सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद में महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा उठाते हुए मोदी सरकार को कोसा. लाल टोपी पहने अखिलेश यादव ने भगदड़ में मारे गए लोगों के आंकड़े छिपाने का गंभीर आरोप लगाया. कुछ इसी तरह की बात एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने की थी.
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महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा आज भी संसद में गूंजता रहा. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा में बोलते हुए सपा सांसद अखिलेश यादव ने NDA सरकार को खूब सुनाया. लाल टोपी पहने अखिलेश ने भाषण की शुरुआत में ही महाकुंभ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए सदस्यों से खड़े होकर दो मिनट मौन रहने की बात कह दी. स्पीकर ने टोकते हुए कहा कि यह अध्यक्ष का अधिकार है. सपा अध्यक्ष ने फिर अपनी बात को दुरुस्त करते हुए कहा कि अध्यक्ष जी, यह आपका अधिकार है इसीलिए मेरा आग्रह है जब चर्चा समाप्त हो रही होगी तो जरूर दो मिनट मौन रहकर श्रद्धांजलि दी जाए. संसद में हंगामा शुरू हुआ तो अखिलेश ने पीछे मुड़कर विपक्ष के सदस्यों को रोका.
फिर अखिलेश ने दिखाए आक्रामक तेवर
हंगामा शुरू हो ही रहा था कि अपनी लाल टोपी सीधी करते हुए अखिलेश आक्रामक मूड में आ गए. उन्होंने सिर पर लगा हेडफोन भी झट से उतारकर मेज पर रख दिया. आगे बोले, 'अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैंने अपनी बात शुरू नहीं की है. जिन लोगों को तकलीफ है, जिनको दुख होना चाहिए उनके बारे में, महाकुंभ के बारे में बाद में कहना चाहता था लेकिन... ये सुन नहीं सकते हैं इसलिए बात मैं वहीं से शुरू करता हूं.'
महाकुंभ पर सेना की डिमांड
अखिलेश ने कहा कि अध्यक्ष जी, देश के परम अभिभावक होने के नाते हमारा आपसे अनुरोध है कि जहां सरकार लगातार बजट के आंकड़े लगातार दे रही है (अभिभाषण में पढ़ा मैंने), उससे पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े दिए जाएं. महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों का सही आंकड़ा दिया जाए और आंकड़े छिपाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो.
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महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए. मृतकों, घायलों के इलाज आदि का आंकड़ा संसद में पेश किया जाए. अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि हम डबल इंजन सरकार से पूछते हैं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और घटाए क्यों गए हैं? इस पर विपक्षी सदस्यों ने शेम-शेम के नारे लगाए.
सरकार ने बस प्रचार किया
अखिलेश यहीं नहीं रुके. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि महाकुंभ के लिए कहा गया कि 144 साल बाद आया है, यह भी कहा गया कि पहली बार डिजिटल महाकुंभ होने जा रहा है. ड्रोन, लाइव स्ट्रीमिंग के आधार पर जिनका डिजिटल महाकुंभ का दावा था, वे मृतकों की डिजिट (संख्या) नहीं दे पा रहे हैं.