मानसून के मौसम में खांसी-जुकाम आम बात है. इस दौरान ज्यादातर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ओवर-द-काउंटर दवाएं ले लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दवाओं में मिलावट हो सकती है?
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मानसून के मौसम में खांसी-जुकाम आम बात है. इस दौरान ज्यादातर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ओवर-द-काउंटर दवाएं ले लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दवाओं में मिलावट हो सकती है? जी हां, हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि भारत में बिकने वाली कई खांसी की दवाओं में मिलावटी पदार्थ पाए गए हैंय
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएसओ) ने 7087 बैचों का टेस्ट किया, जिसमें से 353 बैचों में क्वालिटी की कमी पाई गई. इनमें से कई बैचों में डाइथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले पदार्थ मिले हैं. ये पदार्थ आमतौर पर एंटीफ्रीज, ब्रेक फ्लुइड और पेंट में इस्तेमाल होते हैं.
अंगों को पहुंचा है नुकसान
इन जहरीले पदार्थों के सेवन से किडनी, लिवर और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है. कुछ मामलों में तो मौत भी हो सकती है. यह पहली बार नहीं है जब भारतीय खांसी की दवाओं में मिलावट पाई गई है. इससे पहले भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कई भारतीय दवाओं को खतरनाक बताया था.
खांसी की दवा खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
* दवा खरीदते समय लेबल जरूर पढ़ें. इसमें दवा के घटक, निर्माण की तारीख और एक्सपायरी डेट की जानकारी होती है.
* जितना हो सके ब्रांडेड दवाएं खरीदें. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सभी ब्रांडेड दवाएं सुरक्षित हैं.
* स्टोर की विश्वसनीयता पर ध्यान दें, दवा हमेशा किसी अच्छी दुकान से ही खरीदें.
* अगर आपको खांसी या जुकाम की समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लें. वह आपको सही दवा बता सकते हैं.
* अगर दवा लेने के बाद आपको कोई साइड इफेक्ट हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
सरकार क्या कर रही है?
सरकार ने दवा कंपनियों को दवाओं की क्वालिटी पर ध्यान देने के लिए कहा है. साथ ही, दवाओं के टेस्ट को भी सख्त किया गया है. लेकिन इन उपायों के बावजूद भी हमें सावधान रहने की जरूरत है.