mp ater fort: मध्य प्रदेश में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं जो अपने इतिहास के लिए बेहद मशहूर हैं. इतिहास के पन्नों को पलटने पर हमें इन धरोहरों के खौफनाक रहस्यों के बारे में पता चलता है. अपनी ऐतिहासिक प्रसिद्धि के कारण ये धरोहरें पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. ऐसी ही एक कहानी है चंबल में स्थित अटेर किले की जो अपने खूनी दरवाजे के लिए बेहद मशहूर है. खूनी दरवाजा सुनते ही लोगों की जुबान पर एक ही सवाल आता है कि आखिर खूनी दरवाजे के पीछे किसका खून छिपा है?
मध्य प्रदेश एक ऐसा शहर है जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां मौजूद किले, झरने और पुरानी इमारतें देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं.
चंबल नदी के किनारे स्थित अटेर किला अपने पीछे छिपी कई रहस्यमयी कहानियों के लिए जाना जाता है. किले के तहखाने में छिपे खजाने की खबर एमपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मशहूर है. इस खजाने की तलाश में यहां के स्थानीय लोगों ने तहखाने को पूरी तरह खोद डाला है, जिसके कारण यह किला अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. अटेर किले का निर्माण भदौरिया राजा बदन सिंह ने करवाया था.
यह किला सिर्फ अपने खजाने के लिए ही नहीं बल्कि यहां का खूनी दरवाजा भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. इस खूनी दरवाजे के बारे में सुनते ही लोगों के जुबान पर एक ही सवाल आता है कि,खूनी दरवाजे के पीछे आखिर किसका खून छुपा है?
इतिहास के पन्नों में खूनी दरवाजे का इतिहास आज तक के सबसे खौफनाक इतिहासो में से एक है. दरअसल, कहते हैं कि अटेर किले में मौजूद लाल दरवाजा 400 साल से अपने अंदर कई रहस्य छिपाए हुए है. इसी रहस्यमयी लाल दरवाजे को खूनी दरवाजे के नाम से जाना जाता है.
दिवाली की कार्तिक अमावस्या पर इस दरवाजे का एक अलग रूप देखने को मिलता है. कार्तिक अमावस्या के दिन यह दरवाजा लाल से खूनी दरवाजे में तब्दील हो जाता है.
यह किला दुर्ग भदावर राजाओं के इतिहास के बारे में बताता है. कहा जाता है कि, लाल दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रखा जाता था और दरवाजे के नीचे एक बर्तन, जिसमें खून की बूंदें टपकती रहती थी. किले में गुप्तचर जब भी दुश्मनों से जुड़ी कोई बड़ी खबर ले कर आते थे तो बर्तन में रखे खून से माथे पर तिलक करके भदावर राजा से मिलने आते थे.
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