Arya Samaj Marriage Certificate: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- आर्य समाज को मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई हक नहीं, ये अधिकारियों का काम
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Arya Samaj Marriage Certificate: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- आर्य समाज को मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई हक नहीं, ये अधिकारियों का काम

Arya Samaj Marriage Certificate:  जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन बेंच ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने एक आर्य समाज मंदिर में शादी की है और इससे जुड़ा मैरिज सर्टिफिकेट रिकॉर्ड पर रखा जा चुका है. बेंच ने कहा, 'आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. यह अधिकारियों का काम है.'

सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on Arya Samaj Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. इसी के साथ कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी.

ये अधिकारियों का काम है- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन बेंच ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने एक आर्य समाज मंदिर में शादी की है और इससे जुड़ा मैरिज सर्टिफिकेट रिकॉर्ड पर रखा जा चुका है. बेंच ने कहा, 'आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. यह अधिकारियों का काम है.'

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शिकायतकर्ता लड़की की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषि मटोलिया 'कैविएट याचिका' के मद्देनजर पेश हुए और कहा कि लड़की ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में आरोपी के खिलाफ बलात्कार के विशिष्ट आरोप लगाए हैं. इसके बाद पीठ ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी.

राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की थी जमानत

राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच मई को आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366ए, 384, 376(2) (एन) और 384 और यौन अपरापध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा पांच के तहत दंडनीय अपराध के लिए नागौर स्थित पादुकलां थाना क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था.

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हाई कोर्ट के सामने आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि एफआईआर डेढ़ साल की देरी से दर्ज की गई है और एफआईआर दर्ज करने में देरी के बारे में शिकायतकर्ता ने कोई सफाई भी नहीं दी है. उन्होंने कहा था कि अभियोक्ता एक बालिग लड़की है और आरोपी और अभियोक्ता के बीच शादी पहले ही 'आर्य समाज' मंदिर में हो चुकी है और शादी का प्रमाण पत्र भी रिकॉर्ड पर उपलब्ध है.

लड़की ने कोरे कागज पर किए थे साइन

हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोक्ता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का एक विशिष्ट आरोप लगाया है. यह भी कहा गया था कि लड़की ने बयान दिया था कि आरोपी ने एक कोरे कागज पर उसके दस्तखत लिये थे और घटना का एक वीडियो भी तैयार किया था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें 'आर्य समाज' को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार विवाह करवाने का निर्देश दिया गया था.

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