DNA With Sudhir Chaudhary: अग्निपथ योजना के खिलाफ साजिश की 'ट्रेनिंग', कोचिंग सेंटर्स या पावर सेंटर्स?
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DNA With Sudhir Chaudhary: अग्निपथ योजना के खिलाफ साजिश की 'ट्रेनिंग', कोचिंग सेंटर्स या पावर सेंटर्स?

DNA With Sudhir Chaudhary: अगर छात्र कोचिंग लेने के बाद भी सेना में भर्ती नहीं होते और फेल हो जाते हैं तो इसके लिए छात्र खुद ही जिम्मेदार होते हैं और ये Coaching Institute छात्रों को उनकी फीस भी नहीं लौटाते. जब भी सरकारी भर्तियों या सेना की भर्तियों में कोई बदलाव होता है तो ये कोचिंग सेंटर्स, पावर सेंटर्स में बदल जाते हैं और बड़े-बड़े आन्दोलन कराते हैं.

DNA With Sudhir Chaudhary: अग्निपथ योजना के खिलाफ साजिश की 'ट्रेनिंग', कोचिंग सेंटर्स या पावर सेंटर्स?

DNA With Sudhir Chaudhary: आज हम आपको उन कोचिंग सेंटर्स के बारे में भी बताना चाहते हैं, जो अब इस देश में Power सेंटर्स बन चुके हैं. बिहार के पटना में 18 जून को जो हिंसा हुई थी, उस मामले में पुलिस ने चार Coaching Centres के खिलाफ FIR दर्ज की है और आज हमारी टीम जब इन कोचिंग सेंटर्स पर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था. पुलिस ने इन सभी Coaching Centres के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है और इसमें लिखा है कि इनके संचालकों ने ज्यादा से ज्यादा संख्या में छात्रों को विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उकसाया. उनसे कहा कि आज वो जितनी सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाएंगे, उतना ही सरकार इस योजना को वापस लेने के लिए मजबूर होगी.

युवाओं को भड़का रहे कोचिंग सेंटर्स

बिहार अकेला ऐसा राज्य नहीं है, जहां इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे कोचिंग सेंटर्स की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहा है. अलीगढ़ में 9 कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है. राजस्थान के सीकर में हिंसा के लिए एक कोचिंग सेंटर के संचालक को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जो हिंसा भड़की थी, उस मामले में भी कई Coaching Centres की भूमिका संदेह के घेरे में है और पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है.

तेलंगाना के सिकंदराबाद में 17 जून को जो हिंसा हुई थी, उसके पीछे भी Coaching Centres को बताया जा रहा है. इस मामले में सुब्बाराव नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है, जो सुब्बाराव Sai Defence Academy के नाम से एक कोचिंग सेंटर चलाता है. यानी इस हिंसा के पीछे कोचिंग माफिया हैं, जो अपनी दुकानें बन्द होने के डर से युवाओं को भड़का रहे हैं और उन्हें ये बता रहे हैं कि सरकार उनसे सेना में नौकरी करने का अधिकार छीन रही है.

बड़े-बड़े आन्दोलन खड़े करने की ताकत

भारत में इस समय एक लाख 70 हजार से ज्यादा ऐसे छोटे, बड़े कोचिंग सेंटर्स हैं, जो युवाओं को सेना में भर्ती के लिए तैयारी कराते हैं. सेना में भर्ती के लिए युवाओं को फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद Written Exam भी देना होता है. इसके अलावा वायु सेना और नौसेना में अलग अलग पदों के लिए विभिन्न परीक्षाएं होती हैं और ये Coaching Institute इन्हीं परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं और ये धंधा काफी मुनाफे वाला है. क्योंकि अगर छात्र कोचिंग लेने के बाद भी सेना में भर्ती नहीं होते और फेल हो जाते हैं तो इसके लिए छात्र खुद ही जिम्मेदार होते हैं और ये Coaching Institute छात्रों को उनकी फीस भी नहीं लौटाते. जब भी सरकारी भर्तियों या सेना की भर्तियों में कोई बदलाव होता है तो ये कोचिंग सेंटर्स, पावर सेंटर्स में बदल जाते हैं और बड़े-बड़े आन्दोलन कराते हैं.

आपको याद होगा इसी साल जब जनवरी में रेलवे भर्ती को लेकर नियम बदले गए थे तो इन्हीं कोचिंग सेंटर्स पर बिहार में हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे. अब भी ऐसा ही हो रहा है. आज हमने ग्राउंड जीरो पर जाकर इन कोचिंग सेंटर्स की पड़ताल की और इस दौरान हमें पता चला कि बिहार में औसतन हर 6 किलोमीटर पर एक ऐसा कोचिंग सेंटर है, जहां सरकारी नौकरी की तैयारी कराई जाती है और प्रत्येक छात्र से हर क्लास की कम से कम 200 से 300 रुपये तक फीस ली जाती है. इसके अलावा बिहार में युवाओं को सेना में भर्ती कराने के लिए ट्रेनिंग सेंटर्स भी खुले हुए हैं, जहां फिजिकल टेस्ट के लिए उन्हें तैयार कराया जाता है.

विदेश में सेना में भर्ती के ये नियम लागू

हमारा देश सेना में भर्ती के लिए जिस Tour of Duty के मॉडल को आज अपना रहा है, वो व्यवस्था चीन में बहुत पहले ही आ गई थी. चीन की सेना में हर साल 18 से 22 साल के लगभग साढ़े चार लाख सैनिकों की भर्ती होती है और ये सभी सैनिक दो साल के Contract पर सेना में भर्ती होते हैं. यानी चीन में Contract पर सैनिकों को भर्ती किया जाता है और जब इन सैनिकों की दो साल की सेवा पूरी हो जाती है तो इनमें से 10 से 20 प्रतिशत जवानों को ही रिटेन किया जाता है, जबकि बाकी सैनिकों को रिटायर कर दिया जाता है.

1980 के दशक में चीन के पास 45 लाख सैनिकों की फौज थी. लेकिन आज उसके पास 20 लाख सैनिकों की फौज है. पिछले तीन दशकों में चीन ने अपने सैनिकों की संख्या घटा कर और पेंशन और दूसरे खर्च कम करके सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दिया है. इसका वहां कभी विरोध नहीं हुआ लेकिन आज जब हमारे देश की सेना ऐसा करना चाहती है तो इसका विरोध हो रहा है.

कुछ पुरानी रिपोर्ट्स में चीन की सेना की औसत उम्र 32 वर्ष बताई जाती है. लेकिन रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ये आंकड़ा गलत हो सकता है. क्योंकि चीन कभी अपनी सेना को लेकर ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं करता. इसी तरह रूस में 18 से 27 साल के हर युवा को सेना में एक साल अपनी सेवाएं देना अनिवार्य है और अमेरिका की सेना में भी 80 प्रतिशत सैनिक अपनी सेना के आठवें साल में रिटायर हो जाते हैं. जबकि पाकिस्तान में अब भी सेना में भर्ती के लिए वही प्रक्रिया चली आ रही है, जो पहले भारत में थी. पाकिस्तान की सेना की औसत उम्र 32 से 33 साल बताई जाती है. लेकिन इसे लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है.

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