Explainer: चुनावों में खाता भी नहीं खुलता, फिर क्यों राहुल को चाहिए मायावती की बसपा का साथ? गणित समझ लीजिए
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Explainer: चुनावों में खाता भी नहीं खुलता, फिर क्यों राहुल को चाहिए मायावती की बसपा का साथ? गणित समझ लीजिए

Rahul Gandhi on Mayawati: हाल ही में राहुल गांधी ने बसपा प्रमुख मायावती के चुनाव लड़ने की रणनीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि वो चुनाव ठीक से नहीं लड़ रही हैं. अगर वो इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़तीं तो हम भाजपा को हरा सकते थे. तो चलिए जानते हैं राहुल के इस दावे में कितना दम है.

Explainer: चुनावों में खाता भी नहीं खुलता, फिर क्यों राहुल को चाहिए मायावती की बसपा का साथ? गणित समझ लीजिए

Rahul Gandhi and Mayawati: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल ही बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती की मौजूदा चुनावी रणनीति पर सवाल उठाया है. उत्तर प्रदेश में दलित छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने पूछा,'बहनजी आजकल चुनाव ठीक से क्यों नहीं लड़ रही हैं?' राहुल गांधी ने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने मायावती को INDIA गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. राहुल का मानना है कि अगर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP) और BSP एक साथ आते, तो बीजेपी की हार तय थी.

मायावती ने भी दिया जवाब

राहुल गांधी के बयान के बाद मायावती ने तुरंत पलटवार किया. उन्होंने कांग्रेस पर 'जातिवादी और दुर्भावनापूर्ण' रवैया अपनाने का आरोप लगाया. बसपा प्रमुख ने कांग्रेस की उस रणनीति की भी आलोचना की, जिसके तहत दिल्ली में पार्टी अकेले चुनाव लड़ी, जबकि वहां AAP (आम आदमी पार्टी) पहले से INDIA गठबंधन में थी. इससे बीजेपी को सीधा फायदा हुआ और दिल्ली में सभी सीटें जीतने में कामयाब रही.

लोकसभा चुनाव में BSP का कितना असर?

2024 के लोकसभा चुनावों में BSP को एक भी सीट नहीं मिली लेकिन फिर भी उसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में साफ नजर आया. BSP के उम्मीदवारों ने INDIA गठबंधन को कम से कम 16 सीटों पर प्रभावित किया, जैसे कि हरदोई, अलीगढ़, मेरठ, उन्नाव और मिर्जापुर. अगर मायावती ने राहुल और अखिलेश के साथ गठबंधन कर लिया होता और उनके वोट INDIA गठबंधन को मिलते, ऐसे में गठबंधन 59 सीटें जीत सकता था और NDA को सिर्फ 20 पर रोका जा सकता था. जिसके नतीजे में राष्ट्रीय स्तर पर इससे INDIA गठबंधन की सीटें बढ़कर 250 हो जातीं, जबकि NDA की सीटें 277 होतीं. हालांकि इससे भी INDIA गठबंधन सत्ता से दूर ही रहता लेकिन वह और मजबूत हालत में होता.

मायावती का न्यूट्रल रहना फायदेमंद भी रहा?

हालांकि मायावती के न्यूट्रल रहने का फायदा भी INDIA गठबंधन को मिला. उत्तर प्रदेश में जिन 43 सीटों पर कांग्रेस-SP गठबंधन जीता, उनमें से 31 सीटों पर मायावती के वोटों की वजह से बीजेपी हार गई. अगर मायावती इन सीटों पर NDA में शामिल हो गई होती तो बीजेपी 31 और सीटें जीतकर INDIA गठबंधन को पूरी तरह से कमजोर कर देती.

INDIA ब्लॉक के साथ होती मायावती तो क्या होता?

कांग्रेस-एसपी गठबंधन के ज़रिए जीती गई 43 सीटों में से 31 सीटें ऐसी थीं, जहां मायावती को काफी वोट मिले, जिसके नतीजे में बीजेपी की हार हुई. आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर जैसी सीटों पर इंडिया ब्लॉक बीजेपी को हरा सकता था, क्योंकि मायावती न्यूट्रल थीं और उन्हें काफी वोट मिले थे. इन सीटों पर अगर मायावती इंडिया ब्लॉक के साथ होतीं तो बीजेपी पर उनकी जीत का अंतर बढ़ जाता.

राहुल को शुक्रिया अदा करना चाहिए

इसके उलट देखें और सोचें कि अगर मायावती NDA गठबंधन के साथ होतीं तो क्या होता?  अगर मायावती ने एनडीए के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया होता तो वह इन सभी 31 सीटों पर जीत हासिल कर लेती और इंडिया ब्लॉक को खत्म कर देती. इसलिए जबकि राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक में शामिल न होने के लिए मायावती की आलोचना करने में आंशिक रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन उन्हें न्यूट्रल रहने और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल न होने के लिए बसपा प्रमुख का आभारी होना चाहिए.

यूपी में BSP की अहमियत बरकरार

BSP को इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में 9.39% वोट मिले, जो कांग्रेस के 9.46% वोट शेयर के करीब था. हालांकि BSP ज्यादातर सीटों पर तीसरे नंबर पर रही. चुनावी गणित के हिसाब से भले ही BSP कमजोर दिख रही हो, लेकिन उसकी भूमिका अब भी महत्वपूर्ण है. मायावती का अगला कदम INDIA गठबंधन और NDA, दोनों के लिए अहम रहेगा.

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