पति-पत्नी ने मरने से पहले बताया पैसा क्यों है जरूरी, अपने बेटों से मांगी माफी, कर्ज को लेकर दी सलाह, जानिए वजह
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पति-पत्नी ने मरने से पहले बताया पैसा क्यों है जरूरी, अपने बेटों से मांगी माफी, कर्ज को लेकर दी सलाह, जानिए वजह

mp news-छिंदवाड़ा के तामिया में कर्ज से परेशान होकर दंपती ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. दंपती के सुसाइड के इस मामले में पुलिस ने 6 लोगों पर केस दर्ज कर 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. दंपती ने आत्महत्या करने से पहले तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था. 

पति-पत्नी ने मरने से पहले बताया पैसा क्यों है जरूरी, अपने बेटों से मांगी माफी, कर्ज को लेकर दी सलाह, जानिए वजह

madhya pradesh news-मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कर्ज से परेशान दंपती ने 13 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी. अपनी जान देने से पहले दंपती ने तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था. इसी सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने 6 लोगों पर केस दर्ज किया था, जिसमें 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. बता दें कि यह सुसाइड नोट तीन पार्ट में लिखा गया है. 

पहले में बच्चों को सीख दी गई है, दूसरे में सुसाइड का कारण बताया तो वहीं तीसरे में किसे कितने पैसे दिए हैं उसका जिक्र किया गया है. 

घर में मिले थे शव
मामला छिंदवाड़ा के तामिया का है, जहां 13 जनवरी को बिजोरी के रहने वाले किराना व्यापारी और उनकी पत्नी का घर पर शव मिले थे. सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम कि लिए भिजवाया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि मौते जहर खाने से हुई है. जांच के दौरान पुलिस को दंपती का लिखा हुआ एक सुसाइड नोट मिला. जिसमें उन्होंने खुदकुशी करने के कारणों का जिक्र किया था. 

पहला पेज- बच्चों को बताया पैसा जरूरी है
हमारे दोनों के बेटों के लिए…शिवम, सत्यम हमें माफ कर देना बेटा. अपना साथ यहीं तक था. हम माफ करने लायक तो नहीं हैं पर हमें माफ कर देना बेटा. हम मजबूर हो गए हैं, अब हमसे सहन नहीं हो पा रहा है. अब हम हार चुके हैं, हमारे पैसों के लेन-देन से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं है। तुम अपने आपको कभी कर्जदार मत समझना. हमारे द्वारा जितना पैसा लिया गया था उससे 4 गुना ज्यादा पटा चुके हैं. तुम्हे यदि किसी के द्वारा परेशान किया गया तो तुम थाने जाना. इसमें स्मिता मौसी और यशवंत मामा का साथ लेना. तुम कभी डरना मत. इन के पैसों में से तुम्हें कभी 1 रुपए भी नहीं दिया गया है. हम मरकर भी नहीं मरेंगे, हम सदा तुम्हारे साथ तुम्हारा साया बनकर रहेंगे.

तुम अपने आप को कभी अकेला नहीं समझना. अपने छोटे भाई का मां-बाप बनकर साथ देना और मां का प्यार देना. अब तुम दोनों ही एक-दूसरे का सहारा हो, तुम यह मान लेना की एक एक्सीडेंट में हमारे मां-बाप चले गए. तुम्हें पत्थर बनकर रहना है और अधूरे सपने पूरा करना है। हम दोनों की कसम है. तुम कभी हार मत मानना. एक बात हमेशा याद रखना, पैसों के कारण ही आज हमें एक-दूसरे से बिछड़ना पड़ रहा है, इसलिए पैसे हमेशा संभालकर रखना. आज के समय में पैसा ही सबकुछ है। बगैर पैसों के चलते पहले घर के लोग ही साथ छोड़ते हैं. मौका मिला अगर जीवन में तो एक IAS ऑफिसर बनकर हमें दिखाना.

हम सब देखेंगे, कभी अकेला मत समझना. हम सब देखते रहेंगे. अपने छोटे भाई को कभी गलत रास्ते में मत जाने देना. वो गुस्सैल है पर तू तो समझदार है. हम जानते हैं रास्ता बहुत कठिन है, परंतु तुझे हार नहीं मानना है. तुझे सबको दिखाना है, तू किसका बेटा है, तू कभी किसी के सामने शर्मिंदा मत होना. हमने जिनका पैसा लिया था उसका 4 गुना पटा चुके है. रही समूह वाली बात तो वह कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, जिस दिन उस लायक हो जाओगे तो इनके घर की मदद कर देना. कभी ब्याज का काम करने वालों से पैसा मत लेना. जितनी चादर, उतना ही पैर पसारना. कोरोनाकाल में कितने घर तबाह हो गए, यही समझना और यहां से जल्द से जल्द जाने की कोशिश करना. हम तुम्हारे जाने के लिए किराया का पैसा तक नहीं रख पाए, हमें माफ करना. हमारी 13वीं मत करना, हम हमेशा तुम्हारे साथ मरकर भी रहना चाहते हैं.

दूसरा पेज- 20% ब्याज पर कर्ज लिया
ओम जयश्री श्याम देवाय नम:...आज रात हम दोनों पति-पत्नी भूमिलता रघुवंशी, पत्नी श्री रामलखन रघुवंशी पूरे होशो हवास में अपनी जिंदगी समाप्त करने जा रहे हैं. हम अपनी जिंदगी से परेशान हो चुके हैं. हमारे द्वारा कुछ आदमियों से कर्ज लिया गया था जो कि 10%, 20% से हमें दिया गया था. हमें मजबूरन एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज, दूसरे को चुकाने के लिए तीसरा कर्ज मजबूरन लिया गया, क्योंकि जिनके द्वारा कर्ज लिया गया वह एक दिन के लिए भी नहीं मानते थे. इसलिए हमें मजबूरन यह कर्ज लेना पड़ता था, जिसका हमारे द्वारा मूलधन से ज्यादा ब्याज दे चुके हैं.

परंतु इनके द्वारा इकट्‌ठा पैसे देने के लए कहा जाता था तो वह नहीं मानते थे और हमें कई तरीके से धमकाया जाता था. हमें इतना ज्यादा परेशान किया जा चुका है कि हमारा खाना, सोना सब हराम हो चुका है. हमारे द्वारा कभी किसी का 1 रुपए भी नहीं खाया जा सकता था, परंतु अब हम प्रयास करते करते हार चुके हैं. अब हमें कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा है. हमारे द्वारा चार-पांच महिलाओं का लोन भी लिया गया था, क्योंकि सारे समूहों की मीटिंग मेरे यहां लगती थी. उनके लोन की किस्त 3-4 माह की ही बची हुई है. मैंने पूरी ईमानदारी से उनका लोन अभी तक चुकाया है. मैं उनके साथ कोई बेइमानी नहीं करना चाहती थी. उन्होंने मेरे ऊपर मेहरबानी की थी, परंतु मैं मजबूर हूं. मुझे माफ करना. तुम लोगों को शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. यदि किस्त वाले आएं तो कह देना हमारी हैसियत ही नहीं है. वो कुछ नहीं कर सकते.

अभी हमारे बच्चे भी इस लायक नहीं हुए है कि वो अपनी घर गृहस्थी चला सकें. परंतु हमारे द्वारा परासिया कल्लू से एक बार 150000, एक बार 100000, एक बार 25000 रुपए लिया गया, जिसमें हम दोनों पति-पत्नी के काेरे चेक एवं कोरे स्टाम्प पर हमसे साइन लिए गए. जिनका ब्याज 10% से लगभग 1 वर्ष दिया जा रहा है. कभी कैश एवं कभी फोनपे से दिया जा रहा है, जो दिसंबर तक चुकाया. इनका एक दिन भी लेट नहीं हो सकता था. 15-16 तारीख को ले लिया जाता था, परंतु अब हम इसे चुकाने में असमर्थ हैं. यदि एक दिन भी लेट हुआ तो पूरे पैसे लौटाने के लिए धमकी दी जाती थी. इन पैसों को चुकाने के लिए हमारे द्वारा कल्लू जो कि तरुण पिपरिया का है. इसके द्वारा फोनपे में पैसे डलवाए जाते थे, जो कि एक दिन का 10000 से 500 रुपए लेता था.

तीसरा पेज- एक कर्ज को चुकाने दूसरा कर्ज लिया
हमारे द्वारा डेट पर रुपए नहीं चुका पाने पर कभी 10 का 50000 तो कभी 20000 का 85000 हो जाता था. हमारे द्वारा मजबूरन इन्हें इंतजाम करके दिया गया. इस प्रकार हमारे द्वारा बिजनेस लोन भी लिया गया, परंतु वह सब ब्याज में चला गया. हमारी रोजी रोटी भी चलना मुश्किल हो गई. इसी प्रकार हमारे द्वारा पटेल से भी 70000 रुपए लिया गया था, जिसका 7% से 5000 रुपए उनको दिया जा रहा था. 15 हजार रुपए हमसे सोमवार के दिन किसी भी कीमत में देने के लिए धमकी दी गई. इसी प्रकार राजा से 12% से पैसा लिया गया था जिसका हमने लगभग 150000 रुपए दे चुके हैं.

इसी प्रकार भगवत तामिया एवं राजू पांडू पिपरिया से भी पैसा लिया गया था, जो कि जायज ब्याज 3% ले रहे थे. इनके द्वारा हमारी मदद की गई. इनका भी ब्याज हमारे द्वारा 5–6 वर्ष से चुकाया जा रहा है, पर पैसा भी सारा बड़े ब्याज वालों को चुकाने में चला जा रहा था. इसी प्रकार दो–चार लोगों से हमारे द्वारा पैसा लिया गया और हमसे जितना पैसा है उससे दोगुने का चेक लिया गया. हमें मजबूरी में देना पड़ा. जो लोग डेट फिक्स वाले थे वो मानते ही नहीं थे. हमारे इनकम के साधन ब्याज के कारण बंद हो चुके थे. अब हम हार चुके हैं. इन पैसे का 1 रुपए का इस्तेमाल हमारे बच्चों के लिए नहीं किया गया. उन्हें जो स्कालरशिप मिलती थी उसी में उनके द्वारा पढ़ाई की जा रही थी. बड़े बटे के द्वारा नौकरी करके 10–15 हजार रुपए कमाकर मकान का किराया एवं खाने–पीने की व्यवस्था की जाती थी. बच्चों का इस लेन–देने से कोई वास्ता नहीं है.

कृपया कर हमारे दोनों बच्चों की सुरक्षा थाना प्रभारी द्वारा की जाए, क्योंकि दोनों बच्चे छोटे हैं. आज हमें जहर भी उधार के पैसों से ही खाना पड़ रहा है. क्योंकि सोमवार से ही सभी लोग पैसों के लिए आ जाते एवं समूह की किस्त भी सोमवार से चालू हो रही थी जो कि सोमवार, बुधवार, शुक्रवार की है. इसी बीच में ब्याज वालों की डेट भी है. जो हमें जीने नहीं देते. महाराष्ट्र बैंक तामिया में समूह लोन के लिए भी चुकाने के लिए परेशान किया जा रहा था, जिसे हमारे द्वारा डबल पटाया जा चुका है. तथा अभी 110000 रुपए अभी किया किया गया है, जिसे तीन माह के अंदर 300000 पटाने के लिए कहा गया था, यदि नहीं पटाया गया तो यह पैसे लेप्स होने के लिए कहा गया.

बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया था लोन
राम लखन रघुवंशी पिपरिया के रहने वाले थे. वे अपनी ससुराल बिजोरी में रहकर किराना दुकान चलाते थे. पुलिस के मुताबिक, उनके दो बेटे हैं, दोनों इंदौर रहते हैं. बड़ा बेटा एमसीए और छोटा बेटा बीसीए कर रहा है. दोनों की पढ़ाई में काफी खर्च लग रहा था. उनकी पढ़ाई के लिए ही मां-बाप ने कर्ज लिया था. लेकिन ब्याज के कारण रकम काफी बढ़ रही थी. 

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