Centenary Birthday Celebrations Atal Bihari Vajpayee: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जन्मशती को भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में धूमधाम से मना रही है. भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी का अगस्त 2018 में निधन हो गया था.
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Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज सौंवी जयंती है. वाजपेयी न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी बल्कि भारतीय राजनीति की वो दैदीप्यमान हस्ती थे. जिनकी प्रतिभा और हाजिरजवाबी के कायल विपक्षी दलों के नेता भी थे. उनकी दोस्ती हर दल के नेताओं से थी. वो किसी को पराया नहीं मानते थे. ओजस्वी वाणी से लाखों की जनसभा में भी समां बांध लेने वाले वाजपेयी सीमाओं से परे थे. सादगी की प्रतिमूर्ति और विनम्र स्वभाव से लोगों के दिलों में राज करने वाले अटलजी की नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी. आइए जानते हैं अटल जी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें.
चुटीला अंदाज
एक राष्ट्रवादी के रूप में अटलजी पूरे देश के थे. उनका व्यक्तित्व बहुत विराट था. वो जहां पर भी जाते, मानो वहीं के हो जाते. अटल बिहारी वाजपेयी अपने चुटीले अंदाज के लिए भी जाने जाते थे. वो एक महान कवि और 'युगद्रष्टा' भी थे. संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर उन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया था. उनके जीवन से जुड़ी कई यादें आज भी लोगों के दिलोदिमाग में बसी हुई हैं. संघ के स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने कई राज्यों में काम किया. यूपी, एमपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल तक सब लोग उन्हें याद कर रहे हैं.
अनसुना किस्सा
यूपी की बात करें तो पूर्व प्रधानमंत्री का कानपुर और गोरखपुर से गहरा और पारिवारिक नाता रहा है. कानपुर और गोरखपुर के आत्मीयता से भरे किस्से वो लोगों को बड़े प्रेम और चाव से सुनाते थे. कानपुर में पढ़ाई लिखाई हुई तो कम लोगों को ही ये मालूम होगा कि वो गोरखपुर में पहली बार 1940 में एक बारात में सहबाला बनकर आए थे. वो बारात किसी और की नहीं बल्कि उनके भाई की थी. इस किस्से का जिक्र वो पूर्वांचल खासकर गोरखपुर आने पर हमेशा किया करते थे.
'ससुराल मेरी है और मजे तुम उड़ाते हो,
भाई के विवाह से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक उनका गोरखपुर प्रवास कई बार हुआ. वो व्यस्तता के बीच भी समय निकालकर भाई की ससुराल जाना नहीं भूलते थे. गोरखपुर में दुर्गाबाड़ी स्थित चरण लाल चौक चौराहा के पास पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित का आवास है. उनके दो बेटे और पांच बेटियां थीं. उनकी एक पुत्री रामेश्वरी का विवाह अटल जी के बड़े भाई प्रेम बाजपेयी से हुआ था. बड़े भाई की बारात में अटल बिहारी वाजपेयी का गोरखपुर में पहली एंट्री सहबाला के रूप में हुई तो उनका विशेष स्वागत सत्कार हुआ. तब किसी ने सोचा भी न होगा कि ये होनहार लड़का एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा.
उनके करीबी लोगों का मानना है कि गोरखपुर आने का कोई बहाना वह छोड़ते ही नहीं थे. यहां तक कि उनके बड़े भाई प्रेम बाजपेयी ने एक बार मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते हुए अटलजी से कहा था- 'ससुराल मेरी है और मजे तुम उड़ाते हो, दामाद मैं, खातिरदारी और मौज तुम्हारी, ये खूब रही'. इसका जिक्र खुद अटलजी ने एक बार अपने संबोधन में किया था.
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल जी ने 1998 में दिग्विजय नाथ डिग्री कॉलेज के प्रांगण की चुनावी जनसभा में कहा था कि गोरखपुर के लोगों से मेरा विशेष लगाव और नाता है. यहां मेरी ससुराल है और यहां के लोगों से मेरा खास रिश्ता है.
भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी का अगस्त 2018 में निधन हो गया था.