Bihar Politics: बिहार में राजनेताओं की ओर से दिया जाने वाला दही-चूड़ा का भोज काफी खास होता है. बिहार में सत्तासीन राजद-जेडीयू दोनों की ओर से दही-चूड़ा के भोज का आयोजन किया जा रहा है. असल में राजद का दही-चूड़ा भोज हनेशा से प्रसिद्ध रहा है.
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पटनाः Bihar Politics: बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की सुगबुगाहट है. अंदर खाने में खबर है कि इधर जैसे ही सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो दूसरी तरफ कई दलों के नेता इधर-उधर पार्टी बदलेंगे. नेताओं का ये 'गोचर' योग बिहार में बड़ा खेला किए जाने के अभी से संकेत दे रहा है, और हो सकता है कि दही चूड़ा के भोज में इस परिवर्तन के आसार दिख जाएं. इस लिस्ट में कई नेताओं के नाम हैं, जो पार्टी बदल सकते हैं. माना जा रहा है कि 15 जनवरी के बाद ही शुभ घड़ी में वो नई पार्टी में जााएंगे. असल में बिहार में खरमास को लेकर बहुत मान्यताएं हैं. इस दौरान शुभ कार्य नहीं किया जाता है, ऐसे में 15 जनवरी खिचड़ी के दिन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है.
बिहार में खास होता है दही-चूड़ा भोज
बिहार में राजनेताओं की ओर से दिया जाने वाला दही-चूड़ा का भोज काफी खास होता है. बिहार में सत्तासीन राजद-जेडीयू दोनों की ओर से दही-चूड़ा के भोज का आयोजन किया जा रहा है. असल में राजद का दही-चूड़ा भोज हनेशा से प्रसिद्ध रहा है. ऐसे में पहला भोज राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर होगा. वहीं जदयू भी इस मौके पर दही-चूड़ा का भोज करती आई है. जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी इस बार दही-चूड़ा खिलाएंगे.
इन दो नेताओं को मिल सकता है ठिकाना
माना जा रहा है कि ये दिन और आयोजन इस बात को साफ कर देगा कि कौन कहां, किस पार्टी में जा रहा है. इसमें सबसे पहले तो दो नेताओं का नाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे राजीव रंजन इनमें से एक हैं. वह भाजपा छोड़ चुके हैं तो ऐसा माना जा रहा है कि उनकी वापसी फिर से राजद में हो सकती है. बल्कि सब कुछ तय है, बस शुभ घड़ी और मुहूर्त का इंतजार हो रहा है. वहीं लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने श्रवण कुमार को पार्टी से निकाल दिया है. भाजपा के नेता और विधान पार्षद सम्राट चौधरी भी कहते हैं कि खरमास के बाद जदयू में भगदड़ मचेगी. जदयू के कई नेता पार्टी छोड़ेंगे. उनका कहना कहना है कि इन नेताओं को पता है कि नीतीश कुमार के पास अब जमीनी पकड़ समाप्त हो गई है. ऐसे में जदयू से भी बड़ा पलायन हो सकता है. राजनीति में किसके ग्रह किस गति में घूमेंगे और कौन सा योग बनेगा, इन सबके जवाब मकर संक्रांति ही दे पाएगी. तब तक इंतजार कीजिए...
इनपुट- आईएएनएस