प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लाइब्रेरी मैन के रूप में चर्चित संजय कच्छप की प्रशंसा की है. कभी अच्छी पुस्तकों के अभाव में जिस कठिनाइयों में सफलता हासिल की.
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दुमकाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लाइब्रेरी मैन के रूप में चर्चित संजय कच्छप की प्रशंसा की है. कभी अच्छी पुस्तकों के अभाव में जिस कठिनाइयों में सफलता हासिल की, उसके बाद संजय कच्छप ने सरकारी नौकरी में आते ही गरीब बच्चों के लिए पुस्तकालय उपलब्ध कराने की योजना बनाई. वे जहां भी सरकारी नौकरी में रहे, स्थानीय छात्र-छात्राओं के लिए पुस्तकालय स्थापित करते रहे.
40 से ज्यादा लाइब्रेरी की करी स्थापना
पुस्तकालय स्थापना की शुरुआत उन्होंने अपने गृह जिले पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित चाईबासा से की थी. अब तक वे जमशेदपुर, चाईबासा, सरायकेला-खरसावां और दुमका जिले में 40 से ज्यादा लाइब्रेरी की स्थापना कर चुके हैं. इनमें से 24 डिजिटल लाइब्रेरी भी शामिल है. कहते है इंसान अपने मुश्किलों और मुसीबतों से सीखता है और अगर उस इंसान में कुछ अलग करने की इच्छा हो, तो वहीं मुश्किल को आसान कर आसमान में लकीर खिंचता है. ऐसे ही जोशीले व्यक्ति है संजय कच्छप, जो अपने मुश्किलों का प्रवाह किये बिना सिर्फ अपने जीवन को नहीं सवारे, बल्कि किताबों से दोस्ती कर झारखंड के विभिन्न जिला में 40 से अधिक पुस्तकालय खोल कर असहाय गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जगा रहे है.
प्रधानमंत्री ने की संजय कच्छप की तारीफ
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके इस काम की खूब तारीफ की है और प्रेरणा स्रोत बताया है. दरअसल, संजय कच्छप वर्तमान में दुमका के बाजार समिति के सचिव के रूप में कार्यरत है. लेकिन उनकी पेंशन किताबों से है. वे लाइब्रेरी खोल कर गरीब असहाय बच्चों को मार्गदर्शन देने का काम कर रहे है. संजय कच्छप अब झारखंड के लाइब्रेरी मैन के रूप में पहचान बना चुके है. जो अब 40 पुस्तकालय के साथ-साथ 24 डिजिटल लाइब्रेरी चला रहे है. जहां आने वाले बच्चों को मार्गदर्शन देकर उन्हें अच्छे रास्ते में जाने का हुनर सीखा रहे है.
कृषि उत्पादन बाजार समिति के सचिव संजय कच्छप चाईबासा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि जब मैं विद्यार्थी जीवन में था, तो उस वक्त मेरे घर की हालत काफी खराब थी. इस वजह से पढ़ाई - लिखाई में काफी परेशानी हुई. पढ़ने के लिए पुस्तकों का अभाव था और किस दिशा में करियर बनाया जाए, कोई मार्गदर्शन करने वाला भी नहीं था. जब मैं सरकारी नौकरी में आया तो मैंने ठाना कि मुझे जो परेशानी हुई है. वह दूसरों को न आए इसके लिए मैं आवश्यक प्रयास करूंगा.
2008 में खोली थी पहली लाइब्रेरी
2008 में उन्होंने चाईबासा में पहली लाइब्रेरी खोली. इसे खोलने में स्थानीय स्तर पर कई लोगों ने मदद की, धीरे-धीरे यह बढ़ता गया और अब तक उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों की लोगों की मदद से 40 लाइब्रेरी खोली हैं. यहां पठन-पाठन के लिए पुस्तकें तो है ही और करियर काउंसलिंग भी की जाती है. साथ ही साथ कंप्यूटर के द्वारा ऑनलाइन शिक्षा दी जाती है. संजय कच्छप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से मेरे कार्य की सराहना की है, यह मेरे सभी सहयोगियों की मेहनत और टीम वर्क का परिणाम है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का हौसला अफजाई के बाद मेरा मनोबल बढ़ गया है और मैं ज्यादा ऊर्जा से इस दिशा में कार्य करेगा.
इनपुट- सुबीर चटर्जी
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