरिए वोटिंग कैसे होती है...
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Postal Ballot Counting In Election Results: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के साथ ही देश में हुए उपचुनावों के लिए आज वोटों की गिनती की जा रही है. वोटिंग की काउंटिंग के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है. इन्हें डाक मतपत्र के नाम से भा जाना जाता है. क्या आपको पता है कि पोस्टल बैलेट क्या हैं और इन्हें सबसे पहले क्यों गिना जाता है. चलिए यहां जानते हैं सबकुछ...
इस समस्या का समाधान है पोस्टल बैलेट
भारत में होने वाले चुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन की यह कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोटिंग कर सकें, लेकिन बहुत से लोग अपने गृहनगर जाकर वोट दे पाने की स्थिति में नहीं होती है. ऐसे लोगों के लिए जो व्यवस्था की गई है, उसे पोस्टल बैलेट या डाकमतपत्र कहा जाता है. इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि अपने होम टाउन से दूर रहने वाले लोग भी वोटिंग में हिस्सा ले सके.
चुनाव आयोग लोगों को पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डालने की सुविधा देता है. इलेक्शन कमीशन द्वारा यह पहले ही तय कर लिया जाता कि कितने लोगों को पोस्टल बैलेट देना है. इसके बाद कागज पर मुद्रित मतपत्र भेजा जाता है. इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांस्मिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) कहा जाता है. पोस्टल बैलेट प्राप्त करने वाला अपने पसंदीदा प्रत्याशी के इलेक्ट्रॉनाम पर ठप्पा लगाकर इसे इलेक्ट्रॉनिक या पोस्ट के जरिए आयोग को लौटा देता है.
किन लोगों द्वारा होता है इस्तेमाल?
क्यों पहले होती है पोस्टल बैलेट की गिनती?
वोटों की गिनती के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होती है. इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है, क्योंक डाक मत पत्र कम होते हैं और ये इनकी काउंटिग आसानी से हो जाती है. यही वजह है की पोस्टल बैलेट कीकाउंटिंग सबसे पहले की जाती है.