दिवाली पर दिल्ली में पूरी रात जले पटाखे, फिर भी क्यों नहीं बढ़ा प्रदूषण? तो ये है इसके पीछे की वजह
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दिवाली पर दिल्ली में पूरी रात जले पटाखे, फिर भी क्यों नहीं बढ़ा प्रदूषण? तो ये है इसके पीछे की वजह

Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में दिवाली पर पूरी रात लोगों ने पटाखे जलाए, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर (Delhi AQI) 'गंभीर' स्थिति में नहीं पहुंचा, जिसको लेकर एक्सपर्ट्स ने पहले चेतावनी दी थी.

दिवाली पर दिल्ली में पूरी रात जले पटाखे, फिर भी क्यों नहीं बढ़ा प्रदूषण? तो ये है इसके पीछे की वजह

Delhi-NCR Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह से पॉल्यूशन को लेकर हायतौबा मची है. इस बीच प्रतिबंध के बावजूद दिवाली की रात दिल्ली में जमकर पटाखे फोड़े गए. इसके बाद दिल्ली के कई इलाकों में आसमान में पहले से अधिक धुंध दिखी. लेकिन, फिर भी दिवाली के बाद दिल्ली की हवा साल 2015 के बाद से दूसरी सबसे साफ रही है. इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'बहुत खराब' बनी हुई है, जो संभावित श्रेणी से कम है. बता दें कि इससे पहले एक्सपर्ट्स ने दिवाली के बाद हवा के 'गंभीर' स्थिति में पहुंचने की चिंता जताई थी.

दिल्ली में आखिर क्यों नहीं बढ़ा प्रदूषण?

दिल्ली-एनसीआर में शनिवार सुबह स्मॉग की एक परत छाई रही और सुबह 7:30 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 294 था. दिल्ली के कई इलाको में दिवाली की पूरी रात पटाखे जलाए गए, लेकिन इसके बावजूद एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में 'गंभीर' स्थिति में नहीं पहुंचा. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह तेज हवा के वेंटिलेशन है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली के बाद हवा की गति 16 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई, जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़ा.

हवा की वजह से नहीं बढ़ा एक्यूआई

दिवाली की रात यानी गुरुवार (31 अक्टूबर) को 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार बढ़ता रहा. दिवाली की शाम को 328 था, जो आधी रात को 338 तक पहुंच गया. शुक्रवार सुबह 9 बजे तक एक्यूआई 362 तक पहुंच गया, लेकिन इसके बाद निरंतर तेज हवाएं चलीं, जिससे घने धुएं की परत छंट गई और शुक्रवार शाम 4 बजे तक AQI 339 पर आ गया. वहीं शाम 7 बजे तक एक्यूआई में और सुधार हुआ और यह 323 पर पहुंच गया.

सर्दियो में ही क्यों बढ़ता है प्रदूषण का स्तर?

हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे की साइंस को स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने विस्तार से समझाया है. उन्होंने बताया, 'उच्च तापमान मिश्रण की ऊंचाई को ऊंचा रखता है और प्रदूषकों को स्वतंत्र रूप से घूमने और फैलने की अनुमति देता है. कम तापमान हवा की गति को धीमा कर देता है और प्रदूषकों को जमीन की सतह के करीब रोक देता है.' उन्होंने आगे कहा, 'जहां, सर्दियों के महीनों में आमतौर पर मिश्रण की ऊंचाई 200-300 मीटर तक गिर जाती है, वहीं गुरुवार को मिश्रण की ऊंचाई 2,100 मीटर बनी रही. इस वजह से प्रदूषण गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचा.'

दिल्ली के किस इलाके में कितना एक्यूआई?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शनिवार सुबह 7:30 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 294 था, जिसमें 18 इलाकों में एक्यूआई 300 से ऊपर था, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है. सबसे प्रभावित इलाकों में आनंद विहार (380), आईजीआई एयरपोर्ट (341), आरके पुरम (340), और पंजाबी बाग (335) शामिल थे. इसके अलावा, 19 अन्य इलाकों में एक्यूआई 200-300 के बीच था, जो 'खराब' श्रेणी में आता है, जिनमें अलीपुर (295), जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (284) और मुंडका (288) भी शामिल हैं.

दिल्ली के पड़ोसी शहरों में, हरियाणा के फरीदाबाद में एक्यूआई 165 था जो 'मध्यम' श्रेणी में आता है, जबकि गुरुग्राम में एक्यूआई 219 था, जो 'खराब' श्रेणी में गिना गया, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक्यूआई 308 रहा, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है. ग्रेटर नोएडा में 202, जो 'खराब' श्रेणी में है; और नोएडा में एक्यूआई 250 पर था, जो समान रूप से 'खराब' वायु गुणवत्ता को दर्शाता है. पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी गई थी, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना और हवा का धीमा होना है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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