कोरोना महामारी के बीच लोगों को मौसम में बदलाव की मार भी झेलनी पड़ रही है. कहीं गर्मी तो कहीं बहुत ज्यादा बारिश हो रही है.
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच मौसम की नाराजगी भी लोगों को झेलनी पड़ रही है. एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, चीन और रूस समेत तमाम देशों में मौसम का प्रचंड रूप देखा जा सकता है.
भारत में उमस भरी गर्मी ने बुरा हाल कर रखा है. मानसून आने के बाद भी देश के कई हिस्से बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ऐसी उमस भरी गर्मी से बचने के लिए घरों में AC का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. अब लोगों की यही आदत उनके लिए आफत बन गई है. गर्मी से राहत पाने के लिए हम जिस एसी का इस्तेमाल कर रहे है. उसका ज्यादा इस्तेमाल ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) बढ़ा रही है. जिससे पूरा वातावरण तेजी से गर्म हो रहा है.
कई घरों में तो गर्मी से बचने के लिए 3 से 6 AC तक लगे हुए हैं. ऐसे लोगों का तर्क होता है कि लू चलने पर न तो हीटवेव में बच्चे अपने कमरे में रह सकते हैं और न ही लिविंग रूम में काम किया जा सकता है. गाजियाबाद में रहने वाली पूनम भी ऐसी ही एक महिला हैं, जिनके घर में 3 एसी लगे हुए हैं. वे कहती हैं कि AC की वजह से घर के अंदर तो ठंडक रहती है लेकिन पूरी सोसायटी का कॉमन एरिया गर्म हो जाता है.
IFOREST की स्टडी में पाया गया है कि रेफ्रिजरेटर के नाम पर एयर कंडिशनर में HCFC का उपयोग किया जाता है. यह HFC का नया वर्जन है, जिससे ओजोन परत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 सालों में दुनिया भर में एयर कंडीशन की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.
यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) बढ़ने की सबसे बड़ी वजह घरों में चलने वाला AC है. इसी की वजह से दुनिया का तापमान बढ़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में इस समय करीब 5.6 अरब यूनिट्स AC चल रहे हैं. जबकि साल 2050 तक AC की मांग में करीब चार गुना तक इजाफा हो जाएगा. उस दौरान AC यूनिट्स की संख्या 14 अरब यूनिट्स से भी ज्यादा हो जाएगी.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार 3.28 करोड़ अमेरिकी कूलिंग के लिए ज्यादा एनर्जी का प्रयोग करते हैं. वहीं 4.4 अरब लोग अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, मिडिल ईस्ट और एशिया में इसे प्रयोग कर रहे है. IEA के मुताबिक एसी सिस्टम सबसे ज्यादा एनर्जी कंज्यूम करता है. इसकी वजह से ये कार्बन डाई ऑक्साइड और दूसरी ग्रीन हाउस गैसों को सबसे ज्यादा मात्रा में हवा में घोलता है. भारत की बात करें तो यहां पर AC की खरीद में हर साल 10 से 15 फीसदी का इजाफा हो रहा है.
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IFOREST ने अपनी स्टडी में पाया कि AC से हो रहे जलवायु परिवर्तन (Global Warming) से निपटने के लिए ग्रीन कूलिंग विकल्प को गंभीरता से अपनाने की ज़रूरत है. ग्रीन कूलिंग मतलब अभी एसी refigeration के लिए इस्तेमाल की जा रही HFC और HCFC गैसों की जगह hydrocarbon जैसी प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करना है. भारत को ग्रीन कूलिंग के लिए evaporative कूलिंग, structural कूलिंग और सोलर कूलिंग जैसी नॉटइन काइंड तकनीक का इस्तेमाल करना होगा.
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