Karti Chidambaram: कार्ति चिदंबरम ने चीनी नागरिकों को गलत तरीके से वीजा दिलाया? जानिए पूरा मामला
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Karti Chidambaram: कार्ति चिदंबरम ने चीनी नागरिकों को गलत तरीके से वीजा दिलाया? जानिए पूरा मामला

Money Laundering Case: इस मामले में ED कार्ति को दो बार पूछताछ के लिये बुला चुकी थी लेकिन वो नहीं आये थे. ये तीसरी बार पूछताछ के लिये बुलाया गया था जिसमें वो एजेंसी के सामने पूछताछ के लिये पेश हुए हैं. इस मामले में सीबीआई कार्ति के करीबी भास्करण को गिरफ्तार कर चुकी है.

Karti Chidambaram: कार्ति चिदंबरम ने चीनी नागरिकों को गलत तरीके से वीजा दिलाया? जानिए पूरा मामला

Karti Chidambaram appears before ED in money laundering case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम आज दिल्ली में कांग्रेस के सांसद और पूर्व गृहमंत्री के बेटे कार्ति चिदंबरम से पूछताछ कर रही है. ये पूछताछ साल 2011 के एक मामले में की जा रही है जिसमें आरोप है कि कार्ति ने 50 लाख रुपये रिश्वत लेकर चाइनीज नागरिकों को गलत तरीके से वीजा दिलवाया. इस मामले में सीबीआई ने 14 मई 2022 को दो कंपनियों समेत 5 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आपको बताते चलें कि सीबीआई ने मार्च 2022 में कार्ति चिदंबरम और दूसरे आरोपियों के खिलाफ PE (Preliminary Enquiry) दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी.

गंभीर आरोपों की जांच जारी

आरोप था कि कार्ति चिदंबरम ने वेदांता ग्रुप की कंपनी TSPL (Talwandi sabo Power Ltd) पंजाब में चल रहे प्रोजेक्ट में काम कर रहे चाइनीज एक्सपर्ट को वीजा दिलाने में मदद की और इसके बदले रिश्वत ली. इसी जांच में तथ्य सामने आने के बाद सीबीआई ने 14 मई 2022 को मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी. इस मामले में सीबीआई ने जुलाई 2022 में कार्ति चिदंबरम और दूसरे आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी कर सबूत भी जुटाये थे. इसी मामले के आधार पर ED ने आरोपियों के खिलाफ मनी लॉड्रिग का मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी.

कई साल पुराना मामला

सीबीआई और ED में दर्ज मामले और अभी तक की जांच के मुताबिक साल 2011 में TSPL पंजाब के मानसा में चीनी कंपनी की मदद से 1980 मेगावॉट का थर्मल पॉवर प्लांट लगा रही थी. लेकिन इस काम में देरी हो रही थी जिसकी वजह से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता था क्योंकि समय पर थर्मल पॉवर प्लांट चालू ना होने पर सरकार और बैंक पैनल्टी लगा सकते थे. इसके लिये कंपनी के अधिकारी विकास मखारिया ने कार्ति के करीबी भास्करण से संपर्क किया और उसके कहने पर 30 जुलाई 2011 को गृह मंत्रालय के विदेश विभाग को प्लांट लगाने वाली चीनी कंपनी Shandong Electric Power Construction Corp(SEPCC)- के 263 एक्सपर्ट को वीजा देने के लिये लिखा.

क्रोनोलॉजी समझिए

भारत सरकार ने अक्टूबर 2010 में प्रोजेक्ट वीजा की शुरूआत की थी जिसमें पॉवर और स्टील कंपनियों के लिये स्किल्ड कर्मचारियों को इस कैटेगरी में वीजा दिया जाता था और इसमें Re-Use का कोई प्रोविजन नहीं था. हालांकि बेहद खास स्थिति में गृह सचिव इस को मंजूरी दे सकते थे. लेकिन जिस तरह के उस समय हालात थे, ये माना जा सकता है कि ये वीजा गृह मंत्री की मंजूरी से ही संभव है.

लेकिन आरोप है कि TSPL कंपनी ने कार्ति के करीबी भास्करण के कहने पर जुलाई 2011 में वीजा को बढ़ाने के लिये लिखा. उस दौरान कार्ति के पिता गृह मंत्री थे. इसके बाद 17 अगस्त को विकास ने गृह मंत्रालय को लिखे इमेल को भास्करण को भेजा और भास्करण ने इसे कार्ति को भेजा. एजेंसी के मुताबिक कार्ति ने इस बारे में पी चिदंबरम से बात की और वीजा के बदले 50 लाख रुपये मांगे गये. विकास की तरफ से 50 लाख देने के बाद 30 अगस्त 2011 को गृह मंत्रालय की तरफ से वीजा जारी कर दिया गया.

जांच में पता चला कि भास्करण ने विकास के कहने पर सुशील मोरक्का की कंपनी M/s Bell Tools Ltd को Consultancy Service के नाम पर दो बिल भेजे जिसके बाद TSPL ने Bell Tools को चेक से पेमेंट दी और फिर कंपनी ने कैश पेमेंट भास्करण को दी. इसमें खास बात ये है कि Bell Tools बडी कंपनियों में इस्तेमाल होने वाले 'Industrial Knife' बनाती है और इसके अलावा इसका कोई काम नहीं है.

इसके बाद 2 सितंबर 2011 को विकास ने भास्करण और कार्ति को इमेल लिख कर धन्यवाद किया और साथ ही वीजा जारी करने की मंजूरी भी उसमें भेजी जिससे जाहिर होता है कि कैसे और किसके कहने पर कंपनी को चाईनीज एक्सपर्ट को वीजा जारी किये गये.

इस मामले में ED कार्ति को दो बार पूछताछ के लिये बुला चुकी थी लेकिन वो नहीं आये थे. ये तीसरी बार पूछताछ के लिये बुलाया गया था जिसमें वो एजेंसी के सामने पूछताछ के लिये पेश हुए हैं. इस मामले में सीबीआई कार्ति के करीबी भास्करण को गिरफ्तार कर चुकी है.

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