Kathua Terror Attack: जम्मू डिवीजन के कठुआ जिले में सेना के पैट्रोल वाहन पर हमला हुआ. सोमवार के आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हुए हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों की शहादत पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन चल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में तीन दिनों में आतंकवादी हमलों में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या सात हो गई. आतंकवादियों ने पिछले एक महीने के भीतर सातवीं बार जम्मू को निशाना बनाया है. कठुआ के जिस इलाके में सोमवार को हमला हुआ, वह 90 के दशक में आतंकियों का गढ़ था. हालांकि, पिछले दो दशक में यहां आतंकी वारदातें लगभग थम गई थीं. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ जो आतंकवादी फिर से जम्मू को टारगेट कर रहे हैं?
- कठुआ में ताजा आतंकी हमला किसने किया: रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमला सोमवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे लोहाई मल्हार में बदनोटा के पास मचेड़ी -किंडली-मल्हार रोड पर हुआ. यह जगह कठुआ जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर और जम्मू शहर से 230 किलोमीटर दूर है. रूटीन गश्त पर निकले सेना के वाहन को निशाना बनाया गया. आतंकियों ने ग्रेनेड्स और गोलियों की बौछार कर दी. हमले के बाद आतंकी पास के जंगलों में फरार हो गए. उनकी तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चल रहा है. इस हमले में कुल पांच जवान शहीद हुए जिनमें एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) भी शामिल है. इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के ऑफ-शूट आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है. आतंकियों द्वारा हमले में अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 का इस्तेमाल करने का दावा किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस हमले को पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया है. ये उन्हीं 7 आतंकियों का ग्रुप बताया जा रहा है जिनमें से तीन को डोडा जिले के गंदोह इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा ढेर कर दिया गया था.
- कठुआ ही क्यों: कठुआ की भौगोलिक स्थिति उसे आतंकियों के लिए टारगेट बनाती है. कठुआ के एक तरफ पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा है, तो दूसरी तरफ पंजाब और हिमाचल प्रदेश हैं. यह जिला जम्मू-कश्मीर के उधमपुर, डोडा और सांबा जिलों से भी सटा हुआ है. सोमवार को जहां हमला हुआ, वह इलाका कठुआ शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर मचेड़ी और लोहाई मल्हार के बीच में आता है. मचेड़ी में पहले से ही सुरक्षा बलों का एक बेस था क्योंकि यह इलाका 1990s में आतंकवाद का गढ़ था.
- पिछले हमलों से मिलता-जुलता है तरीका: घात लगाकर किए गए हमले का तरीका जम्मू में सैन्य काफिलों पर पिछले हमलों से मिलता-जुलता है. 4 मई को पुंछ जिले में दो IAF वाहनों पर घात लगाकर हमला किया गया था. पिछले साल 21 दिसंबर और 22 नवंबर को पुंछ और राजौरी जिलों में इसी तरह के हमलों में दो कैप्टन सहित 9 सैनिकों की जान चली गई थी.
- जम्मू बन रहा आतंकियों का निशाना: सोमवार को हुआ घात इस साल कठुआ में दूसरा बड़ा आतंकी हमला है, इससे पहले 11 जून को हीरानगर के सेडा सोहल गांव में गोलीबारी में एक सीआरपीएफ कांस्टेबल और दो संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए थे. पिछले एक महीने में जम्मू के भीतर हुआ यह सातवां आतंकी हमला है. इससे पहले, 7 जुलाई को मंजाकोट में मिलिट्री कैंप पर हमले में एक जवान घायल हुआ था. 26 जून को डोडा जिले के गंदोह में तीन आतंकियों को ढेर किया गया था. 12 जून को डोडा में दो-दो आतंकी हमले हुए जिसमें पांच सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे. 11 जून को कठुआ के हीरानगर में संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकियों के हमले में CRPF कांस्टेबल घायल हो गया था. 9 जून को, आतंकियों ने रियासी में श्रद्धालुओं की बस को निशाना बनाया था. 9 यात्री मारे गए थे.
- 3 दिनों में आतंकी हमलों में 7 जवान शहीद, अचानक क्यों बढ़ी आतंकी गतिविधियां: सोमवार को कठुआ में सेना के ट्रक पर हुए हमले में पांच की शहादत के बाद, जम्मू-कश्मीर में तीन दिनों में आतंकवादी हमलों में मरने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या सात हो गई है. शनिवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में अलग-अलग अभियानों में सेना की पैरा कमांडो यूनिट के लांस नायक प्रदीप नैन और 1 राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही प्रवीण जंजाल शहीद हो गए थे. J&K में हिंसा बढ़ने के पीछे एक बड़ी वजह बॉर्डर पार आतंकियों की रहस्यमयी हत्याओं को माना जा रहा है. पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (POK) में पिछले कुछ महीनों के भीतर 21 कश्मीरी आतंकियों की रहस्यमय ढंग से हत्या हुई है. इनमें रिटायर्ड पाकिस्तानी सेना ब्रिगेडियर और प्रमुख आईएसआई कार्यकर्ता आमिर हमजा की हत्या भी शामिल है.