Delhi chunav result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है. आलाकमान समेत उसके कई नेताओं पर शराब घोटाले जैसे गंभीर आरोप थे. केजरीवाल, सिसौदिया समेत तमाम बड़े नेता जेल में बंद थे. पिछले साल सबको बेल मिल गई थी, हांलाकि जनता की अदालत में वो अपनी जमानत तक न बचा पाए.
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Delhi election results 2025: देश की राजनीति को बदलने का ख्वाब दिखाकर पैदा हुई आम आदमी पार्टी (AAP) का तेज महज एक दशक में निस्तेज हो गया. दिल्ली में करीब 11 साल निष्कंटक राज के बाद 'आप' को उसी तरह की करारी हार मिली, जैसी सियासी पटखनी कभी उसने कांग्रेस पार्टी और बीजेपी को दी थी. अन्ना आंदोलन की परिणिति के रूप में आम आदमी पार्टी का जन्म 2 अक्टूबर 2012 को हुआ था. केजरीवाल की अगुवाई में बनी AAP की हार के विश्लेषण से इतर बात चमत्कार को नमस्कार यानी बीजेपी की जीत की, जिसने कथित तौर पर राजधानी दिल्ली को 'आप'दा मुक्त करने का वादा किया था. इस तरह बीजेपी ने दिल्ली में 27 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया.
हरियाणा-महाराष्ट्र के बाद 'दिल्ली' में बीजेपी की हैट्रिक
2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 240 सीटें मिली और वो पूर्ण बहुमत से 32 सीट दूर रही, इसके बावजूद देश में एनडीए की सरकार बनी. जून में मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. कांग्रेस, संविधान के नाम पर बीजेपी को घेरने लगी. दिल्ली विधानसभा चुनावों में कहीं भी कांग्रेस का कैडर लड़ता नहीं नजर आया. ये तक कहा गया कि कांग्रेस के तमाम कैंडिडेटों ने तो अपनी विधानसभा का पूरा चक्कर नहीं काटा होगा. इससे इतर बीजेपी दिल्ली में अपना करीब तीन दशक का वनवास खत्म करने की रणनीति पर बढ़ती रही. आम आदमी पार्टी के आलाकमान और अन्य नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिली, लेकिन वो जनता की अदालत में अपनी जमानत नहीं बचा पाए.
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'आप' का अवसान?
2012 में आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ, तब तमाम पॉलिटिकल पंडितों को लगा कि नई-नई पार्टी है, जनता शायद बदलाव के नाम पर कुछ सीटें दे भी देगी तो बीजेपी शायद दिल्ली में सरकार बना लेगी. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग ताल ठोंक रही थी. 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता का सूखा यानी सियासी वनवास खत्म होने की आस थी, लेकिन वह 31 सीटों पर लटक गई. उस दौर में आप और कांग्रेस के मेल से एक बेमेल सरकार बनी. फिर कुछ दिनों में इस्तीफे का खेल होता है, कुछ समय बाद 2015 का दिल्ली विधानसभा चुनाव न सिर्फ रोमांचकारी बल्कि एकतरफा हो जाता है. 10 साल पहले दिल्ली में केजरीवाल की लोकप्रियता और स्वीकार्यता सातवें आसमान पर थी.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में ये नैरेटिव बन गया था कि केंद्र में मोदी (बीजेपी) और दिल्ली में केजरीवाल (आप) सही है. 2015 में 70 में 67 सीटें जीतकर AAP ने इतिहास रचा, बीजेपी हक्की-बक्की थी. वो समझ गई थी कि दिल्ली फतह करना आसान नहीं है. समय का पहिया घूमा लेकिन जिस तरह यमुना मैली ही रह गई, उसी तरह बीजेपी भी जीत के लिए प्यासी रह गई.
2020 में एक बार फिर यही कहानी रिपीट हुई. हांलाकि तब गया कि 2020 में केजरीवाल की फ्रीबीज़ यानी मुफ्त घोषणाओं (फ्री बिजली-फ्री पानी) के ऐलान ने बीजेपी को हरा दिया. इस तरह 2020 में भी बीजेपी कसमसा कर यानी मनममोसकर रह गई. AAP का वोट शेयर मात्र 0.7 फीसदी कम हुआ, उसने आसानी से प्रचंड बहुमत की सरकार बना ली. लेकिन 2025 में करीब 41 सीटों का घाटा खाने के बाद 'आप' मानो अपने अवसान पर पहुंच गई है.
उत्तर से दक्षिण तक चप्पा-चप्पा भाजपा! आम चुनाव के बाद दिल्ली में हैट्रिक
बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक बीते 11 सालों में मिली हर जीत, चाहे आम चुनाव हों या राज्यों के विधानसभा चुनाव अपनी प्रचंड जीत के बाद बड़े गर्व और शान से सीना चौड़ा करके चप्पा-चप्पा भाजपा का नारा लगाते और लगवाते हैं. हालांकि राज्यों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह नारा ज्यादा प्रासंगिक लगता है. 2024 में लगातार 3 लोकसभा चुनाव जीत चुकी भाजपा, केरल तक कमल खिला चुकी है. तमिलनाडु छोड़कर आज जम्मू-कश्मीर से लेकर हर राज्य में बीजेपी के भरपूर विधायक हैं.
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2019 की तुलना में साल 2024 में कांग्रेस करीब 48 सीटें ज्यादा जीतकर 99 के आंकड़े पर पहुंच गई, लेकिन दिल्ली विधानसभा में लगातार तीसरी बात कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के 67 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार अपनी वोट हिस्सेदारी में दो प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की है. कांग्रेस पार्टी ने इस बार करीब 6.4 फीसदी वोट हासिल किए, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में उसे महज 4.26 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस ने हर बार की तरह इस बार भी लचर प्रदर्शन पर निराशा जताई है.
2024 लोकसभा चुनावों के बाद हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस समेत बाकी विपक्ष की उम्मीदों को तोड़ते हुए जबरदस्त कमबैक किया और दिल्ली विधानसभा फतह करके बीजेपी ने हैट्रिक लगा दी.
कहां कहां है बीजेपी की सरकार?
भारत के करीब 90 फीसदी हिस्से और राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकारें है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, बिहार (जेडीयू-बीजेपी गठबंधन), ओडिशा, आंध्र प्रदेश (बीजेपी-टीडीपी गठबंधन), नॉर्थ ईस्ट के सिक्किम, अरुणाचल, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा में भगवा लहरा रहा है.
पीएम मोदी की अगुवाई में 2014 से लगातार भारत के नक्शे में बीजेपी शासित राज्यों की संख्या तेजी से बढ़ी है. विपक्ष की बात करें तो वो चंद राज्यों- पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, झारखंड, हिमाचल, तेलांगाना (कांग्रेस), तमिलनाडु और केरल में सिमट कर रह गया है.