अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने का बीड़ा उठाया है. सऊदी अरब में रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक भी की गई लेकिन यूक्रेन को अमेरिका ने आमंत्रित नहीं किया.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने का बीड़ा उठाया है. सऊदी अरब में रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक भी की गई लेकिन यूक्रेन को अमेरिका ने आमंत्रित नहीं किया. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इस बात से नाराज हो गए और कहा कि यूक्रेन को भरोसे में लिए बिना अमेरिका और रूस के बीच होने वाली किसी भी डील को वो स्वीकार नहीं करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप संभवतया इसी मौके का इंतजार कर रहे थे और इसके बाद वो जेलेंस्की पर बरस पड़े. उन्होंने कहा कि तीन साल से चल रहे युद्ध को जेलेंस्की ने रोकने का क्या प्रयास किया? युद्ध की शुरुआत जेलेंस्की ने की? वो यूक्रेन में चुनाव नहीं कराना चाहते. बिना चुनाव के वो तानाशाह बने रहना चाहते हैं. अचानक इस तरह के हमले से यूक्रेन हतप्रभ रह गया है क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के समय तक उसको भरपूर नैतिक और सैन्य समर्थन अमेरिका से मिल रहा था. इस पूरे मामले में ये जानना जरूरी है कि ट्रंप अचानक जेलेंस्की से इतने खफा क्यों नजर आ रहे हैं?
यूक्रेन की संपदा पर नजर
ट्रंप का कहना है कि युद्ध के नाम पर बाइडेन ने यूक्रेन को 300 अरब डॉलर की मदद दी लेकिन बदले में उनको कुछ नहीं मिला. ट्रंप का स्पष्ट तौर पर कहना है कि यदि अमेरिका की मदद चाहिए तो यूक्रेन को बदले में कुछ देना होगा. उनकी नजर यूक्रेन की खनिज संपदा पर है. यूक्रेन में टाइटेनियम, लिथियम, ग्रेफाइट के विशाल भंडार हैं. ये खनिज सेमीकंडक्टर, बैटरीज और हाई-टेक उपकरणों के निर्माण में जरूरी हैं. यदि अमेरिका को ये टाइटेनियम मिल जाए तो उसकी इस मामले में चीन और रूस पर निर्भरता कम हो जाएगी. इसलिए ही युद्ध में समर्थन देने के एवज में ट्रंप ने जेलेंस्की से यूक्रेनी खनिज भंडार में 50 प्रतिशत हिस्सा मांगा. जेलेंस्की ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया. बस इस बात से ट्रंप नाराज हैं.
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ट्रंप का गेम प्लान
2024 में यूक्रेन में चुनाव होना चाहिए था लेकिन युद्ध के कारण 2022 में वहां पर मॉर्शल लॉ लगा है. इस कारण वहां के प्रावधानों के तहत तय समय पर चुनाव नहीं हुए. जब तक युद्ध की स्थिति रहेगी और मॉर्शल लॉ रहेगा तो ये व्यवस्था बनी रहेगी. यानी जेलेंस्की बिना चुनाव के सत्ता में बने रहेंगे. ट्रंप का मानना है कि जेलेंस्की को डील करना कठिन काम है इसलिए उनको बदला जाना चाहिए. ट्रंप की रणनीति है कि यदि यूक्रेन में चुनाव करा लिया जाए तो आज की स्थिति को देखते हुए जेलेंस्की सत्ता से बाहर हो सकते हैं क्योंकि उनके नेतृत्व में यूक्रेन को रूस के खिलाफ कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली है. इसके उलट यूक्रेन के करीब 20 प्रतिशत भूभाग पर रूस का कब्जा हो चुका है.
ट्रंप की सोच है कि चुनाव के बहाने से जेलेंस्की को हटाया जा सकता है और उनके हटते ही रूस के साथ कोई डील हो सकती है. रूस के साथ अमेरिका सीजफायर की डील करना तो चाहता है लेकिन यूक्रेन को कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं देना चाहता. जेलेंस्की भी रूस के साथ समझौता करना चाहते हैं लेकिन वो बिना सुरक्षा की गारंटी के ऐसा नहीं करना चाहते. बस यही पेंच है जिस कारण मामला फंस गया है. इन बातों के कारण ही ट्रंप को लगता है कि जेलेंस्की को हटाए बिना सीजफायर वाली बात नहीं बनेगी. लिहाजा जेलेंस्की से छुटकारा पाने की चाल चली जा रही है.