Space operation: अब अंतरिक्ष में बढ़ी भारत की धमक, अपने सैटेलाइट की रक्षा के लिए बनाया ये सिस्टम
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Space operation: अब अंतरिक्ष में बढ़ी भारत की धमक, अपने सैटेलाइट की रक्षा के लिए बनाया ये सिस्टम

Space operation: 50 साल के अंतरिक्ष इतिहास में पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ घूमने वाली कचरे की एक खतरनाक पट्टी बन गई है. आमतौर पर ये अंतरिक्ष में मौजूद निष्क्रिीय उपग्रहों और रॉकेटों के मलबे हैं जो कई वर्षों तक वहां बने रहते हैं. मानव निर्मित ये मलबे किसी सक्रिय उपग्रह को नुकसान पहुंचा सकते हैं जो अंतरिक्ष में हजारों की संख्या में मौजूद हैं.

Space operation: अब अंतरिक्ष में बढ़ी भारत की धमक, अपने सैटेलाइट की रक्षा के लिए बनाया ये सिस्टम

Space operation: अंतरिक्ष के मलबे से निपटने के मामले में अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आत्मनिर्भर हो चुका है. अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'इसरो के IS4OM  केंद्र बेंगलुरु में काम करना शुरू कर चुका है. केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को इसका उद्घाटन इसरो के चेयरमैन  एस. सोमनाथ की मौजूदगी में किया. इसरो का सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टनेबल स्पेस ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर अब देश को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जाने के लिए स्थापित किया गया है. इस सेंटर की शुरुआत से न सिर्फ अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की धमकी बढ़ेगी बल्कि वह अपने सैटेलाइट की रक्षा खुद करने में सक्षम साबित होगा.

अंतरिक्ष में कचरे की खतरनाक पट्टी 

अंतरिक्ष पर्यावरण की सुरक्षा और स्थायित्व के लिए IS4OM प्रणाली का विकास एक समग्र दृष्टिकोण के साथ किया गया है. यह बाह्य अंतरिक्ष के अधिकतम इस्तेमाल का रास्ता साफ कर राष्ट्रीय विकास में योगदान देगा. यहां अंतरिक्ष के मलबे को मॉनिटर किया जाएगा, ऑर्बिट  निर्धारण के साथ ही अंतरिक्ष मे फैले मलबे की नई लिस्ट का निर्माण और डेटा का आंकलन  भी होगा. सैटेलाइट लॉन्चिंग के समय किसी अंतरिक्षीय कचरे से टकराव की आशंका की भविष्यवाणी समय रहते इस सेंटर के जरिए हो सकेगी. यही नहीं ये अंतरिक्ष में इससे निपटने में भी सक्षम होगा. इससे भारत का अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा करने में सक्षम बन सकेगा.

दरअसल, पिछले 50 साल के अंतरिक्ष इतिहास में पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ घूमने वाली कचरे की एक खतरनाक पट्टी बन गई है. आमतौर पर ये अंतरिक्ष में मौजूद निष्क्रिीय उपग्रहों और रॉकेटों के मलबे हैं जो कई वर्षों तक वहां बने रहते हैं. मानव निर्मित ये मलबे किसी सक्रिय उपग्रह को क्षति पहुंचा सकते हैं जो अंतरिक्ष में हजारों की संख्या में मौजूद हैं. इनकी रफ्तार 25 से 28 हजार किमी प्रति घंटे है और ये अंतरिक्ष तक बिना रोकटोक पहुंच में बहुत बड़ी बाधा हैं, ऐसे में उनकी निगरानी जरूरी है.

स्पेस की बढ़ती चुनौतियों का सामना

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पीनिया स्थित इसरो टेलीमेट्री टै्रकिंग एवं कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) में  एसएसए कंट्रोल सेंटर की स्थापना की गई है. पिछले कुछ दशकों से इसरो अपने उपग्रहों की निगरानी और सुरक्षा करता रहा है. लेकिन अब चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं क्योंकि अंतरिक्ष में मलबा काफी बढ़ गया है. इसलिये IS4OM इस दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.

इसरो के अधिकारी ने बताया कि यह सेंटर अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए अंतरिक्ष जागरूकता कार्यक्रम का हिस्सा है. साथ ही इसके जरिए हमारी अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा करने में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और यह कचरा मैनेजमेंट पर संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों के मुताबिक तैयार किया गया है.

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