2 से ज्‍यादा बच्‍चे होने पर ही लड़ पाएंगे चुनाव, ये राज्‍य लेने जा रहा एकदम अलग फैसला
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2 से ज्‍यादा बच्‍चे होने पर ही लड़ पाएंगे चुनाव, ये राज्‍य लेने जा रहा एकदम अलग फैसला

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा है कि भारत जल्द ही बूढ़ा जाएगा. ऐसे में उन्होंने कहा कि राज्य के निकाय चुनावों में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले ही हिस्सा ले पाएंगे, इस दिशा में काम जारी है. साथ ही दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को सब्सिडी भी दी जाएगी. 

2 से ज्‍यादा बच्‍चे होने पर ही लड़ पाएंगे चुनाव, ये राज्‍य लेने जा रहा एकदम अलग फैसला

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि सिर्फ दो बच्चों से ज्यादा वाले ही लोगों को चुनाव लड़ने की अनमति दी जाए. हालांकि यह बात उन्होंने नगरपालिका और पंचायत चुनावों के संदर्भ में कही है. उनका यह बयान राज्य विधानसभा के ज़रिए तीन दशक पुराने कानून को बदलने के कुछ महीने बाद आया है, जिसके तहत दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोका गया था.

नायडू पिछले एक दशक से इस बात की वकालत कर रहे हैं कि बढ़ती उम्र की समस्या से निपटने के लिए तेलुगु लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए. पिछले साल उन्होंने ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन देने की जरूरत के बारे में बात की थी. नायडू 2 से ज्यादा बच्चों वाले लोगों के लिए ज्यादा सब्सिडी वाले चावल पर गौर कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के ज़रिए देशव्यापी बहस छेड़ने के बाद, उनके तमिलनाडु समकक्ष एमके स्टालिन ने भी उनके विचारों को दोहराया और लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की. 

नायू ने क्या कहा?

नायडू ने मंगलवार को तिरुपति के पास अपने पैतृक गांव नरवरिपल्ले में अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ संक्रांति मनाते हुए कहा,'हमारे पास पहले एक कानून था, जिसके तहत दो से ज्यादा बच्चे न होने वाले लोगों को स्थानीय निकाय और नगर निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति थी.' उन्होंने आगे कहा,'अब मैं कहता हूं कि कम बच्चों वाले लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. भविष्य में आप सरपंच, नगर पार्षद या महापौर तभी बन पाएंगे जब आपके दो से ज्यादा बच्चे होंगे. मैं इसे (प्रस्तावित नियमों में) शामिल करने जा रहा हूं.'

ज्यादा बच्चे वालों को मिलेगी ज्यादा सबसिडी

नायडू ने कहा कि वे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को पंचायत और नगरपालिका चुनावों में चुनाव लड़ने की अनुमति देने सहित उन्हें प्रोत्साहित करने जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि वे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को ज्यादा सब्सिडी वाले चावल मुहैया कराने के प्रस्ताव पर भी काम कर रहे हैं. वर्तमान में हर परिवार को 25 किलोग्राम सब्सिडी वाले चावल दिए जाते हैं, जिसमें हर एक सदस्य को 5 किलोग्राम चावल मिलता है. 

अन्य देशों की दी मिसाल

उन्होंने कहा कि जापान, कोरिया और कई यूरोपीय देशों ने परिवार नियोजन नीति को बढ़ावा दिया है क्योंकि वहां कुल प्रजनन दर बेहद कम है. ये देश आज बढ़ती उम्र की आबादी की चिंताओं से जूझ रहे हैं और भारतीयों को अपने देशों में आने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. नायडू ने कहा,'यह भारत के लिए भी एक चेतावनी है क्योंकि हम परिवार नियोजन अवधारणा को प्रोत्साहित कर रहे हैं और परिवारों को सीमित संख्या में बच्चे पैदा करने के लिए प्रतिबंधित कर रहे हैं.' 

एक दिन बूढ़ा हो जाएगा भारत

नायडू के मुताबिक कुछ वर्षों बाद, भारत को भी बढ़ती उम्र की आबादी की चिंताओं का सामना करना पड़ेगा और उस समय हमारे पास करने के लिए बहुत कम काम बचेगा, लेकिन अगर हम सही नीतियों के साथ स्थिति पर प्रतिक्रिया करते हैं, तो भारत 2047 तक बहुत बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त कर सकता है'

क्या है दक्षिण के राज्यों की प्रजनन दर?

बता दें कि सभी दक्षिण भारतीय राज्यों ने दो बच्चों की नीति का पालन किया, जैसा कि इन राज्यों की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) से साफ है. इन राज्यों की TFR 1.73 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 से कम है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड के पांच बड़े राज्यों की टीएफआर 2.4 है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. 

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