KK Pathak: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए जो बिहार की शाक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं.
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पटना: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे जा रहे हैं. ऐसे में ये तय है कि अब शिक्षा विभाग में कुछ दिनों के ही मेहमान हैं. अपने कार्यकल में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए बिहार की शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं. अपने कार्यकाल में केके पाठक कब किस स्कूल में निरीक्षण करने पहुंच जाएं इसका अंदाजा लगा पाना किसी के लिए काफी मुश्किल था. आज हम आपको केके पाठक के द्वारा लिए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं
'मिशन दक्ष' की शुरुआत
पढ़ाई में कमजोर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए मिशन दक्ष की शुरुआत की गई. इसके तहत 10 हजार शिक्षकों को पढ़ाई में कमजोर 50 हजार बच्चों को गोद लेकर विद्यालय में कक्षा के बाद या दोपहर के समय किसी वक्त समय निकालकर पढ़ाकर आगे बढ़ाना है.
स्कूलों की औचक निरीक्षण
केके पाठक बिहार के किसी भी स्कूल में कभी भी धावा बोल देते थे. और वहां के प्रधानाध्यापक से लेकर शिक्षकों को भी मैनेजमेंट का पाठ पढ़ा देते थे.
विकास कोष में जमा राशि को स्कूल के कार्यों में खर्च
केके पाठक ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि विद्यालयों में छात्र कोष व विकास कोष में 1200 करोड़ जमा राशि खर्च नहीं हुई तो उसे वापस सरकार के खजाने में वापस जमा कर दिया जाएगा.
15 दिनों से अधिक अनुपस्थित रहने पर नाम काटने का प्रावधान
केके पाठक ने स्कूलों में छात्रो की कम उपस्थिति देखकर आदेश दिया की 15 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने पर छात्रों के नाम काट दिए जाएंगे. इस आदेश के बाद से स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति कम हो गई है.
स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य
बिहार सरकार के सभी स्कूलों में केके पाठक ने 75 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया. इसका फायदा यह हुआ कि जो छात्र-छात्राएं घर से बाहर रहकर कोचिंग कर रहे थे वो घर लौटना शुरू कर दिए.
बच्चों को जमीन पर पढ़ाने को लेकर चेतावनी
केके पाठक किसी स्कूल में अगर बच्चों को जमीन पर पढ़ते देखते थे तो प्रधानाध्यापक को इसके लिए फटकार लगाते थे.
शौचालय का खासा ध्यान
केके पाठक स्कूल में किसी भी तरह की कुव्यवस्था बर्दाश्त नहीं करते थे. किसी विद्यालय में अगर शौचालय में गंदगी पाई जाती थी तो प्रधानाध्यापक को सख्त तौर पर चेतावनी देते थे.
छुट्टियों पर रोक लगाकर
बिहार में शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती करके केके पाठक ने 23 से कम करके 11 कर दी गई. इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब हुई थी.