Rizwan Sajan Networth: मेहनत और लगन के दम पर इंसान कुछ भी कर सकता है. जी हां, ऐसे ही एक शख्स का नाम है रिजवान साजन (Rizwan Sajan). साजन ने अपनी जिंदगी की शुरुआत जीरो से करके खर्च चलाने के लिये किताबें बेचीं, पटाखे बेचें और यहां तक की दूध की भी डिलीवरी की. लेकिन आज वहीं शख्स हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक होने के साथ ही दुबई का सबसे अमीर भारतीय है.
रिजवान साजन का जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ. बचपन में उन्हें आर्थिक परेशानी का भी सामना करना पड़ा. खर्च चलाने के लिए उन्होंने हर वो काम किया, जिसके जरिये वह परिवार का भरण-पोषण कर सकते थे. आज रिजवान साजन दुबई के सबसे अमीर भारतीयों में से एक हैं. संयुक्त अरब अमीरात की मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमी के अनुसार उनके पास करीब 2.5 बिलियन यूएस डॉलर (करीब 21,600 करोड़ रुपये) की संपत्ति है.
लेकिन इन सभी कामों को करने के दौरान उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति को कायम रखा और इनके लिए प्रयास जारी रखा. आज वह अपनी मेहनत के दम पर जिस मुकाम पर पहुंच गए हैं, वहां पहुंचना सबके लिए आसान नहीं होता. मुंबई के घाटकोपार स्थित स्लम एरिया में पैदा होने वाले रिजवान का बचपन झुग्गियों में ही बीता.
एक इंटरव्यू में रिजवान ने बताया कि उनके पिता ने एक लॉटरी जीती तो वह एक छोटे घर में शिफ्ट हो गए. वह कई किमी पैदल चलकर स्कूल जाते थे. उन्हें घर से इतने पैसे नहीं मिलते थे कि स्कूल की कैंटीन से कुछ लेकर खा सकें. यही से उन्होंने तय किया कि पैसा कमाने पर फोकस करना है. रिजवान ने शुरुआत में पिता से 1000 रुपये उधार लिये. इन पैसों से उन्होंने थोक में कुछ किताबें खरीदीं और अपने दोस्त को बेच दीं. इससे उन्होंने कुछ पैसे कमाए.
खर्च चलाने के लिए उन्होंने दूध भी बांटा, राखियां बेचीं और पटाखे आदि भी बेचे. वह 16 साल के थे तो उनके पिता का असमय निधन हो गया और रिजवान को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई. पिता के निधन के बाद उन्हें घर चलाने के लिए पैसे की जरूरत थी. उस समय वह मुंबई में 6000 रुपये महीना कमाते थे. लेकिन कुवैत में उनकी सैलरी बढ़कर करीब 15000 रुपये हो गई.
मुंबई में काम करने के दौरान रिजवान 1981 में कुछ बेहतर की तलाश में कुवैत चले गए. कुवैत जाकर उन्होंने सीधे 18000 रुपये महीने की नौकरी की. वहां उन्होंने अपने चाचा की बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान में बतौर ट्रेनी सेल्समैन अपना करियर शुरू किया. कुवैत में धीरे-धीरे उनका पद और पैसा दोनों बढ़ते गए. उनकी लगन और काम करने के तरीके ने उन्हें तेजी से आगे बढ़ाया. हालांकि, इस बीच 1991 में हुए गल्फ वार ने उन्हें मुंबई लौटने के लिए मजबूर कर दिया. इससे उनकी आकांक्षाएं कुछ समय के लिए रुक गईं. इसके बाद 1993 में उन्होंने एक ट्रेडिंग फर्म शुरू की. इसके बाद उनकी जिंदगी की गाड़ी का पहिया चल पड़ा.
नाकामियों से डरे बिना साजन ने अपना रास्ता खुद बनाने का फैसला किया. 1993 में दुबई में ही बिल्डिंग मैटेरियल का बिजनेस शुरू करने वाले साजन ने अपनी कंपनी का नाम डेन्यूब ग्रुप (Danube Group) रखा. उनकी दूरदर्शिता और मेहतर के दम पर इस छोटे से बिजनेस को संयुक्त अरब अमीरात की सबसे बड़ी बिल्डिंग मैटेरियल कंपनियों में से एक में बदल दिया. 2019 तक डेन्यूब ग्रुप ने 1.3 बिलियन यूएस डॉलर का सालाना कारोबार किया और मार्केट में इसकी स्थिति मजबूत हो गई.
साजन के डेन्यूब ग्रुप ने दुबई में अपने बिल्डिंग मैटेरियल के कारोबार को तेजी से आगे बढ़ाया. कंपनी ने होम डेकोर, रियल एस्टेट और अन्य सेक्टर में भी काम करना शुरू किया. इससे कंपनी की ओमान, बहरीन और सऊदी अरब सहित मिडिल ईस्ट के मार्केट में मजबूत स्थिति बन गई. फोर्ब्स के मुताबिक रिजवान ने 2014 में मिडिल ईस्ट के रियल एस्टेट सेक्टर में कदम रखा. वह यूएई में अब तक 25 से ज्यादा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट शुरू कर चुके हैं. इनमें लग्जरी प्रोजेक्ट की संख्या ज्यादा है.
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