पतंगबाजी में इस्तेमाल होने वाले मांझे की वजह से कई लोगों की जानें जा रही हैं. दिल्ली में ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. ऐसी ही एक पीड़िता ने Zee News से बात करने के दौरान बताया कि आज भी चीनी मंझे के घाव को याद करके शिहर जाती हैं. आज भी जब खून से लथपथ वाले दृश्य उनके सामने आते हैं तो ऐसा लगता है. जैसे उस दिन लाल रंग का पेंट किसी ने उनके ऊपर फेंक दिया हो.
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Chinese Manjha: चाइनीज मांझा सिर्फ पतंग उड़ाने वाला डोरा नहीं है, बल्कि इसे अगर मौत का डोरा कहेंगे तो गलत नही होगा. यह चाइनीज मांझा कई लोगों की जान भी ले चुका है. आइए आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं जिन्हें चाइनीज मांझे की वजह से जिंदगी और मौत से झूझना पड़ा था. किसी का गला तो किसी का पैर इस मांझे की वजह से कट गया था.
सड़क पर गुजरने भर का ही था दोष
61 वर्ष की दिल्ली में रहने वाली विद्यावती जून के महीने में स्कूटी से वापस घर जा रही थीं. अचानक उन्हें महसूस हुआ कि गले मे कुछ फंस गया है. वो कुछ समझ पातीं तब तक उनके गले से खून बहने लगा. दर्द से कराहती विद्यावती आस पास वालों से मदद मांगने लगीं. गले मे जख्म ऐसा था जैसे किसी ने चाकू से हमला किया हो. खून से लथपथ विद्यावती को गले मे कपड़ा बांध कर नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी नाजुक हालत देखकर अस्पताल वालों ने SUPER SPECIALITY अस्पताल में रेफेर कर दिया. जिंदगी मौत से झूझ रही विद्यावती को दिल्ली के Max अस्पताल ले जाया गया. जहां खून से लथपथ विद्यावती की Neurovascular और Muscle Repair प्लास्टिक सर्जरी की गई. Zee News से बात करने के दौरान पीड़ित विद्यावती ने बताया आज भी चीनी मंझे के घाव को याद करके सिहर जाती हैं. आज भी जब खून से लथपथ वाले दृश्य उनके सामने आते हैं तो ऐसा लगता है. जैसे उस दिन लाल रंग का पेंट किसी ने उनके ऊपर फेंक दिया हो. विद्यावती के मुताबिक चाइनीज मांझे पर बैन को सरकार ठीक से लागू करवाए वरना इस बार तो वो बच गईं लेकिन क्या पता कोई और व्यक्ति ना बच पाए.
ये है विद्यावती की कहानी
विद्यावती की तरह ही 54 वर्ष की उषा राजन आज ठीक से चल नहीं पा रही हैं, चलने के लिए सहारे का प्रयोग कर रही हैं. उषा जुलाई महीने में ऑफिस से घर जाने के लिए सड़क पार कर रही थी. तभी उनके पैर में एक धागा फंस गया. जब तक उषा धागा हटाती तब तक वो नसों को काट कर Muscles के आर पार हो गया था. यह धागा असल मे चीनी मांझा था. खून से लथपथ, दर्द से कराहती उषा ने अपने पैर पर जल्दी जल्दी दुपट्टा बांधा और एक अनजान व्यक्ति उन्हें अस्पताल ले गया. जहां उषा की सर्जरी की गई. उषा आज जीवित तो हैं लेकिन पैर में गहरी चोट की वजह से आज चल नही पा रही और दिनभर बिस्तर पर ही रहती हैं.
बहुत ज्यादा आ रहे हैं ऐसे मामले
उषा और विद्यावती का इलाज करने वाले दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ मनोज जौहर के मुताबिक हर हफ्ते उनके पास कम से कम 3 से 4 मरीज आ रहे हैं, जिनके शरीर के किसी अंग को मांझे की वजह से गम्भीर चोट लगी होती है. कभी चेहरे, कभी गले, तो कभी सीने पर चीनी मांझे की काट तो ऐसी होती है जैसे किसी तेज धार वाली तलवार की. डॉ जौहर के मुताबिक कई बार तो मरीजों की जान प्लास्टिक सर्जरी करके बचाई जाती है. लेकिन कई बार अस्पताल आते आते मरीज दम तोड़ देता है.
नसों को तुरंत काट देता है यह मांझा
मैक्स अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ रोहित चंद्रा के मुताबिक प्लास्टिक का मांझा इतना निर्दयी होता है की गाड़ी चला रहे व्यक्ति के शरीर को तब तक काटता रहता है जब तक वो हड्डी तक नहीं पहुंच जाता और हड्डी तक पहुंचने से पहले यह नसों को काट देता है. जिसकी वजह से बेतहाशा ब्लीडिंग तक होती है.
ऐसी स्थिति में क्या करें?
प्लास्टिक सर्जन डॉ प्रदीप कुमार सिंह के मुताबिक चीनी मंझे में लेड यानी शीशे की एक परत होती है, जो इसे धारधार बना देती है और धार ऐसी जैसे तलवार की. ऐसे में डॉ सिंह के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति इस मांझे से कट जाता है तो सबसे पहले उसे कटे हुए हिस्से को कपड़े से कस के बांध देना चाहिए ताकि अत्यधिक खून ना बहे और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी किसी डॉक्टर के पास जाएं.
ऐसे में आपके पतंग उड़ाने का शौक किसी और के जीवन की डोर ना काट दे इसके लिए जरूरी है कि आप भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें
1) हमेशा कॉटन के मांझे का प्रयोग करें
2) पतंग खुली जगह पर उड़ाएं
3) धारधार मांझा आपकी उंगलियों के लिए खतरनाक है. ऐसे में ज्यादा धार वाला मांझे का प्रयोग न करें.
4) खुद की पतंग की डोर के साथ दूसरों के जीवन की डोर का भी ख्याल रखें क्योंकि आपका शौक किसी के जीवन से बड़ा नहीं है.
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