Ajit Pawar take on RSS invite: संघ (RSS) मुख्यालय से महायुति (Mahayuti) को न्योता भेजने के बाद अजित पवार का वहां खुद न जाकर अपने एक विधायक भेजने के घटनाक्रम को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
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Ajit Pawar Absence At RSS Event: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में आयोजित एक बौद्धिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महायुति को न्योता भेजा गया था. संघ मुख्यालय नागपुर में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) तो शामिल हुए, लेकिन अजित पवार (Ajit Pawar) नहीं गए. इस आयोजन में बीजेपी और शिवसेना के कई विधायक मौजूद थे. लेकिन फडणवीस कैबिनेट के सेकेंड लेफ्टिनेंट यानी दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उस आयोजन का बायकाट करके अपने इरादे जता दिए हैं. पवार के इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
तीसरी बार ठुकराया संघ का न्योता
आपको बताते चलें कि अजित पवार के बीजेपी के पास आने के बाद से ये तीसरा मौका है, जब अजित ने आरएसएस का न्योता ठुकराया है वो भी तब, जब अजित नागपुर में ही मौजूद थे. आपको बताते चलें कि RSS मुख्यालय में अक्सर बीजेपी विधायकों के लिए एक बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन रखा जाता है. जिसमें बीजेपी के विधायक और संघ के पदाधिकारी राज्य एवं देश के समसामयिक मुद्दों पर मंथन करते हैं. 2024 के आखिर में ऐसा ही बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन था. बीजेपी की लैंड स्लाइड विक्ट्री के बाद इस बार संघ ने न सिर्फ बीजेपी बल्कि महाराष्ट्र में एनडीए के सभी विधायकों को न्योता भेजा था. हालांकि इनवाइट की खबर बाहर आते ही अजित के इस इवेंट का बायकाट करने की चर्चा चल रही थी.
कोर पॉलिसी पर कायम
लोकसभा चुनावों में एनसीपी की करारी हार और शरद पवार की राकांपा (शपा) की बड़ी जीत के बाद 6 महीने तक अजित चुप्पी साधे रहे, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की महाजीत के बाद और इंडिविजुअल कैपिसिटी में खुद को एनसीपी का असली वारिस साबित करने वाले अजित पवार ने हर मामले पर खुलकर बयान दिया. यहां तक जब एकनाथ शिंदे की मानमनौवल आखिरी दौर में था तब भी अजित पवार ने महायुति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुटकी लेते हुए कह दिया था कि शिंदे शपथ लेंगे या नहीं, ये वो नहीं जानते पर वे अगले दिन जरूर शपथ ले रहे हैं.'
क्या इसलिए संघ से दूरी?
अजित के इस फैसले को उनके खांटी समर्थक दूर की कौड़ी मान रहे हैं. उनका कहना है कि संघ परिवार या हिंदुत्व की विचारधारा से पहले जैसी दूरी बनाए रखने का स्पष्ट संकेत देना इस बात को दर्शाता है कि उनकी पार्टी के दो फाड़ से पहले कि जो कोर नीति रही है, उस पर वो कायम रहेंगे. यानी परिस्थितियों की वजह से वो बीजेपी के साथ हैं लेकिन एनसीपी के वोट बैंक खासकर अल्पसंख्यक मतदाताओं को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है.
बीजेपी के साथ जाने को लेकर वो अपने लोगों को समझा चुके हैं कि - काम कराने के लिए सत्ता में रहना जरूरी है, इसके बावजूद अगर अजित RSS मुख्यालय जाते तो उनपर जो टैग लगता उससे उनके मतदाताओं के खफा होने का खतरा बढ़ सकता था.
बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल होने के बावजूद, अजित पवार लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने शिवाजी महाराज, फुले और आंबेडकर की विचारधारा को नहीं छोड़ा है. अजित लगातार ये कहते आए हैं कि उनकी पार्टी अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से समझौता नहीं करेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि संघ के आयोजन से उचित दूरी बनाकर अजित पवार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं.
RSS मुख्यालय पहुंचे अजित के इकलौते विधायक?
अजित संघ मुख्यालय नहीं गए, लेकिन उनका एक विधायक खानापूर्ति करने पहुंचा. एनसीपी के तुमसर से विधायक राजू कारेमोरे संघ दफ्तर पहुंचे तब पत्रकारों के पूछने पर उन्होने कहा- व्यक्तिगत श्रद्धा की वजह से वो आए हैं.
चुनाव प्रचार में जब योगी आदित्यनाथ पूरे महाराष्ट्र में 'बंटेंगे तो कटेंगे' की बात कर रहे थे तब भी अजित पवार ने इसे आक्रामक नारा बताते हुए इसका विरोध किया था. मौके की नजाकत समझते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक रहेंगे सेफ रहेंगे' का नारा दिया था. जो कामयाब नारा साबित हुआ. जिसका फायदा बीजेपी को महाराष्ट्र में पहली बार सर्वाधिक सीटें जीतकर मिला.