Election Analysis: 2024 में दुनिया के करीब 70 देशों के चुनाव में करीब 50% आबादी वोट डालेगी. शक्तिशाली देशों की बात करें तो भारत और ब्रिटेन में सरकार बन चुकी है. अब निगाहें अमेरिका पर हैं. प्रचार में नैरेटिव गढ़ना अहम होता है. ऐसे में चर्चा है कि जो भारत-UK में हुआ कहीं कुछ वैसा अमेरिका में तो नहीं होने जा रहा?
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Narendra Modi Rishi Sunak Donald Trump: चुनाव कहीं के भी हों, नारों के जरिए सियासी माहौल बनाने यानी चुनावी हवा अपने फेवर में करने की रीत रही है. चुनाव अब इवेंट जैसे हो गए हैं. नारों से नैरेटिव गढ़ दिया जाता है. फिर रैलियों में एक दूसरे की काट ढूंढी जाती है और जुबानी जमा खर्च से विरोधी को चक्रव्यूह में घेरने का ट्रेंड सा चल रहा है. बात अमेरिका की जहां ट्रंप फिर से जीतने के लिए माहौल बना रहे हैं. ट्रंप ने अपनी रैली में 'क्रिश्चियन कार्ड' चला. उनके समर्थकों ने इसे तुरुप का इक्का बताया. अब उनके विरोधी कह रहे हैं कि ये 'ट्रंप' कार्ड नहीं बल्कि पॉलिटिकल ब्लंडर था.
ट्रंप ने जो कहा वो बात उनकी रिपब्लिकंस के एजेंडे और नैरेटिव के हिसाब से ठीक थी. सब अपने लिए वोट मांगते हैं. उसमे कोई बुराई नहीं. लेकिन बयान कोई भी हो शब्दों का चयन मायने रखता है. कई बार शब्द की चोट अस्त्र-शस्त्र से भारी पड़ जाती हैं. ऐसे में ट्रंप कुछ ऐसा बोल गए कि उनका बयान विरोधी डेमोक्रेट्स ने हाथों-हाथ लपका और ट्रंप को उसी में घेर दिया.
ट्रंप ने क्रिश्चियन कम्युनिटी से अपील करते हुए कहा, 'आप मुझे वोट दीजिए इसके बाद आपको वोट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मैं सब फिक्स कर दूंगा.'
अब उनके विरोधी कह रहे हैं कि ट्रंप का बयान लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. वो जीत गए तो दुनिया की सबसे पुरानी डेमोक्रेसी वाले देश से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ह्यूमन राइट्स अटॉर्नी एंड्रयू सिएडल ने आरोप लगाया, 'ट्रंप जीते तो फिर चुनाव नहीं होने देंगे'. तो NBC लीगल एडवाइजर केटी ने कहा, 'ट्रंप के जीतने पर अमेरिका में लोकतंत्र का काउंटडाउन शुरू हो जाएगा.'
दूसरी ओर रिपब्लिकन कैंडिडेट की पॉपुलैरिटी का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद के लिए रिकॉर्ड समर्थन मिला है. जूम कॉल पर दो लाख से ज्यादा समर्थक जुड़ते ही कमला ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए दावेदरी का ऐलान कर दिया.
अब बात ब्रिटेन में हाल ही में खत्म हुए चुनावों की वहां पूर्व पीएम ऋषि सुनक की सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी बुरी तरह चुनाव हार गई. उनकी विरोधी लेबर पार्टी से अबकी बार 400 बार का नारा जो भारत में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी ने पूरे चुनाव प्रचार में जोर शोर से लगाया वो तो वैसे नतीजे नहीं ला पाए लेकिन सुनक के विरोध में उतरी पार्टी ने 400 से ज्यादा सीटें जीतकर सुनक की पार्टी का सूपड़ा साफ कर दिया.
आपको बताते चलें कि सुनक के खिलाफ उनके विरोधियों ने चुनावों का ऐलान होते ही माहौल बनाया जाने लगा कि अगर सुनक चुनाव हार गए तो अमेरिका शिफ्ट हो जाएंगे, जहां वो पहले भी काम कर चुके थे. 'द गार्जियन' में भी ऐसी ही रिपोर्ट छपी थी. वहां विपक्षी दलों के दावों और सूत्रों के हवाले से कई बार दोहराया गया कि सुनक कैलिफोर्निया में AI वेंचर कैपिटल के क्षेत्र में जा सकते हैं.
सुनक विरोधी गोल्डस्मिथ ने कहा, कैलिफोर्निया में सुनक की बहुत प्रापर्टी है. सुनक वोटिंग होने से लेकर नतीजे आने के बाद तक कई बार सफाई दे चुके हैं. वो अपने अमेरिका जाने की अटकलों को खारिज कर चुके हैं.
सुनक भी अपने खिलाफ गढ़े गए नैरेटिव को काउंटर नहीं कर पाए.
अब बात भारत की तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 2014 से लगातार जीत कर बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार देश चला रही है. 2024 को लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अबकी बार 400 पार का नारा दिया और उनके प्रमुख विरोधियों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस नारे की ऐसी काट निकाली की लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद कुछ बीजेपी नेताओं ने खुलकर कह दिया कि इस चार सौ पार वाले नारे ने बैकफायर किया.
दरअसल विपक्ष के नेता बीजेपी के बड़े नेताओं के हवाले से लगातार ये नैरेटिव गढने में कामयाब हुए कि अबकी बार बीजेपी आ जाएगी और चार सौ पा जाएगी तो संविधान बदलकर आरक्षण खत्म कर देगी. बीजेपी ने कभी खुलकर इस बात पर रिएक्शन न दिया हो लेकिन इस बात में कितना दम रहा ये बात वहां किसी से छिपी नहीं है.
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भारत में 4 जून को नतीजे आए तो बीजेपी ने 240 सीटें जीतकर सहयोगियों के साथ सरकार तो बना ली लेकिन अपने दम पर स्पष्ट बहुमत से 32 सीटें कम रह गई. अब पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स के बीच चर्चा है कि चुनावी रैलियों में नैरेटिव गढ़ने के जिस ट्रेंड ने भारत में मोदी और ब्रिटेन में सुनक को नुकसान पहुंचाया, कहीं वैसा कुछ ट्रंप के साथ तो नहीं रिपीट हो जाएगा.