फिल्म आदिपुरुष के रावण में कई ऐसी बातें हैं जो अब तक के चले आ रहे पारंपरिक रावण से बिल्कुल भी मैच नहीं होती है. फिल्म निर्माता को समझना होगा कि वह सिर्फ अत्याचारी विलेन नहीं था. वो महापंडित था.
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पटनाः Adipurush Teaser: साउथ के सिनेमा से निकलकर आ रही पैन इंडिया मूवी आदिपुरुष की पहली झलक सामने आई. श्रीराम से जुड़ी कहानी के चलते मेकर्स ने इसे नवरात्र के मौके पर अयोध्या से दर्शकों के सामने रखा. दक्षिण के सिनेमा की इससे पहले तक काफी प्रशंसा होती रही है. उनकी फिल्मों में सनातन परंपराओं को भी बारीकी से दिखाया जाता है. इस विषय पर दक्षिण सिनेमा के सामने बॉलीवुड को कई बार लोगों ने खरी-खोटी सुनाई है. आदिपुरुष बनाए जाने की घोषणा के बाद से फैंस इसका इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनका सारा उत्साह ठंडा पड़ गया, जब फिल्म की पहली झलक में उन्हें राम ही नहीं बल्कि रावण भी दिख गया. इतना दिखना था कि लोग नेटिजंस रावण बने सैफ अली खान पर मीम्स की बरसात करने लगे.
रावण का कॉस्टयूम बन रहा आलोचना की वजह
असल में रावण की आलोचना की वजह है सैफ का कॉस्ट्यूम, उनकी हेयर स्टाइल और चेहरे-मोहरे पर विलेन दिखने के लिए कई बनावट. लोगों को लग रहा है कि यह किसी मुगल शासक से प्रेरित किरदार लग रहा है. वहीं कई लोग ऐसे भी आरोप लगा रहे हैं कि आज के दौर में लगातार हो रहे धार्मिक-जातीय विवादों को भुनाने के चलते मेकर्स ने ऐसा लुक अपनाया है. सच कुछ भी हो, तकरीबन 500 करोड़ के खर्चे से बन रही ये फिल्म असल में महंगी कार्टून फिल्म जैसी ही लग रही है. बारीक से देखने पर समझ आता है कि किरदारों को गढ़नें में कॉस्ट्यूम और स्टाइल जैसी बारीक बातों पर नजर ही नहीं डाली गई है.
गांधी फिल्म के लिए भानु अथैया को मिला ऑस्कर
फिल्मों के इतिहास में देखें तो रिचर्ड एटनबरो ने गांधी बनाई थी. इस फिल्म के लिए कास्ट्यूम डिजाइन भानु अथैया ने किया था. उन्हें इस काम के लिए ऑस्कर मिला. भानु अथैया ने जिस कैनवास पर काम किया वो काफी बड़ा था. वो कैनवास एक सफेद सूती कपड़े का बना हुआ था, जो गांधी के इर्द गिर्द लपेटा जाना था. भानु कहती हैं कि असल में इस ढाई मीटर के कपड़े में मुझे पूरा भारत जड़ा और जुड़ा हुआ दिखाना था. इस काम के लिए भानु अथैया ने पहले एटनबरो के नजरिए से गांधी को सोचा, बेन किंग्सले के दिमाग में उमड़ घुमड़ रहे गांधी को जाना.
भानु ने की थी काफी रिसर्च
यहां से दो रफ नोट लेने के बाद वो तमाम लाइब्रेरियों में गईं. उन मूर्तिकारों से मिलीं जिन्होंने गांधी की मूर्तियां बनाने का काम किया था. अमूमन किस बारीकी को वो सबसे अधिक ध्यान में रखते हैं, जब भी वह गांधी की प्रतिमाएं बनाते हैं. भानु ने ध्यान दिया कि गांधी की मूर्तियां बनाने में उनकी धोती की सिलवटों, गोल ऐनक की कान के पीछे तक खींची लम्बाई, लाठी के अनुपात का सबसे अधिक ध्यान रखते हैं. भानु ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि सबसे मुश्किल काम था बदलते वक्त के साथ गांधी और कस्तूरबा गांधी के कपड़ों में परिवर्तन दिखाने का.
बदलके वक्त के साथ बदले कपड़े
उनका कहना था कि जब आप जीवन को 3 घंटे तक फिल्म में बांधने वाले हैं तो सिर्फ सिग्नेचर कॉस्ट्यूम को ही आप शुरू से अंत तक नहीं दिखा सकते हैं. आपको हर बदलते वक्त के साथ कपड़ों की भी जर्नी दिखानी होती है. ऐसे समझिए कि निर्देशक के ही पैरेलल एक और फिल्म चल रही होती है, जिसमें कपड़े और विभिन्न पहनावा किरदार की भूमिका निभाता है. गांधी को समझने के लिए भानु उनसे जुड़े कई आम और खास स्थान पर गईं, इनमें वो छोटे छोटे रेलवे स्टेशन भी शामिल रहे जहां गांधी ने कभी भी किसी वजह से कोई छोटा समय भी बिताया था.
फिल्म आम्रपाली में भी दिखाया हुनर
बात भानु अथैया की हो रही तो गांधी उनकी अकेली फिल्म नहीं है, जो उनके काम की ऊंचाई दिखाती है, बल्कि वो कई फिल्मों के लिए कपड़े सजा चुकी हैं. जैसे आम्रपाली को ही ले लीजिए. इस फिल्म के लिए भानु ने सुनील दत्त और वैजयंती माला के लिए ड्रेस डिजाइन की थी. बौद्ध काल के समय को निर्देशक ने जिस माहौल में ढालकर फिल्माया उसमें कपड़ों ने भी अहम भूमिका निभाई. उन्होंने सुनील दत्त का ऊपरी धड़ सिर्फ एक पटके से ढका, दोहरी, लहरदार, और पंजों के पास नैरो जैसी धोती पहनाई. इसके बाद महज एक चौड़े कमरबंद के जरिए ये अहसास करा दिया कि सुनील दत्त किसी राजा का रोल प्ले कर रहे हैं.
लगान के लिए भी सजाए कपड़े
लगान के लिए भी पहले उन्होंने भुवन को समझा, ब्रिटिश काल के तौर को जाना और फिर लगान के लिए कपड़े डिजाइन किए. आपको कहीं से नहीं लगेगा कि चूक हुई, या कुछ मिसिंग था. भानु अथैया ने अपने बुलंद पाया काम के लिए सबसे पहले पूरी रिसर्च की. आप कोई फिल्म बना रहे हैं तो किरदारों के कपड़े, स्टाइल सभी कुछ को उस काल के देश काल और परिस्थितियों के अनुसार पहले समझना चाहिए. आप रचनात्मक छूट के नाम पर कुछ भी मतलब कुछ भी तो नहीं दिखा सकते हैं.
अब फिल्म आदिपुरुष के रावण में कई ऐसी बातें हैं जो अब तक के चले आ रहे पारंपरिक रावण से बिल्कुल भी मैच नहीं होती है. फिल्म निर्माता को समझना होगा कि वह सिर्फ अत्याचारी विलेन नहीं था. वो महापंडित था. पंडित मतलब दाढ़ी से दूर, जनेऊ से करीब, शिखा से वास्ता और वेद मंत्रों से पूरी नजदीकी थी. आदिपुरुष के रावण ही नहीं अन्य किरदारों की मेकिंग भी ये खामियां खास तौर पर नजर आती है.
12 जनवरी 2023 में आ रही है फिल्म
प्रभास, कृति शनोन, सैफ अली खान और सनी सिंह अभिनीत आदिपुरुष 12 जनवरी 2023 में हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में सिनेमाघरों में रिलीज होगी. यह फिल्म इसी साल 11 अगस्त को रिलीज होने वाली थी. हालांकि, निर्माताओं ने आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा के साथ टकराव से बचने के लिए इसकी रिलीज की तारीख बदल दी, जिसके लिए अभिनेता ने आदिपुरुष के निर्माताओं को धन्यवाद दिया. फिल्म का निर्देशन ओम राउत ने किया है.
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