Who is Mahavir Nayak: कौन हैं महावीर नायक, जिनको 82 साल की उम्र में मिलेगा पद्मश्री सम्मान
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Who is Mahavir Nayak: कौन हैं महावीर नायक, जिनको 82 साल की उम्र में मिलेगा पद्मश्री सम्मान

Nagpuri Singer Mahavir Nayak: महावीर नायक के गीतों का पहला संकलन 1962 में आया. वे क्षेत्रीय संस्कृति-भाषा की पत्रिकाओं 'डहर' और 'कला संगम' के सहयोगी संपादक भी रहे. 1992 में वे नागपुरी क्षेत्रीय कला दल के साथ कला का प्रदर्शन करने ताइवान गए थे. पद्मश्री रामदयाल मुंडा और पद्मश्री मुकुंद नायक 20 कलाकारों के दल की अगुवाई कर रहे थे.

झारखंड के क्षेत्रीय नागपुरी गायक-गीतकार महावीर नायक

Mahavir Nayak: झारखंड के गांवों-गलियों, चौपालों, क्षेत्रीय संस्कृति के विविध मंचों से लेकर विदेश तक अपने फन का जलवा बिखेरने वाले महावीर नायक पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाएंगे. झारखंड की क्षेत्रीय भाषा नागपुरी के 82 वर्षीय गायक-गीतकार ने होश संभालते ही अपने आस-पास गीत-संगीत का माहौल पाया. उनके पिताजी और दादाजी गाते थे. दोनों गांव-गिरांव के मशहूर कलाकार थे. गांव की धूल-माटी और जंगल-झाड़ की बयारों के साथ महावीर जी के मन-प्राणों में भी गीत-नृत्य बचपन से रच-बस गया.

कौन हैं महावीर नायक?
रांची के कांके क्षेत्र के उरूगुटु गांव में 24 नवंबर 1942 को जन्मे महावीर नायक ने नागपुरी भाषा में पांच हजार से अधिक गीतों का संकलन किया है, जबकि 300 से भी ज्यादा गीतों की रचना उन्होंने खुद की है. इसके पहले भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी की ओर से 2023 में उन्हें अमृत अवार्ड से नवाजा जा चुका है. यह पुरस्कार उन्होंने उपराष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया था. इसके अलावा क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं-निकायों की ओर से उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार हासिल हुए हैं.

उन्होंने कहा कि 25 जनवरी की दोपहर को उनके पास कॉल आया था और पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने की सूचना दी गई थी. वह कहते हैं कि इस सम्मान को अपने दिवंगत पिता-दादा और क्षेत्रीय नागपुरी भाषा के तमाम कलाकारों को समर्पित करना चाहते हैं. यह मुझसे ज्यादा यहां की मधुर संस्कृति का सम्मान है.

1980 के दशक से आकाशवाणी दूरदर्शन से उनका जुड़ाव रहा. 1993 में गीतों पर उनकी एक और किताब 'नागपुरी गीत दर्पण' प्रकाशित हुई. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के अलावा 20 से भी ज्यादा सांस्कृतिक संस्थाओं के संचालन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही. 2002 में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली की ओर से आयोजित कार्यशाला में उन्होंने प्रशिक्षक के रूप में योगदान दिया.

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महावीर नायक नागपुरी भाषा-संस्कृति में 'भिनसरिया कर राजा' (सुबह के राजा) के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. दरअसल, यह एक राग है, जो एकदम सुबह-सुबह गाया जाता है. रात भर अखरा या मंच पर जब लोग नाच-गान कर थक जाते, तब भिनसहरे वह यह राग गाते और लोगों को घंटे बांधे रखते थे.

उन्होंने 1959 से 1961 तक एक स्कूल में शिक्षक के तौर पर काम किया. बाद में जब रांची में सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) स्थापित हुआ तो उन्हें यहां नौकरी मिल गई. 2001 में सेवानिवृत्त हुए. नौकरी में रहते हुए और नौकरी के बाद भी नागपुरी गीत-संगीत उनके धड़कनों में बसा रहा.

इनपुट: आईएएनएस

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