NLEM New List: एनएलईएम में लिस्टेड दवाएं नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की ओर से तय मूल्य सीमा से कम में बेची जाती हैं. पहली बार NLEM को 1996 में बनाया गया. इसे 2003, 2011 और 2015 में पहले बदला गया है. अब पांचवी बार ये लिस्ट सितंबर 2022 में रिवाइज की जा रही है.
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Essential Medicines: भारत में जरूरी दवाएं सस्ती होने वाली हैं. आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) की ताजा सूची जारी की गई है. इनमें एंटी डायबिटीज दवा इंसुलिन ग्लार्गिन, एंटी टीबी दवा डेलामैनिड, आइवरमेक्टिन व एंटीपैरासाइट जैसी मेडिसिन्स शामिल हैं. National List of Essential List में अब 384 दवाएं शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक लिस्ट में 34 दवाएं जोड़ी गई हैं और 26 दवाओं को हटा दिया गया है.
एनएलईएम में लिस्टेड दवाएं नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की ओर से तय मूल्य सीमा से कम में बेची जाती हैं. पहली बार NLEM को 1996 में बनाया गया. इसे 2003, 2011 और 2015 में पहले बदला गया है. अब पांचवी बार ये लिस्ट सितंबर 2022 में रिवाइज की जा रही है.
Nicotine Replacement Therapy भी लिस्ट में जोड़ी गई है. यानी सिगरेट छुड़ाने वाली दवा अब NLEM में शामिल है. इसके अलावा Ivermectin भी लिस्ट का हिस्सा बनी है, जो कीड़े मारने की दवा है. ये कोरोना में कई मामलों में असरदार पाई गई है. हालांकि Erethromycin जैसी एंटीबायोटिक भी लिस्ट से हटाई गई है.
शेड्यूल्ड दवाओं की कीमतों में इजाफा होलसेल प्राइज इंडेक्स आधारित महंगाई से जुड़ी हुई है. नॉन शेड्यूल्ड ड्रग्स के लिए कंपनियां हर साल 10 प्रतिशत तक कीमत बढ़ा सकती हैं. अनुमानित 1.6 लाख करोड़ रुपये के घरेलू फार्मा बाजार में अनुसूचित दवाओं की हिस्सेदारी मोटे तौर पर 17-18 फीसदी है. लगभग 376 दवाएं मूल्य नियंत्रण में हैं.
अधिकतम मूल्य (Ceiling Price) की कैलकुलेशन विभिन्न ब्रांड्स की दवा के बाजार मूल्य के साधारण औसत के आधार पर की जाती है. यह उन दवाओं के लिए किया जाता है जिनकी कुल बाजार में कम से कम 1 फीसदी हिस्सेदारी है. प्राइस कैप का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को दंडित किया जाता है. इस साल, एक स्थायी समिति को दवाओं की एक सूची तैयार करने के लिए कहा गया था जो कम कीमतों पर पर्याप्त रूप से उपलब्ध होनी चाहिए.
इस साल, मूल्य तय एक अलग तरीके से तय किया गया है. इससे पहले, स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन दवाओं की एक लिस्ट जारी की, जिन्हें सूची में शामिल किया जाना चाहिए. वहीं मिनिस्ट्री ऑफ कैमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ फार्मा ने उन्हें ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया. इसके बाद NPPA कीमतें तय करता है.
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